भारतीय रिजर्व बैंक यानी आईबीआई के गवर्नर रह चुके उर्जित पटेल की सरकार में एक बार फिर वापसी हुई है। आईबीआई प्रमुख पद से इस्तीफा देने के 18 महीनों बाद एक बार पटेल को महत्वपूर्ण पद पर नियुक्ति मिली है। दरअसल, उर्जित पटेल को शुक्रवार को भारत के प्रमुख आर्थिक थिंक टैंक ‘राष्ट्रीय लोक वित्त एवं नीति संस्थान’ यानी एनआईपीएफपी का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। इसके साथ ही पटेल की मोदी सरकार में वापसी हो गई।
एनआईपीएफपी ने अपने एक बयान में कहा कि उर्जित पटेल लगभग छह सालों तक एनआईपीएफपी की कमान संभालने वाले पूर्व नौकरशाह विजय केलकर की जगह लेंगे। वह 22 जून को पद संभालेंगे और उनका कार्यकाल चार साल का होगा। बता दें, एनआईपीएफपी वित्त मंत्रालय, पूर्ववर्ती योजना आयोग और कई राज्य सरकारों द्वारा संयुक्त रूप से स्थापित एक स्वायत्त निकाय है। यह एक स्वतंत्र गैर-सरकारी निकाय है और केंद्र सरकार के साथ-साथ राज्यों को सलाह देते हुए सार्वजनिक नीति में अनुसंधान करता है।
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जानकारी के अनुसार, गवर्निंग काउंसिल का पूर्व आरबीआई प्रमुख उर्जित पटेल को नियुक्त करने का निर्णय इस बात का संकेत है कि केंद्र उनके अनुभव का इस्तेमाल कर कोविड-19 से उत्पन्न आर्थिक चुनौतियों का सामना करना चाहती हैं। एनआईपीएफपी की गवर्निंग काउंसिल, जिसमें राजस्व सचिव, आर्थिक मामलों के सचिव और केंद्रीय वित्त मंत्रालय के मुख्य आर्थिक सलाहकार शामिल हैं, इन सभी लोगों ने नीति आयोग, आरबीआई और तीन राज्य सरकारों के प्रतिनिधियों के साथ मिलकर गुरुवार को एक बैठक की। बैठक में केलकर द्वारा पटेल को अध्यक्ष के रूप में नामित करने वाले निमंत्रण पर सहमति बनी।
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