पुराने दौर के मशहूर भारतीय संगीतकारों की चर्चा हो और पंचम दा यानि आर.डी. बर्मन (राहुल देव बर्मन) साहब का जिक्र न हो, ऐसा हो ही नहीं सकता। एक ऐसे संगीतकार जो चुटकियों में धुन बना दिया करते थे। उनके गाने हर श्रोता के दिल को छूते थे। राहुल देव बर्मन का जन्म 27 जून, 1939 को बंगाल प्रांत के कोलकाता शहर में प्रसिद्ध संगीतकार सचिन देव बर्मन (एसडी बर्मन) के घर जन्म हुआ था। आज आर.डी. बर्मन साहब की 84वीं बर्थ एनिवर्सरी के अवसर पर जानिए उनके जीवन के बारे में कुछ रोचक बातें…
बचपन से संगीत की दुनिया देख रहे जूनियर बर्मन ने भी संगीत को ही अपना कॅरियर बनाया। संगीत उनकी रगों में इतना रचा बसा था कि वे सोते जागते बस इसी के बारे में सोचते थे। बारिश की बूंदो से लेकर घर में रखे गिलास तक से म्यूजिक कंपोज़ कर लेने वाले आरडी बर्मन यानि राहुल देव बर्मन ने ना केवल भारतीय म्यूजिक इंडस्ट्री बल्कि, विदेशों में भी अपने पंख फैलाए थे।
आर.डी. बर्मन को ‘पंचम दा’ के नाम से पुकारा जाता था। उन्हें यह नाम मिलने के पीछे एक किस्सा छिपा है। दरअसल, राहुल देव बर्मन बचपन में जब भी गुनगुनाते थे ‘प’ शब्द का ही इस्तेमाल करते थे। यह बात अभिनेता अशोक कुमार को पता थी। सा रे गा मा पा में ‘प’ का स्थान पांचवां है। इसलिए उन्होंने राहुल देव को पंचम नाम से पुकारना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे अन्य लोगों के बीच भी उनका ये नाम प्रचलित हो गया।
आरडी बर्मन को संगीत से कितना प्यार था इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने 9 साल की उम्र में ही पहला गाना कंपोज कर दिया था। इस गाने ‘ऐ मेरी टोपी पलट के आ’ का इस्तेमाल उनके पिता ने फिल्म ‘फंटूश’ (1956) में किया था।
आरडी बर्मन को सबसे पहले गुरुदत्त के असिसटेंट निरंजन नामक फिल्मकार ने 1959 में फिल्म ‘राज’ के लिए साइन किया था। उन्होंने दो गाने रिकॉर्ड भी किए। फिल्म का पहला गाना आशा भोंसले और गीता दत्त और दूसरा गाना शमशाद बेगम ने गाया था। लेकिन बाद में यह फिल्म बंद हो गई।
इसके बाद उनको पहला बड़ा मौका 1966 में विजय आनंद निर्देशित फिल्म ‘तीसरी मंजिल’ से मिला। फिल्म के हीरो शम्मी कपूर और निर्माता नासिर हुसैन नहीं चाहते थे कि आरडी इस फिल्म में संगीत दें। निर्देशक के जोर देने पर उन्होंने हां कर दी। फिल्म का संगीत सुपरहिट रहा और आर.डी. बर्मन बॉलीवुड में जम गए।
1970 में बर्मन ने फिल्म ‘हरे रामा हरे कृष्णा’ का ‘दम मारो दम’ गाना बनाया जो आज भी हिट है। इस गाने ने बॉलीवुड में भूचाल ला दिया था, क्योंकि ऐसा रॉक नंबर पहले कभी नहीं आया था। बताया जाता है कि इस गाने की धुन सुनकर सचिन देव बर्मन इतने दुखी हुए थे कि वे स्टूडियो से उठकर चले गये थे। वे इस बात से नाराज थे कि आरडी ने उनकी शैली त्याग दी थी।
निजी जिंदगी की बात करें तो आरडी बर्मन की पहली शादी रीता पटेल से हुई थी। रीता उनकी फैन थीं। दोनों की पहली मुलाकात दार्जिलिंग में हुई थी रीता ने अपने एक दोस्त से शर्त लगाई थी कि वो आरडी बर्मन के साथ मूवी डेट पर जाएंगी और उन्होंने ऐसा कर दिखाया था। 1966 में दोनों की शादी हुई, लेकिन यह रिश्ता ज्यादा दिन नहीं चल सका और 1971 में दोनों का तलाक हो गया। 1980 में बर्मन ने आशा भोंसले से शादी की। दोनों ने कई हिट गाने दिए और कई लाइव परफॉर्मेंस भी दी, लेकिन आखिरी दिनों में दोनों अलग हो गये थे।
युवाओं को हमेशा आरडी बर्मन का संगीत पसंद आया। उनकी धुनों का ही कमाल है कि आज भी उनके गाने अमर हैं। खास बात यह है कि रीमिक्स के इस दौर में सबसे ज्यादा उन्हीं के गाने रिमिक्स किए जाते हैं। अपने अंतिम दिनों में उन्होंने ‘1942 अ लव स्टोरी’ में यादगार संगीत दिया। बतौर संगीतकार आर डी बर्मन 17 बार फिल्मफेयर अवॉर्ड्स के लिए नॉमिनेट हुए। लेकिन तीन बार ही उन्हें ‘सनम तेरी कसम’ (1983), ‘मासूम’ (1984) और ‘1942 : ए लव स्टोरी’ (1995) के लिए यह अवॉर्ड मिला। उन्होंने 331 फिल्मों में संगीत दिया, जिनमें से 292 हिंदी में हैं। आरडी बर्मन ने 4 जनवरी, 1994 को मात्र 54 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया।
मेहबूबा मेहबूबा…
आने वाला पल जाने वाला है…
ओ मेरे दिल के चैन…
हमें तुमसे प्यार कितना…
चुरा लिया है तुम ने…
तुम आ गए हो…
कुछ तो लोग कहेंगे…
ये शाम मस्तानी…
तूने ओ रंगीले…
गुलाबी आंखें…
बचना ऐ हसीनों…
बाहों में चले आओ…।
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