लोकसभा चुनावों की तारीखों के नजदीक आते ही पार्टियों ने जहां उम्मीदवारों का ऐलान करना शुरू कर दिया है वहीं वोट बैंक मजबूत करने के लिए सभी तरह के हथकंडे भी अपनाए जा रहे हैं। राजनीतिक पार्टियां जहां वोटों के जुगाड़ का हिसाब-किताब देख रही है वहीं मुख्य निर्वाचन आयोग हर बार की तरह इस बार भी निष्पक्ष वोटिंग करवाने के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है।
हाल में चुनाव आयोग ने जो कदम उठाया उसकी हर जगह तारीफ हो रही है। महाराष्ट्र में मुख्य निर्वाचन आयोग ने ट्रांसजेंडर गौरी सावंत को इलेक्शन एंबेस्डर बनाने का फैसला किया है। यह इसलिए भी खास है क्योंकि भारत में धारा 377 हटने के बाद पहली बार किसी ट्रांसजेंडर को चुनावों में यह अहम जिम्मेदारी दी गई है।
चुनाव आयोग का यह कहना है कि लोगों में फैले होमोफोबिया को दूर करने की दिशा में भी यह फैसला कारगर साबित हो सकता है। हर इलेक्शन एंबेस्डर की तरह गौरी भी लोगों को ज्यादा से ज्यादा वोट डालने के लिए प्रोत्साहित करेंगी।
कौन है गौरी सावंत ?
गौरी 38 साल की एक ट्रांसजेंडर एक्टिविस्ट हैं जो सखी चार चौघी नाम की एक सामाजिक संस्था चलाती है। गौरी की संस्था ट्रांसजेंडर और एड्स\एचआईवी से पीड़ित लोगों की हरसंभव मदद करती है। इसके अलावा वो अन्य कई सामाजिक संस्थाओं के साथ भी काम करती है। वहीं अपने समाज के लोगों के साथ होने वाले भेदभाव के खिलाफ भी वो आवाज उठाती रही है।
चुनाव आयोग की तरफ से मिली जिम्मेदारी पर गौरी का कहना है कि अगर “हम बॉर्डर पर जाकर लड़ाई नहीं लड़ सकते हैं तो हमें देश के लिए कम से कम वोट डालने तो जाना ही चाहिए”।
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