15 अगस्त 1947 को देश भले ही आजाद हो गया था, लेकिन गोवा उस समय पुर्तगालियों के कब्जे में था। गोवा को 19 दिसंबर, 1961 को पुर्तगालियों से आजाद करवाया गया था। गोवा को अपने अधीन करने के लिए भारत ने सैन्य कार्रवाई की। यही नहीं इस दिन गोवा के अलावा दमन और दीव को भी पुर्तगालियों के कब्जे से मुक्त करवाया था। इस वजह से 19 दिसंबर को गोवा मुक्ति दिवस मनाया जाता है।
भारत में सबसे पहले पुर्तगाली यात्री वास्कोडिगामा 1498 ई. में आया था। उसके बाद भारत में अपनी कंपनी स्थापित करने वाले पुर्तगाली पहली यूरोपीय थे। उनके पहले गवर्नर फ्रांसिसको डी अल्मेडा था। इसके बाद अल्फांसो डी अल्बुकर्क गवर्नर बने, जिसने 1510 ई. में बीजापुर से गोवा जीत लिया था। इसके बाद गोवा पुर्तगालियों का संस्कृति केंद्र बना गया। पुर्तगालियों का भारत बसने का प्रमुख कारण भारत के व्यापार पर से अरब देशों का प्रभाव कम करना और ईसाई धर्म का प्रसार करना था। पुर्तगाली ही भारत से सबसे बाद में गए थे।
गोवा प्राचीनकाल से ही एक प्रमुख राज्य रहा है। यहां की प्राचीन सांस्कृतिक विरासत, आर्थिक स्थिति, दर्शन, कला आदि मध्यकाल से ही व्यापारियों एवं यात्रियों का गोवा में आना—जाना रहा है। इस पर कई राजवंशों का शासन रहा है।
पुर्तगालियों ने गोवा पर 400 साल से अधिक समय तक शासन किया था। जब देश आजाद हुआ तो पंडित जवाहर लाल नेहरू ने अंग्रेजों से यह मांग रखी कि भारत को गोवा सौंपा जाए। वहीं पुर्तगाल ने गोवा पर अपना दावा ठोक दिया। लेकिन अंग्रेजों ने अपना दोहरा रवैया अपनाते हुए और पुर्तगाल के दबाव के कारण उसे पुर्तगाल के अधीन कर दिया। गोवा पर पुर्तगालियों के अधिकार पर तर्क दिया कि गोवा पर पुर्तगाल के अधिकार के समय कोई भारत गणराज्य अस्तित्व में नहीं था।
आजादी के समय से ही गोवा को भी स्वतंत्रता कराने का अभियान वर्ष 1928 में ही शुरू हो गया था। वहां पर राष्ट्रवादियों ने मिलकर वर्ष 1928 में मुंबई में ‘गोवा कांग्रेस समिति’ का गठन किया। गोवा कांग्रेस समिति के अध्यक्ष डॉ.टी.बी.कुन्हा थे। डॉ. टी. बी. कुन्हा को गोवा के राष्ट्रवाद का जनक माना जाता है।
वर्ष 1946 में स्वतंत्रता सेना और प्रमुख समाजवादी नेता डॉ.राम मनोहर लोहिया जब गोवा गए तो इस आंदोलन को नई शक्ति मिली। उन्होंने नागरिक अधिकारों के हनन के विरोध में गोवा में सभा करने की चेतावनी दे डाली। इसका वहां की सरकार ने दमन किया और उन्हें गिरफ्तार कर लिया।
तत्कालीन प्रधानमंत्री पं जवाहर लाल नेहरू और रक्षामंत्री कृष्ण मेनन के बार-बार आग्रह पर भी पुर्तगालियों ने गोवा पर से अपना अधिकार नहीं छोड़ा। यही नहीं पुर्तगाल के अधीन दमन-दीव भी थे। इसके बाद भारत ने वर्ष 1961 में भारतीय सेना के तीनों अंगों को युद्ध के लिए तैयार हो जाने के आदेश मिला। मेजर जनरल के.पी. कैंडेथ को ’17 इन्फैंट्री डिवीजन’ और ’50 पैरा ब्रिगेड’ का प्रभार दिया गया। भारतीय सेना की तैयारियों से भी पुर्तगाली गोवा छोड़ने को तैयार नहीं थे। उस समय भारत की एयर फोर्स में छह हंटर स्क्वॉड्रन और चार कैनबरा स्क्वाड्रन थे।
गोवा मुक्ति अभियान के दौरान हवाई कार्रवाई की जिम्मेदारी एयर वाइस मार्शल एरलिक पिंटो को सौंपी थी। भारतीय सेना ने 2 दिसंबर को ‘गोवा मुक्ति’ अभियान शुरू किया। एयर फोर्स ने 8 और 9 दिसंबर को पुर्तगालियों के ठिकाने पर अचूक बमबारी शुरू कर दी। भारतीय सेना के थल और वायु से हुए हमलों से पुर्तगाली घबरा गए और 19 दिसंबर, 1961 को तत्कालीन पुर्तगाली गवर्नर मैन्यू वासलो डे सिल्वा ने भारत के सामने समर्पण समझौते पर दस्तखत कर दिए।
इस प्रकार गोवा, दमन और दीव को पुर्तगालियों से मुक्ति मिली और 451 साल का विदेशी शासन खत्म हुआ।
गोवा को पूर्ण राज्य का दर्जा 30 मई, 1987 को दिया गया था, इस कारण से यहां स्थापना दिवस 30 मई को मनाया जाता है।
रोहित शर्मा ने सनराइजर्स हैदराबाद के खिलाफ फील्डिंग की सजावट की और कप्तान हार्दिक पांड्या…
अग्निवीर स्कीम को लेकर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एक बड़ा बयान दिया है। उन्होंने…
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को नागरिकता संशोधन कानून (CAA) रोक लगाने से इनकार कर दिया…
चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर बड़ी भविष्यवाणी की है। प्रशांत…
आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के दिन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इंफोसिस के चेयरमैन नारायण मूर्ति…
कोलकाता हाई के पूर्व जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय भाजपा में शामिल हो गए है। उन्होंने हाल…
Leave a Comment