80-90 के दशक के भारतीय सिनेमा को सबसे पॉपुलर दौर के तौर पर जाना जाता है। इस दौरान बॉलीवुड की कई बड़ी पॉपुलर फिल्में रिलीज हुईं। हिंदी सिनेमा के इस सबसे अच्छे दौर में कई ऐसी फिल्में बनीं जिन्हें लोगों का बहुत प्यार मिला। ये फिल्म आज हिंदी सिनेमा के लिए बेमिसाल मानी जाती है। ऐसी ही एक फिल्म वर्ष 1983 में आई ‘जाने भी दो यारों’ थीं। प्रसिद्ध डायरेक्टर कुंदन शाह के निर्देशन में बनीं इस फिल्म को 36 साल पूरे हो गए हैं। ऐसे में आइए इस अवसर पर जानते हैं क्लासिक कॉमेडी फिल्म ‘जाने भी दो यारों’ से जुड़े कुछ दिलचस्प किस्से..
फिल्म ‘जाने भी दो यारों’ की कहानी दो फोटोग्राफर्स के इर्द-गिर्द घूमती है, जो अनजाने में एक मर्डर को अपने कैमरे में कैद कर लेते हैं। अगर आपने फिल्म नहीं देखीं तो आप सोचेंगे कॉमेडी फिल्म का मर्डर से क्या कनेक्शन, हो सकता है यह आपको हैरान भी करे। मगर इस फिल्म के डायरेक्टर कुंदन शाह ने अपने शानदार डायरेक्शन का बखूबी इस्तेमाल किया और कॉमेडी सहित एक डार्क स्टायर मूवी तैयार की। बाद में इस फिल्म के लिए डायरेक्टर कुंदन शाह के काम की जमकर सहाहना हुई थी। उस दौर की इस फिल्म का आज कॉमेडी और डायरेक्शन के लिए उदाहरण पेश किया जाता है।
फिल्म ‘जाने भी दो यारों’ के बारे में सबसे ख़ास बात यह है कि इस को नेशनल फिल्म डेवलपमेंट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनएफडीसी) ने प्रोड्यूस की थी। कई रिपोर्ट्स के मुताबिक़, इस फिल्म को बनाने के लिए महज 5 लाख रुपए का बजट था। फिल्म में नौ प्रमुख स्ट्रगलिंग एक्टर थे। फिल्म ‘जाने भी दो यारों’ में नसीरुद्दीन शाह, ओम पुरी, सतीश कौशिक, नीना गुप्ता, सतीश शाह, पंकज कपूर, रवि वासवानी, अशोक बंथिया और भक्ति बार्वे ने अहम रोल निभाए। उस दौर में मुख्य स्ट्रगलिंग कलाकारों को साथ लेकर बनाई गई यह फिल्म लोगों को बेहद आई।
फिल्म ‘जाने भी दो यारों’ के बारे में बात करते हुए एक इंटरव्यू के दौरान नसीरुद्दीन शाह ने बताया था कि इस फिल्म की सफलता हम सबके लिए बहुत मायने रखती है, क्योंकि उस वक़्त हम सभी स्ट्रगलर्स के दौर से गुज़र रहे थे। उन्होंने बताया था कि फिल्म के किसी भी कलाकार के पास ना घर था ना गाड़ी। सिर्फ सतीश शाह के पास अपना खुद का घर था। हम सभी उन्हीं के घर पर जाकर जमा होते थे। बता दें कि नसीरुद्दीन की शादी उन दिनों ही हुई थी, इसलिए वह और सतीश घर से खाने-पीने का सामान आ जाता था। ओम पुरी, पंकज कपूर जैसे आज के बड़े नाम पेईंग गेस्ट रहते थे।
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फिल्म ‘जाने भी दो यारों’ के बारे में कहा जाता है कि इसकी शूटिंग के लिए इसके कलाकार 24-24 घंटे तक काम किया करते थे। इस फिल्म को लेकर नसीर को पहले लगता था कि यह उनका सबसे बेवकूफ़ी भरा काम है। वह उस वक़्त मेथड एक्टिंग में थे और अक्सर कुंदन से सीन्स के लॉजिक पर लड़ पड़ते थे। बाद में जब यह फिल्म रिलीज हुई तो सभी स्ट्रलिंग कलाकारों को बड़ी पहचान दी।
फिल्म ‘जाने भी दो यारों’ को सिने दर्शकों ने जमकर सराहा था। ख़ासकर इस फिल्म के महाभारत वाले सीन की खूब तारीफ़ हुई। उल्लेखनीय है कि इस फिल्म को वर्ष 2012 में पूरे देश में री-रिलीज किया गया था। डायरेक्टर कुंदन शाह को इस फिल्म के लिए वर्ष 1984 में इंदिरा गांधी अवॉर्ड से नवाज़ा गया था। एक्टर रवि वासवानी को इस फिल्म के लिए बेस्ट कॉमेडियन फिल्मफेयर अवॉर्ड मिला था। बता दें, वर्ष 2007 में भी इसी नाम से एक फिल्म रिलीज हुई थी।
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