Governments should bring all migrant laborers to their homes in 15 days: Supreme Court.
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को केंद्र और राज्य सरकारों को प्रवासी मजदूरों के लिए एक बड़ी राहत देने वाला निर्देश दिया। दरअसल, शीर्ष अदालत ने प्रवासी मजदूरों की दुर्दशा पर स्वतः संज्ञान लेते हुए सुनवाई की। कोर्ट ने कहा कि सभी प्रवासी कामगारों को उनके पैतृक स्थानों तक पहुंचाने के लिए केंद्र और राज्यों को 15 दिन का समय है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों को प्रवासी मजदूरों को रोजगार मुहैया कराने के भी निर्देश दिए हैं।
सुप्रीम कोर्ट में याचिका पर सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की तरफ से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि अभी तक करीब एक करोड़ प्रवासी मजदूरों को उनके घर पहुंचा दिया गया है। उन्होंने शीर्ष अदालत को बताया कि इनमें से करीब 41 लाख मजदूरों को सड़क मार्ग और 57 लाख मजदूरों को ट्रेनों से उनके गृह राज्य भेजा गया है। मेहता ने कोर्ट को बताया कि इनमें से अधिकतर ट्रेनों का संचालन उत्तर प्रदेश और बिहार की तरफ हुआ है। कामगारों को उनके पैतृक स्थान पहुंचाने के लिए 3 जून तक 4200 से ज्यादा श्रमिक ट्रेनें चलाई गईं।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने शीर्ष अदालत में कहा कि हम सभी राज्यों से संपर्क में हैं और राज्य सरकारें ही अदालत को प्रवासियों की सही संख्या के बारे में आंकड़े बता सकती हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकारें अदालत को बता सकती हैं कितने प्रवासियों को अभी घर पहुंचाना है और इसके लिए कितनी ट्रेनों की आवश्यकता पड़ेगी।
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सॉलिसिटर जनरल ने बताया कि किसी भी राज्य द्वारा ट्रेनों की मांग किए जाने पर केंद्र सरकार 24 घंटे के भीतर ट्रेनों को वहां भेज देगी। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम सभी राज्यों से कहेंगे कि वह अपनी ट्रेनों की मांग को रेलवे को सौंपे। कोर्ट ने आगे कहा कि हम केंद्र और राज्यों को प्रवासी मजदूरों को वापस उनके घर भेजने के लिए 15 दिन का समय देते हैं। केंद्र और राज्य सरकारों को इस अवधि में प्रवासी मजदूरों को उनके घर पहुंचाना होगा।
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