संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में वे भारतीय जो पैसे कमाने और भ्रमण के लिए जाते हैं, उनके लिए एक अच्छी खबर आई है। अब दुबई के सभी हवाई अड्डों पर भारतीय मुद्रा ‘रुपए’ में लेनदेन करने की स्वीकृति मिल गई है। जिससे दुबई एयरपोर्ट के तीनों टर्मिनल और अल मख्तूम हवाई अड्डे पर भारतीय मुद्रा ‘रुपए’ लेना शुरू कर दिया गया है। यहां स्थित ड्यूटी फ्री दुकान के एक कर्मचारी ने ‘गल्फ न्यूज’ अखबार को इसकी पुष्टि भी की है और बताया कि रुपया दुबई में ड्यूटी फ्री दुकानों पर स्वीकार की जाने वाली सोलहवीं विदेशी मुद्रा है।
भारतीय रुपए को दुबई एयरपोर्ट पर लेनदेन के लिए स्वीकार किया जाना देश के पर्यटकों और व्यापारियों के लिए अच्छी खबर है क्योंकि उन्हें यहां पर रुपए को डॉलर, दिरहम या दूसरी मुद्राओं में एक्सचेंज करने के लिए बड़ी राशि चुकानी पड़ती थी। पिछले वर्ष दुबई हवाई अड्डे से देश-विदेश के करीब 9 करोड़ यात्री गुजरे थे, इनमें से 1.22 करोड यात्री अकेले़ भारत से थे।
रुपए को स्वीकार करने से पूर्व भारतीय यात्रियों को दुबई हवाई अड्डे पर ड्यूटी फ्री दुकानों से सामान खरीदने के लिए इनकी कीमत डॉलर, दिरहम अथवा यूरो में चुकानी पड़ती थी। दुबई में दिसंबर 1983 में दूसरे देशों की मुद्राओं को स्वीकार किए जाने की शुरुआत हुई थी। इसके अलावा भारत से काम के लिए दुबई जाने वाले कामगारों को भी इससे फायदा पहुंचेगा, क्योंकि एयरपोर्ट पर उनके पास मौजूद पैसों का उपयोग हो सकेगा।
एयरपोर्ट बिजनस में 18 प्रतिशत हिस्सेदारी भारतीयों की
एक खबर के मुताबिक ड्यूटी फ्री के चलते वर्ष 2018 में भारतीय यात्रियों से दुबई एयरपोर्ट पर दो अरब की वार्षिक बिक्री दर्ज की गई है। यह अपने व्यवसाय की 18 फीसदी हिस्सेदारी है। दुबई ड्यूटी फ्री के चलते मौजूदा समय में 47 विभिन्न देशों के 6000 से ज्यादा कर्मचारियों को रोजगार मिला हुआ है। इनमें भारतीयों की तादाद सबसे ज्यादा है।
भारत-यूएई के बीच व्यापार और निवेश बढ़ाने की पहल
भारत और यूएई के मध्य व्यापार व निवेश में वृद्धि करने के उद्देश्य की एक पहल की गई है। इसके लिए जेबेल अली बंदरगाह और जाफजा जोन बंदरगाह की शुरुआत हो चुकी है। इन दोनों के लिए दुबई स्थित बंदरगाह संचालक और भारतीय व्यापार हितग्राहियों के बीच एक साझेदारी हुई है। हाल के डीपी वर्ल्ड इंडियन ट्रेडर्स के बाद जाफजा वन में इनक्यूबेशन सेंटर की शुरुआत की थी।
इस पहल का मकसद प्रतिभाशाली भारतीयों के लिए मध्य पूर्व बाजारों में व्यवसायों को साझा मंच मुहैया कराना है। भारत मुख्य रूप से यूएई के सबसे बड़े व्यापार साझेदारों में से एक रहा है, जिसकी वार्षिक बढ़त 60 अरब डॉलर से अधिक है।
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