एयर इंडिया ने हाल में एक फरमान जारी किया है जिसके बाद क्रू सदस्यों को अब हर फ्लाइट के उड़ने की घोषणा या अन्य किसी भी अनाउंसमेंट के बाद पूरे जोश के साथ चेहरे पर मुस्कान लिए “जय हिंद” बोलना होगा। अब एयर इंडिया के इस फरमान के बाद जहां लोगों के मन में एक तरह की कुलबुलाहट है कि ऐसा फरमान क्यों जारी हुआ वहीं जम्मू-कश्मीर की पूर्व सीएम महबूबा मुफ्ती ने इसे राष्ट्रवादी लहर को गर्म करने के उद्देश्य से जोड़ दिया।
इस बीच एक सवाल यह भी कई लोगों के मन में उठा कि आखिर बचपन से हर हिंदुस्तानी ‘जय हिंद’ क्यों बोलता आया है, किसने सबसे पहले इस नारे को आवाज दी थी। आइए जानते हैं।
नेताजी ने बनाई आजाद हिंद फौज
देश को आजाद करवाने का जज्बा लिए 1941 में से नेताजी यानि सुभाषचंद्र बोस अंग्रेजों से बचकर किसी ना किसी तरह अफगानिस्तान से होकर जर्मनी पहुंचे। जर्मनी पहुंचकर नेता जी ने ब्रिटिश सेना का डटकर मुकाबला करने के लिए एक सेना खड़ी करने का सोचा। नेताजी इस सेना में उन भारतीय सैनिकों को शामिल करना चाहते थे जिन्होंने अंग्रेज़ों की ओर से उत्तरी अफ्रीका में जंग लड़ी और वहां कैदी बना लिए गए।
अंग्रेज हमेशा से ही बांटने की राजनीति करते आए हैं। अंग्रेज अपनी सेना में भारतीय सिपाहियों को जाति, खान-पान, रहन-सहन के हिसाब से छंटनी कर अलग-अलग रेजीमेंट बनाकर रखते थे। आपस में लोग इतने बंटे हुए थे कि कोई हिंदू सिपाही ‘नमस्ते’ या ‘राम-राम’ कहता तो कोई मुस्लिम सिर्फ ‘सलाम-अलेकुम’ बोलते।
सभी सिपाहियों का आपस में इस तरह का अभिवादन और रहन-सहन देखकर नेताजी बहुत व्यथित हुए। नेताजी हमेशा से चाहते थे कि एक ऐसी फौज खड़ी हो जहां लोग हर भेदभाव से ऊपर उठकर रहें। भेदभाव का ये नशा उतारने के लिए नेताजी ने अपनी सेना के भीतर एक ऐसे अभिवादन को शुरू करने का सोचा जिसे सभी को बोलना होगा। यह काम नेताजी के भरोसेमंद आबिद हसन को दिया गया।
हैदराबाद के आबिद हसन ने पहली बार कहा था “जय हिंद”
आबिद हसन को नेताजी और बचपन से महात्मा गांधी से बेहद प्रभावित माना जाता है। साबरमती आश्रम में गांधी के साथ वक्त बिताने के बाद जर्मनी में वो नेताजी के साथ रहे। आबिद ने नेताजी द्वारा दिए गए काम पर रात-दिन चिंतन किया और एक दिन जब उन्होंने राजपूत सिपाहियों को ‘जय रामजी की’ बोलते सुना उन्होंने तुरंत बोला ‘जय हिंदुस्तान की’ । आगे चलकर यह इसी अभिवादन ने जय हिंद का रूप लिया।
आबिद हसन का यह अभिवादन नेताजी और फौज में हर किसी को पसंद आया। आज़ाद हिंद फौज ने इसे ही अपना अभिवादन बनाया। सालों साल बाद हमारे देश में यह राष्ट्रीय अभिवादन के रूप में स्वीकार किया गया। आज हर देशवासी पूरे जोश के साथ जय हिंद बोलता है।
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