देशभर में इस बार 8 अक्टूबर को एयरफोर्स-डे और दशहरा हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। यह एक संयोग मात्र ही था कि इस बार वायुसेना दिवस के दिन दशहरा पर्व भी था। इसके अलावा एक ख़ास वजह से यह दिन भारतीय वायुसेना के ऐतिहासिक दिन के रूप में दर्ज हो गया है। इस दिन भारत को फ्रांस से अपना पहला राफ़ेल विमान प्राप्त हुआ। देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने दशहरे के दिन फ्रांस में पहले राफेल विमान को रिसीव किया। इस दौरान विमान की पारंपरिक तरीके से पूजा की गई। इसके बाद रक्षा मंत्री ने विमान में करीब 30 मिनट की उड़ान भी भरी। भारतीय सनातन संस्कृति के अनुसार, दशहरा पर भारत में शस्त्र पूजन किया जाता है। इसलिए भारत ने एयरफोर्स-डे और दशहरा के अवसर पर 8 अक्टूबर को अपना पहला राफेल रिसीव किया।
भारत को अपना पहला राफ़ेल विमान औपचारिक तौर पर 8 अक्टूबर को हैंडओवर हो गया है। लेकिन हिंदुस्तान आने और भारतीय वायुसेना में शामिल होने में राफेल को अभी लगभग 8 महीने का समय लगेगा। फ्रांस से भारत को कुल 36 राफ़ेल विमान मिलने हैं। भारत ने फ्रांस की दसॉल्ट एविएशन से 59000 करोड़ रुपए में यह सौदा किया है। राफेल विमान 4-5वीं जनरेशन के लड़ाकू विमान माने जाते हैं और कई अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस है। पिछले कुछ समय से पाकिस्तान के अमेरिकन एफ-16 और चीन के जे-20 को करारा जवाब देने के लिए भारतीय वायुसेना इन राफ़ेल विमान की जरूरत महसूस कर रही थी।
राफ़ेल विमान के इंडियन एयरफोर्स में शामिल होने से हमारी वायुसेना की ताकत कई गुना तक बढ़ जाएगी। हालांकि, राफेल विमान की अंतिम किस्त अप्रैल-मई 2022 तक भारत को मिलेंगी। फिलहाल राफेल की उड़ान भरने के लिए वायुसेना के पायलट्स की ट्रेनिंग शुरू की जाएगी। इसमें कई महीनों का समय लगेगा। फ्रांस की दसॉल्ट के साथ 36 विमानों की डील में से भारत को 4 विमानों की पहली किस्त मई 2020 तक मिलने वाली है।
भारत ने फ्रांस से कुल 36 राफेल विमान की डील की है, इसके तहत सभी विमान भारत आएंगे। दशहरे के उपलक्ष्य पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इसी डील के तहत बने पहले विमान को रिसीव किया। ये सिर्फ एक आधिकारिक हैंडओवर था। फिलहाल भारत का यह राफेल विमान फ्रांस में ही रहेगा। भारतीय वायुसेना के जवान फ्रांस का दौरा कर वहां इस विमान की ऑपरेशन ट्रेनिंग लेंगे। फ़रवरी 2021 तक भारत को आधे यानि 18 राफ़ेल विमान सौंप दिए जाएंगे। इसके बाद ये काम करना शुरु कर देंगे। डील के तहत सभी राफेल विमान सितंबर 2022 तक भारत को सौंपे जाने हैं। दसॉल्ट एविएशन की कोशिश होगी कि वह अप्रैल-मई 2022 तक ही भारत को सभी राफेल विमान सौंप दें।
भारत को साल 2022 तक सभी राफ़ेल विमान मिलने के बाद देश के दो प्रमुख एयरबेस पर इनकी तैनाती की जाएगी। 18-18 विमानों की दो स्क्वाड्रन पाकिस्तान और चीन को जवाब देने का काम करेगी। पहली स्क्वाड्रन पाकिस्तान को जवाब देने के लिए हरियाणा स्थित अंबाला एयरबेस और दूसरी स्क्वाड्रन चीन को ध्यान में रखते अरुणाचल प्रदेश के पास भारतीय वायुसेना के एयरबेस पर तैनात की जाएगी।
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इनकी तैनाती के बाद पाकिस्तान और चीन की किसी भी चुनौती का त्वरित जवाब दिया जाएगा। इसलिए भारत के लिए राफ़ेल विमान का महत्व बहुत अधिक है। विमान की सबसे ख़ास बात यह है कि फ्रांस की विमान कंपनी ने राफेल को पाक और चीन की रक्षा प्रणाली को माकूल जवाब देने के हिसाब से तैयार किया है।
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