“कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता, कहीं ज़मीन कहीं आसमाँ नहीं मिलता…” ये नज्म सुनते ही हमारे जहन में शायर निदा फ़ाज़ली का नाम सामने आ जाता है। निदा फ़ाज़ली साहित्य की दुनिया की एक ऐसी मशहूर शख्सियत हैं, जिनकी नज्मों, गजलों और शायरियों ने तमाम लोगों का दिल जीत लिया। निदा फ़ाज़ली का जन्म दिल्ली के एक कश्मीरी परिवार में 12 अक्टूबर, 1938 को हुआ था।
निदा का असल नाम मुक़्तदा हसन निदा है। देश के बंटवारे के बाद उनका परिवार पाकिस्तान जा बसा, मगर निदा ने हिंदुस्तान में ही रहने का निर्णय लिया। आज 8 फ़रवरी को निदा फाजली साहब की 7वीं डेथ एनिवर्सरी है। उनका निधन साल 2016 में मुंबई में हुआ। इस अवसर पर पढ़िए उनकी कुछ बेहतरीन नज्में और दोहे…
1. बच्चा बोला देख कर मस्जिद आली-शान
अल्लाह तेरे एक को इतना बड़ा मकान
2. लेके तन के नाप को, घूमे बस्ती गाँव
हर चादर के घेर से, बाहर निकले पाँव
3. सीधा-साधा डाकिया जादू करे महान
एक ही थैले में भरे आँसू और मुस्कान
4. घर को खोजें रात दिन घर से निकले पाँव
वो रस्ता ही खो गया जिस रस्ते था गाँव
5. अच्छी संगत बैठकर, संगी बदले रुप
जैसे मिलकर आम से मीठी हो गयी धुप
6. मैं रोया परदेस में भीगा माँ का प्यार
दुख ने दुख से बात की बिन चिट्ठी बिन तार
7. मुझ जैसा इक आदमी मेरा ही हमनाम
उल्टा सीधा वो चले मुझे करे बद-नाम
8. नैनों में था रास्ता हृदय में था गाँव
हुई न पूरी यात्रा छलनी हो गए पाँव
9. मैं क्या जानूँ तू बता, तू है मेरा कौन
मेरे मन की बात को, बोले तेरा मौन
10. मैं भी तू भी यात्री चलती रुकती रेल
अपने अपने गाँव तक सब का सब से मेल
1. अपना ग़म लेके कहीं और न जाया जाये
घर में बिखरी हुई चीज़ों को सजाया जाये
घर से मस्जिद है बहुत दूर चलो यूं कर लें
किसी रोते हुए बच्चे को हंसाया जाये
2. कभी किसी को मुकम्मल जहां नहीं मिलता
कहीं ज़मीं तो कहीं आसमां नहीं मिलता
बुझा सका है भला कौन वक़्त के शोले
ये ऐसी आग है जिसमें धुआं नहीं मिलता
कहां चराग़ जलाएं कहां गुलाब रखें
छतें तो मिलती हैं लेकिन मकां नहीं मिलता
ये क्या अज़ाब है सब अपने आप में गुम हैं
ज़बां मिली है मगर हम-ज़बां नहीं मिलता
3. तुम ये कैसे जुदा हो गये हर तरफ़ हर जगह हो गये
अपना चेहरा न बदला गया आईने से ख़फ़ा हो गये
जाने वाले गये भी कहां चांद सूरज घटा हो गये
4. होश वालों को ख़बर क्या बेख़ुदी क्या चीज़ है
इश्क़ कीजे फिर समझिए ज़िन्दगी क्या चीज़ है
उन से नज़रें क्या मिली रोशन फिजाएं हो गईं
आज जाना प्यार की जादूगरी क्या चीज़ है
5. मुंह की बात सुने हर कोई दिल के दर्द को जाने कौन
आवाज़ों के बाज़ारों में ख़ामोशी पहचाने कौन
सदियों-सदियों वही तमाशा रस्ता-रस्ता लम्बी खोज
लेकिन जब हम मिल जाते हैं खो जाता है जाने कौन
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