अपनी ग़ज़ल गायकी से सबको मोहित करने वाले ग़ज़ल सम्राट जगजीत सिंह की आज 8 फरवरी को 82वीं बर्थ एनिवर्सरी है। वो ‘वो कागज की कश्ती’, ‘झुकी-झुकी सी नज़र’, ‘होंठों से छू लो तुम’ जैसी मशहूर गजलें गाकर श्रोताओं के बीच ख़ासे लोकप्रिय हुए। अपनी भारी और दर्द से भरी आवाज के जादू से छा जाने वाले जगजीत सिंह का गजल गायकी में दूसरा कोई सानी नहीं है। उनके जैसी शख्सियत सदियों में जन्म लेती हैं। इस ख़ास अवसर पर जानिए जगजीत साहब के जीवन के बारे में कुछ रोचक बातें…
ख्यातनाम भारतीय ग़ज़लकार जगजीत सिंह का जन्म 8 फरवरी, 1941 को राजस्थान के श्रीगंगानगर जिले में हुआ था। उनका वास्तविक नाम जगमोहन सिंह धीमन था। उनकी कॉलेज की पढ़ाई पंजाब के जालंधर में हुई थी। जगजीत ने संगीत की शुरुआती शिक्षा पंडित छगन लाल शर्मा और उस्ताद जमाल खान से ली थी। वर्ष 1965 में जगजीत सिंह अपने परिवार को बिना बताए मुंबई आ गए। संगीत की दुनिया में अपना करियर बनाने का फैसला जगजीत बहुत पहले ही ले चुके थे, लेकिन उन्हें शुरुआत में काफी संघर्ष भी करना पड़ा।
जगजीत सिंह ने अपने करियर की शुरुआत वर्ष 1961 में ऑल इंडिया रेडियो में गाने से शुरू की थी। वे शुरुआत में विज्ञापन के लिए जिंगल गाते थे। इसी दौरान उनकी मुलाकात चित्रा सिंह से हुईं। हालांकि, जगजीत की भारी आवाज की वजह से चित्रा ने पहले तो उनके साथ गाने से ही मना कर दिया था। परंतु बाद में दोनों में धीरे-धीरे दोस्ती हुई और फिर यही दोस्ती विवाह में तब्दील हो गईं।
चित्रा सिंह की पहली शादी ब्रिटानिया बिस्किट कंपनी में काम करने वाले अधिकारी देबू प्रसाद दत्ता से हो चुकी थी। उन दोनों के एक बेटी भी थी। जगजीत सिंह और चित्रा की मुलाकातों का सिलसिला बढ़ने लगा तो चित्रा ने देबू से तलाक ले लिया और जगजीत सिंह ने देबू से चित्रा से शादी करने की अनुमति मांगीं। देबू से शादी की इजाजत लेकर जगजीत ने चित्रा से शादी कर लीं।
वर्ष 1990 के समय उनके साथ बड़ी दुर्घटना घटित हुई, जिसने दोनों को एकदम खामोश कर दिया। जगजीत और चित्रा के इकलौते बेटे विवेक की कार हादसे में मौत हो गई। इस वजह से जगजीत सिंह छह महीने तक एकदम खामोश हो गए, जबकि चित्रा सिंह इस हादसे से कभी उबर नहीं पाईं और उन्होंने गायकी छोड़ दीं। हालांकि, जगजीत ने कुछ समय बाद खुद को संभाला। लेकिन इस हादसे के बाद गाई गईं उनकी ग़ज़लों में अपने बेटे को खो देने का दर्द साफ झलकता था।
इससे पहले 1970 और 1980 के दशक में जगजीत सिंह ने अपनी पत्नी चित्रा सिंह के साथ एक से एक बेहतरीन ग़ज़लें गाईं और देश-विदेश में अपनी आवाज का डंका बजाया। जगजीत सिंह को दुनिया में ग़ज़ल को आम आदमी तक पहुंचाने का श्रेय जाता है। उनकी पहली एलबम ‘द अनफॉरगेटेबल्स’ (1976) हिट रहीं।
वहीं, जगजीत ने फिल्मों के अतिरिक्त ‘कल चौदहवीं की रात थी, शब भर रहा चर्चा तेरा’, ‘सरकती जाए है रुख से नकाब आहिस्ता-आहिस्ता’, ‘वो कागज की कश्ती वो बारिश का पानी’ जैसी मशहूर ग़ज़लें गाईं। जगजीत ने अपने संगीत करियर में 150 से ज्यादा एलबम रिलीज़ किए। उन्होंने फ़िल्मों में गाने भी गाए, लेकिन ग़जल व नज्म के लिए उन्हें विशेष रूप से लोकप्रियता मिलीं। जगजीत को भारत सरकार की ओर से वर्ष 2003 में ‘पद्म भूषण’ से सम्मानित किया गया।
अपनी ग़ज़ल गायकी से श्रोताओं के बीच अमिट छाप छोड़ने वाले जगजीत सिंह ने 10 अक्टूबर, 2011 को इस दुनिया को अलविदा कह दिया। आज भले वो हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी जादुई आवाज़ आने वाली पीढ़ी को अपना बनाकर रखने का माद्दा रखती हैं।
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