शिक्षा

भूतपूर्व पीएम वाजपेयी की कविता स्कूली बच्चों को सिखाएगी ‘कदम मिलाकर चलना’

File-Image: Former PM Atal Bihari Vajpayee.

देश के भूतपूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की छवि एक ऐसे नेता के रूप में थी जिसके व्यक्तित्व के विरोधी भी कायल थे। भूतपूर्व पीएम वाजपेयी को देश के उन चुनिंदा राजनेताओं में से एक माना जाता है जिनकी दूरदर्शी सोच थी। वाजपेयी ने अपने राजनीतिक कॅरियर में कई अहम फैसले लिए थे। जिसकी बदौलत देश और स्वयं की राजनीतिक छवि को मज़बूती मिली थी। वे एक राजनीतिज्ञ, अच्छा वक्ता होने के साथ ही कवि भी थे। उनकी कई कविताएं आज भी लोगों के बीच बहुत लोकप्रिय है। वाजपेयी की इन प्रसिद्ध कविताओं में से एक कविता अब आठवीं कक्षा के बच्चों को पढ़ाई जाएगी।

एनसीईआरटी ने किताब में शामिल करने का लिया निर्णय

एनसीईआरटी यानी नेशनल काउंसलिंग ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग ने दिवंगत प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की कविता को बुक्स में शामिल करने का निर्णय लिया है। भूतपूर्व पीएम वाजपेयी की कविता ‘कदम मिलाकार चलना होगा’ को 8वीं क्लास के बच्चों को पाढ़ के रूप में पढ़ाई जाएगी। ऐसा कहा जा रहा है कि वाजपेयी के योगदान और उनकी उपलब्धियों को अमर रखने के लिए एनसीईआरटी ने यह निर्णय लिया है।
8वीं कक्षा की हिंदी की किताब वसंत में भूतपूर्व प्रधानमंत्री वायपेयी की कविता को शामिल कर लिया गया है।

गौर करने वाली बात यह है कि इस किताब में वाजपेयी के साथ ही प्रसिद्ध लेखक, कवि सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’, रामधारी सिंह ‘दिनकर’, हजारी प्रसाद द्विवेदी, इस्मत चुग़ताई और हरिशंकर परसाई जैसे प्रसिद्ध लेखकों के द्वारा लिखी गई कविताएं, निबन्ध, और लघु कथाएं भी शामिल हैं। भूतपूर्व पीएम वाजपेयी की यह कविता देशवासियों से कदम से कदम मिलाकर एक साथ चलने का अनुरोध करती है। एनसीईआरटी के इस निर्णय के बाद माना जा रहा है कि वाजपेयी की यह कविता आठवीं कक्षा की किताब में जल्दी ही छपना शुरू हो जाएगी। इससे बच्चों को भूतपूर्व प्रधानमंत्री के कवि होने का भी पता चल सकेगा। एनसीईआरटी की इस पहल को राज्य स्तर पर भी अपनाया जा सकता है।

भूतपूर्व पीएम वाजपेयी की यह कविता होगी शामिल:

बाधाएं आती हैं आएं

घिरें प्रलय की घोर घटाएं,

पावों के नीचे अंगारे,

सिर पर बरसें यदि ज्वालाएं,

निज हाथों में हंसते-हंसते,

आग लगाकर जलना होगा।

कदम मिलाकर चलना होगा।।

हास्य-रूदन में, तूफानों में,

अगर असंख्यक बलिदानों में,

उद्यानों में, वीरानों में,

अपमानों में, सम्मानों में,

उन्नत मस्तक, उभरा सीना,

पीड़ाओं में पलना होगा।

कदम मिलाकर चलना होगा।

उजियारे में, अंधकार में,

कल कहार में, बीच धार में,

घोर घृणा में, पूत प्यार में,

क्षणिक जीत में, दीर्घ हार में,

जीवन के शत-शत आकर्षक,

अरमानों को ढलना होगा।

कदम मिलाकर चलना होगा।

सम्मुख फैला अगर ध्येय पथ,

प्रगति चिरंतन कैसा इति अब,

सुस्मित हर्षित कैसा श्रम श्लथ,

असफल, सफल समान मनोरथ,

सब कुछ देकर कुछ न मांगते,

पावस बनकर ढलना होगा।

कदम मिलाकर चलना होगा।

कुछ कांटों से सज्जित जीवन,

प्रखर प्यार से वंचित यौवन,

नीरवता से मुखरित मधुबन,

परहित अर्पित अपना तन-मन,

जीवन को शत-शत आहुति में,

जलना होगा, गलना होगा।

कदम मिलाकर चलना होगा।।

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Raj Kumar

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