17वीं लोकसभा का पहला सत्र चल रहा है, ऐसे में कांग्रेस की बैचेनी कम होने का नाम नहीं ले रही, जिसका कारण है मनमोहन सिंह। जी हां, पार्टी के सबसे कद्दावर नेता एवं पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह का राज्यसभा कार्यकाल 15 जून को खत्म हो गया जिसके बाद उनके राज्यसभा जाने की संभआवनाओं पर काले बादल छा गए। ऐसे में 1991 से लगातार 5 बार राज्यसभा सांसद रहने वाले मनमोहन सिंह 27 सालों में पहली बार संसद में नहीं जा पाए।
1991 में जब नरसिम्हा राव की सरकार थी तब असम राज्य से मनमोहन सिंह को राज्यसभा भेजा गया तब से वो हर बार वहीं से राज्यसभा पहुंचे। लेकिन इस बार पेंच अलग फंस गया है। ताजा जानकारी यह है कि कांग्रेस ने इतने दिन तमिलनाडू से डीएमके उम्मीद लगा रखी थी, अब वो भी खत्म हो गई है। डीएमके ने अपने राज्यसभा उम्मीदवारों के नाम जारी किए हैं जिसमें मनमोहन सिंह का नाम नहीं है।
मनमोहन सिंह इस बार फिर असम से राज्यसभा क्यों नहीं जा सकते ?
दरअसल 28 साल से जो होता आ रहा है वो मामला इस बार थोड़ा अलग है। जून 2016 में असम में विधानसभा चुनाव हुए। 126 सीटों वाली विधानसभा में कांग्रेस के महज 26 विधायक पहुंचे। कांग्रेस की इस हार के बाद मनमोहन सिंह की असम से राज्यसभा जाने की उम्मीदें भी चकनाचूर हो गई।
अब जिन सदस्यों को राज्यसभा के लिए 2014 में चुना गया था उनका कार्यकाल अप्रैल 2020 में खत्म होगा ऐसे में कांग्रेस को मनमोहन सिंह की फिर से एंट्री करवाने के लिए एक साल का इंतजार करना पड़ेगा।
अब ऊपर आप मनमोहन सिंह के बारे पढ़कर राज्यसभा के गणित के बारे में जरूर सोच रहे होंगे, इसलिए हमने सोचा क्यों ना इस मौके पर आपको राज्यसभा का पूरा झोल समझाया जाए, तो आइए जानते हैं।
संसद का ऊपरी सदन है राज्यसभा
भारतीय संसद में संविधान के मुताबिक दो सदन हैं जिन्हें लोकसभा और राज्यसभा कहा जाता है। राज्यसभा संसद का ऊपरी सदन है। इसके सदस्यों का कार्यकाल 6 साल का होता है जिनमें से एक तिहाई सदस्यों का कार्यकाल हर 2 साल बाद खत्म हो जाता है जिसका मतलब यह हुआ कि हर दो साल में एक तिहाई सदस्य बदल जाते हैं। इसलिए राज्यसभा कभी भी भंग नहीं होती है।
भारत के उपराष्ट्रपति राज्यसभा के सभापति होते हैं। संविधान के अनुच्छेद 80 के अनुसार राज्यसभा में अधिकतम 250 सदस्य हो सकते हैं। जिनमें से 12 सदस्य राष्ट्रपति चुनते हैं जिन्हें मनोनीत सदस्य कहा जाता है और 238 सदस्य राज्यों के प्रतिनिधि चुनते हैं जिन्हें निर्वाचित सदस्य कहते हैं।
किस राज्य के कितने राज्यसभा सांसद ?
किसी भी राज्य की जनसंख्या के आधार पर वहां से राज्यसभा सदस्य तय किए जाते हैं। सदस्यों के लिए चुनाव होता है जिसमें वोट राज्य की विधानसभाओं के सदस्य यानि एमएलए डालते हैं।
कैसे चुना जाता है एक राज्यसभा सांसद ?
चुनाव में नामित हुए सदस्य को न्यूनतम मान्य वोट हासिल करने होते हैं। आइए एक उदाहरण से समझते हैं। जैसे उत्तर प्रदेश विधानसभा में कुल विधायक 403 हैं। किसी नामित व्यक्ति को चुनाव जीतने के लिए कितने विधायकों का समर्थन हासिल करना होगा इसको ऐसे निकाला जाता है।
फॉर्मूला = कुल विधायकों की संख्या / चुने जाने वाले सदस्य + 1
जैसे 10 राज्यसभा सदस्यों चुनने हैं तो इसमें हमनें 1 जोड़ा फिर कुल विधायक 403 थे तो उसमें 11 का भाग दिया। परिणाम आया 36.66 राउंड फिगर देखें तो 37। इसका मतलब उत्तर प्रदेश से राज्यसभा सांसद चुने जाने के लिए उम्मीदवार को 37 प्राथमिक वोट चाहिए होंगे।
राज्यसभा का मौजूदा गणित
राज्यसभा की कुल 245 सीटों में से फिलहाल एनडीए के पास सबसे ज्यादा 108 सीटें हैं तो यूपीए के पास 63 सीटें हैं।
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