डायनोसार्स का अस्तित्व यूं तो बहुत पहले खत्म हो चुका है लेकिन यह एक ऐसा विशालकाय जानवर पुराने समय में रहा है जो आज भी लोगों के बीच चर्चा का विषय रहता है। इस जानवर के जीवश्म आज भी कई जगहों पर मिल जाते हैं। वैज्ञानिकों के लिए यह जानवर रिसर्च का एक बड़ा विषय है। यही कारण है कि आए दिन डायनोसोर को लेकर नई नई जानकारियां हमें मिलती रहती है। इसी कड़ी में वैज्ञानिकों ने हाल ही एक नया दावा किया है। जी हां, वैज्ञानिकों ने डायनासोर की एक नई प्रजाति का पता लगाया है और वह भी आठ करोड़ साल पुरानी। सुनकर चौंक गए ना! लेकिन यह सच है।
वैज्ञानिकों डक-बिल्ड डायनोसोर (बतख की चोंच जैसे जबड़े वाले) की नई प्रजाति की खोज की है, जो 8 करोड़ साल पहले धरती पर मौजूद थी। 1980 में पहली बार इस प्रजाति के जीवाश्म खोजे गए थे। इस प्रजाति के जबड़े का विशेष स्वरूप ही इसे दूसरे डायनासोर्स से अलग बनाता है।
सिस्टेमैटिक पेलियोन्टोलॉजी जर्नल में पब्लिश रिसर्च में अमेरिका के बिग बेंड नेशनल पार्क से मिली एक डक-बिल्ड डायनोसोर की खोपड़ी के बारे में डिटेल में हर जानकारी दी गई है। रिसर्च के अनुसार एक्वलिनहिनस पैलिमेंट्स नाम की नई प्रजाति की खोज की गई है। इस नई प्रजाति के डायनोसोर की नाक चोंच की तरह और नीचे के जबड़े काफी चौड़े थे। पिछली सदी के आठवें दशक में अमेरिका की टेक्सास यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर टाम लेहमन ने इस प्रजाति के डायनोसोर के कुछ जीवाश्म प्राप्त किए थे। 1990 में उन जीवाश्मों का अध्ययन करने के बाद यह बताया गया था कि यह जीवाश्म डक-बिल्ड डायनोसोर की एक प्रजाति ग्रिपोसॉरस की प्रजाति के हैं। हालांकि, वर्तमान में किए गए शोध के बाद से पुराने अध्ययनों को गलत माना गया है।
जीवाश्मों की विशेष संरचना देखने के बाद यह कहा जा रहा है कि ये ग्रिपोसॉरस के नहीं हैं। ये उससे भी भिन्न हैं और निश्चित ही किसी नई प्रजाति के हैं। डक-बिल्ड डायनोसोर को हेड्रोसारिड्स भी कहा जाता है। रिचर्स के अनुसार यह डायनोसोर उत्तरी मेक्सिको के पास दलदल के आसपास निवास करता था। जहां वर्तमान में चिहुआहुआन रेगिस्तान है।
इस नई प्रजाति के डायनासोर के जबड़े की अलग संरचना ही उसकी सबसे बड़ी खासियत है। अध्ययन के अनुसार आम तौर पर डक-बिल्ड डायनोसोर्स में किसी के जबड़े नुकीले तो किसी की चौड़े होते थे। वैज्ञानिकों के अनुसार इस प्रजाति के जबड़े फसल काटने के औजार की तरह रहे होगें, जिससे यह छोटे मोटे पौधों को काटकर आसानी से आहार बना सकता था। इसके ऊपर का जबड़ा यू आकार का, वहीं नीचे का डब्ल्यू आकार है।
फिलहाल वैज्ञानिक इसे बड़ी खोज मान रहे हैं और इस पर आगे और अध्ययन कर रहे हैं।
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