बचपन से ही शरारती स्वभाव के थे कांग्रेस नेता चंद्रभानु गुप्ता, तीन बार रहे यूपी के मुख्यमंत्री

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देश की राजनीति का एक ऐसा नेता जिसका यह मानना था कि जो भी करो हमेशा कुछ हटकर करो, ताकि दुनिया के पास तुम्हे याद करने की एक वजह तो होगी। जी हां, हम बात कर रहे हैं यूपी के भूतपूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता चंद्रभानु गुप्ता कि जो महज 19 दिनों के लिए प्रदेश के सीएम रहे पर, राजनीति के गलियारों में आज भी उनका नाम याद किया जाता है। 14 जुलाई 1902 को उत्तरप्रदेश में अलीगढ़ जिले के अतरौली नामक गांव में जन्मे गुप्ता ने सिर्फ 17 साल की उम्र में भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का रूख कर लिया था। आगे चलकर वो वर्ष 1929 में लखनऊ से कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष चुने गए। पूर्व स्वतंत्रता सेनानी व प्रसिद्ध कांग्रेस नेता चंद्रभानु गुप्ता की 14 जुलाई को 121वीं जयंती है। इस खास अवसर पर जानिए उनके जीवन के बारे में कुछ अनसुनी बातें…

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यूपी के सबसे शरारती मुख्यमंत्री रहे गुप्ता

यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रभानु गुप्ता के बारे में कहा जाता है कि वो बचपन से ही शरारती स्वभाव के थे। चंद्रभानु लखनऊ यूनिवर्सिटी में अपनी कॉलेज की पढ़ाई के दौरान साथियों से खूब हंसी-मजाक किया करते थे। कॉलेज के दौरान के उनके कई रोचक किस्से आज भी सुनने को मिलते हैं।

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जब प्रोफेसर की कुर्सी पर लगा दी पिनें

एक बार की बात है जब गुप्ता के कॉलेज में उन दिनों एक प्रोफेसर हुआ करते थे देवेंद्र चक्रवर्ती। चंद्रभानु गुप्ता और उनके दोस्तों को वो प्रोफेसर शुरू से पसंद नहीं थे। एक दिन उनके मन में प्रोफेसर के साथ शरारत करने का ख्याल आया। गुप्ता ने प्रोफेसर के साथ मजाक करने के लिए दोस्तों के साथ मिलकर उनकी कुर्सी पर छोटी-छोटी पिनें लगा दीं।

क्लास शुरू होने पर प्रोफेसर क्लास में आए और जैसे ही कुर्सी पर बैठे एकदम से चिल्ला उठे और उठ खड़े हुए। प्रोफेसर चक्रवर्ती ने इसके बाद कॉलेज के प्रिंसिपल से इस मामले की शिकायत की, लेकिन काफी जांच के बाद भी क्लास के किसी छात्र ने मुंह नहीं खोला और यह शरारत की योजना बनाने वाले स्टूडेंट यानि चंद्रभानु गुप्ता का नाम सामने नहीं आया।

एक बार महज़ 19 दिन के मुख्यमंत्री भी रहे गुप्ता

कांग्रेस में चल रहे टकराव व मतभेद पंडित जवाहर लाल नेहरू के निधन के बाद खुलकर सामने आए। इंदिरा गांधी के समय कांग्रेस में दो धड़े दिखाई देने लग गए। हालांकि, गुप्ता जी ने इंदिरा और संगठन के साथ मिलकर उत्तर प्रदेश की राजनीति को एक नई दिशा देने का काम किया। लखनऊ से कांग्रेस अध्यक्ष पद संभालने के बाद चंद्रभानु गुप्ता 3 बार यूपी के सीएम पद पर रहे थे।

गुप्ता ने पहली बार 7 दिसंबर, 1960 को यूपी के मुख्यमंत्री पद की शपथ लीं। इसके बाद 14 मार्च, 1967 को दोबारा मुख्यमंत्री चुने गए, हालांकि ये कार्यकाल उनका महज 19 दिनों का ही रहा। इसके बाद वो 26 फरवरी, 1969 को तीसरी बार उत्तर प्रदेश के सीएम बने। गुप्ता 18 फरवरी, 1970 तक मुख्यमंत्री पद पर रहे। 11 मार्च, 1980 को चंद्र भानु गुप्ता का 77 साल की उम्र में राजधानी दिल्ली में निधन हो गया।

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