इन दिनों श्राद्ध पक्ष चल रहा है। सभी लोग अपने पितृों को तर्पण कर रहे हैं ताकि उनके प्रियाजनों की आत्मा को शांति मिल सके। श्राद्ध पर खास तौर पर विभिन्न लजीज व्यंजन बनाए जाते हैं। कहते हैं इस तरह के भोग से अपने लोगों की आत्मा प्रसन्न होती है। इस कड़ी में इमरती भी खास तौर पर भोग के रूप में रखी जाती है। मीठे के तौर पर उड़द की दाल से बनी इमरती का भोग लगाया जाता है। इन दिनों बाजार में हर मिठाई की दुकान पर इमरती खरीदने वालों की भीड़ दिखाई देती है। क्या आपको पता है कि उत्तर प्रदेश के जौनपुर की इमरती भी काफी खास है। यह इतनी प्रसिद्ध है कि दूर दूर तक इसका स्वाद लेने के लिए लोग आते हैं। आइए आपको इस विश्व प्रसिद्ध इमरती के बारे में विस्तार से बताते हैं…।
यूपी की राजधानी लखनऊ से लगभग 250 किलोमीटर दूर एक जिला है जौनपुर। यहां लोग दूर-दूर से सिर्फ इमरती खाने आते हैं। जी हां, इस छोटे से शहर की इमरती काफी मशहूर है। करीब 200 साल से इस इमरती के स्वाद में कोई फर्क नहीं आया है। बेनीराम की इमरती के नाम से फेमस इमरती लगातार लोगों के मुंह में मिठास पैदा कर रही है।
बताया जाता है कि इमरती की खोज भारत में ही हुई है। इसे अरब से आई जलेबी का देसी वर्जन कहा जाता है। इसे भी जलेबी की तरह ही बनाया जाता है लेकिन इसकी डिजाइन थोड़ी सी अलग होती है। इसे भारत में ‘कंगन’ के नाम से भी पुकारा जाता है। इसका रंग जलेबी से कुछ अलग होता है। यह सुर्ख लाल या नारंगी की होती है। जौनपुर की इमरती की बात करें तो इसमें ऊपर से कोई रंग नहीं मिलाया जाता है इसलिए यह लाइट ब्राउन कलर की नज़र आती है।
लकड़ी की धीमी आंच पर देसी चीनी (खांडसारी), देसी घी और उड़द की दाल का प्रयोग करके इस इमरती को बनाया जाता है। यह इतनी मुलायम होती है कि यह मुंह में डालते ही घुल जाती है। जहां देश के अलग-अलग हिस्सों में मिलने वाली इमरती ताजी और गर्म ही खाई जाती है, वहीं जौनपुर की इस इमरती को गर्म तो खाया ही जा सकता है साथ ही इसको ठंडा करके खाने पर भी जबरदस्त स्वाद मिलता है। यहां की इमरती ना सिर्फ नामचीन लोगों को पसंद है बल्कि इसका स्वाद विदेशों तक फैला है। इस इमरती की एक और खासियत है, वह यह कि यह दस दिनों तक खराब नहीं होती।
जौनपुर की इमरती इस कदर प्रसिद्ध हो चुकी है इसका बाजार दिन प्रतिदिन बढ़ रहा है। ना सिर्फ जौनपुर बल्कि आस पास के इलाकों में भी इमरती की डिफरेंट वैराइटीज मिलने लगी हैं। जौनपुर शहर से 20 किलोमीटर अंदर जौनपुर-भदोही मार्ग पर एक कस्बा है। नाम है रामदायाल गंज। पिछले कुछ सालों से यह बाजार भी अपनी इमरतियों के लिए काफी तेजी से फेमस हुआ है। देसी घी की इमरती के ऊपर रबड़ी की परत आपके जायके को और भी बढ़ा देती है। रबड़ी के साथ इस इमरती को खाते ही यह मुंह में घुल जाती है।
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