बॉलीवुड

ये स्टारकिड्स नहीं बन पाए स्टार, किसी ने साइड एक्टर तो किसी ने विलेन बनकर खेली दूसरी पारी

बॉलीवुड और नेपोटिज़्म का हमेशा से ही काफी गहरा कनेक्शन रहा है। पिछले साल जब कंगना रनौत ने करण जोहर पर आरोप लगाए थे कि वो बॉलीवुड में नेपोटिज़्म को बढ़ावा देते हैं, तब ये मुद्दा काफी सुर्खियों में आया था। मगर ये जाल बॉलीवुड में काफी समय पहले से फैला हुआ है। वहीं एक सच ये भी है कि नेपोटिज़्म का फायदा उठाकर आप बॉलीवुड में शुरूआत तो कर सकते हो, लेकिन यहां टिक पाना उतना आसान नहीं है। बॉलीवुड में कई ऐसे स्टारकिड हुए हैं, जो अपने फैमिली या पेरेंट्स के नाम के दम पर इंडस्ट्री में आ तो गए, लेकिन फिर भी कुछ फिल्में करने के बाद उन्हें ज्यादा काम नहीं मिल सका।

अभिषेक बच्चन ने बयां किया अपना दर्द :

उन्हीं एक्टर्स में से एक हैं बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन के बेटे अभिषेक बच्चन। पहली फिल्म के बाद से ही उनकी लगातार कई फिल्में फ्लॉप हुईं, जिसके बाद उन्हें काम मिलना ही बंद हो गया था। एक समय वो भी था जब लोग उन्हें पूरी तरह से भुला चुके थे। अभिषेक को भले ही एक हीरो के रूप में पहचान नहीं मिल पाई हो, लेकिन साल 2004 में आई फिल्म धूम में उनके किरदार को लोगों ने काफी सराहा। इसके बाद वो धूम सिरीज़ की सभी फिल्मों का हिस्सा रहे। इसके अलावा उन्हें बोल बच्चन, हैप्पी न्यू ईयर जैसी कई और फिल्मों में भी साइड रोल ही मिले।

अभिषेक बच्चन ने अनुराग कश्यप की फिल्म ‘मनमर्जियां’ से करीब 2 साल बाद सिल्वर स्क्रीन पर वापसी की थी। फिल्म के विक्की कौशल और तापसी पन्नू लीड रोल में थे। यहां भी सैकंड लीड प्ले करने को लेकर हाल ही में अभिषेक ने अपना दर्द बयां किया। करण जौहर के चैट शो ‘कॉफी विद करण सीजन 6’ में पहुंचे अभिषेक ने बताया, ‘किसी भी एक्टर के लिए ये काफी बुरा लगने वाली बात है कि एक अन्य एक्टर को सेंटर स्टेज मिल रहा है और मुझे साइड रोल। ये इंडस्ट्री बहुत बुरी है। यहां सबकुछ कमाना पड़ता है। सेंटर से साइड में आने पर दर्द तो होता ही है।’

रितेश देशमुख :

मशहूर पॉलिटीशियन विलासराव देशमुख के बेटे रितेश देशमुख ने मल्टी स्टारर फिल्म मस्ती से अपना करियर शुरू किया था। उसके बाद वो अलादिन, तुझे मेरी कसम जैसी कुछ फिल्मों में नज़र आए, लेकिन वक्त के साथ उन्हें भी समझ आ गया कि वो सिंगल हीरो की तरह इस इंडस्ट्री में अपने पैर नहींं जमा पाएंगें। ऐसे में उन्होने धमाल, हाउसफुल, हे बेबी जैसी मल्टीस्टारर फिल्मों में काम किया। इन फिल्मों में रितेश भले ही लीड रोल में नहीं थे, मगर फिर भी ये फिल्में हिट हुई और उनके काम को सराहना भी मिली। फिल्म ‘एक विलेन’ में उनके नेगेटिव किरदार को भी क्रिटिक्स की काफी सराहना मिली थी।

विवेक ओबरोय :

बॉलीवुड एक्टर सुरेश ओबेरोय के बेटे विवेक ने भी एक हीरो के रूप में इंडस्ट्री में पैर जमाने की कई कोशिशें कीं, लेकिन उनके करियर का ग्राफ भी लगातार डूबता ही गया। सलमान खान के साथ हुई कॉन्ट्रोवर्सी के बाद तो उनका करियर लगभग खत्म ही हो चुका था। इसके बाद उन्होने अपने करियर को संभालने के लिए लीड एक्टर का ख्वाब छोड़, वो सभी रोल किए जो उनके लिए चैलेंजिंग हो सकते थे। वो कई फिल्मों में विलेन के किरदार में नज़र आए, तो ओमकारा जैसी फिल्म में सैकंड लीड होते हुए भी उन्होने सुर्खियां बटोरी। वैसे जल्द ही विवेद पीएम मोदी की बायोपिक में मुख्य किरदार में नज़र आने वाले हैं।

अक्षय खन्ना :

बॉलीवुड के मशहूर एक्टर विनोद खन्ना के बेटे अक्षय खन्ना ने भी इस इंडस्ट्री में जमने के लिए कई प्रयास किए। मगर वक्त ने उन्हें भी ये सबक दे ही दिया कि वो हीरो के रूप में टिक नहीं पाएंगें। इसके बाद उन्होने कई मल्टी स्टारर फिल्मों में भी काम किया। मगर उन्हें खास पहचान दिलाई चाइना टाउन, मॉम, इत्तेफाक जैसी फिल्मों में उनके द्वारा निभाए गए शातिर पुलिस ऑफिसर के किरदार ने। वहीं ढिशूम जैसी फिल्म में विलेन के रूप में भी उन्होंने क्रिटिक्स की काफी सराहना हासिल की। हीरो के रूप में ना सही मगर कुछ हटके किरदारों में दर्शकों ने अक्षय खन्ना को अपना लिया है।

नील नितिन मुकेश :

मशहूर सिंगर नितिन मुकेश के बेटे नील नितिन मुकेश का नाम भी इस लिस्ट में शामिल है। इन्होने भी पूरी कोशिश की थी दर्शकों के बीच हीरो के रूप में अपना सिक्का जमाने की, मगर लोगों को उनका नेगेटिव अंदाज़ ज्यादा पसंद आया। प्रेम रतन धन पायो, वज़ीर, गोलमान अगेन जैसी फिल्मों में नील नेगेटिव रोल में नज़र आए थे। वहीं साउथ एक्टर प्रभास की अपकमिंग फिल्म साहो में नील नेगेटिव किरदार निभाते नज़र आएंगें।

इनके अलावा ऋतिक रोशन, सलमान खान, टाइगर श्रॉफ, वरूण धवन, रनबीर कपूर, करीना कपूर, आलिया भट्ट जैसे कुछ नाम भी हैं, जो भले ही नेपोटिज़्म की वजह से इंडस्ट्री में आए हों, लेकिन उनकी दमदार एक्टिंग के दम पर ही वो ना सिर्फ यहां टिके हुए हैं, बल्कि काफी बेहतरीक प्रदर्शन भी कर रहे हैं।

Neha Chouhan

12 साल का अनुभव, सीखना अब भी जारी, सीधी सोच कोई ​दिखावा नहीं, कथनी नहीं करनी में विश्वास, प्रयोग करने का ज़ज्बा, गलत को गलत कहने की हिम्मत...

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