केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि उसने देशद्रोह कानून के प्रावधानों की फिर से जांच करने और पुनर्विचार करने का फैसला किया है। साथ ही अनुरोध किया है कि जब तक सरकार इस मामले की जांच नहीं कर लेती, तब तक देशद्रोह मामले पर सुनवाई न की जाए। आपको बता दें कि इससे पहले सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने देशद्रोह कानून को सही करार देते हुए इसे आगे भी बरकरार रखने की बात कही थी।
मालूम हो कि केंद्र सरकार ने देशद्रोह कानून का बचाव करते हुए हाल ही में शनिवार को सुप्रीम कोर्ट से देशद्रोह कानून को चुनौती देने वाली एक याचिका को खारिज करने का अनुरोध किया था। चीफ जस्टिस एन. वी. रमन्ना की अध्यक्षता में तीन जजों की संवैधानिक पीठ देशद्रोह कानून को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रहे हैं। चीफ जस्टिस के अलावा जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली को ये भी तय करना था कि इस याचिका को पांच या सात जजों की संवैधानिक पीठ के पास भेजा जाए या फिर 3 जजों की बेंच ही इस याचिका पर सुनवाई करे।
केंद्र सरकार ने लिखित तौर पर केदार नाथ बनाम स्टेट ऑफ बिहार केस का हवाला देते हुए तीन जजों की बेंच से कहा था कि देशद्रोह को लेकर पांच जजों की बेंच ने फैसला सुनाया था, इसलिए अब इस फैसले पर पुनर्विचार की जरूरत नहीं है। आपको जानकारी के लिए बता दें कि वर्ष 1962 में केदार नाथ बनाम स्टेट ऑफ बिहार केस में शीर्ष अदालत के पांच जजों की बेंच ने फैसला सुनाया था कि देशद्रोह कानून के दुरुपयोग की संभावना के बावजूद इस कानून की उपयोगिता जरूरी है।
मस्जिद में लाउडस्पीकर लगाकर अजान देना मौलिक अधिकार नहीं: इलाहाबाद हाईकोर्ट
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