हिंदी फिल्मों में पांच दशक तक मां, दादी, नानी जैसे किरदारों को अपने अभिनय से जीवंत करने वाली मशहूर अभिनेत्री दीना पाठक की आज 4 मार्च को 101वीं बर्थ एनिवर्सरी है। दीना को न केवल अभिनय की दुनिया में महारत हासिल थी, बल्कि उन्होंने देश की आजादी की लड़ाई में भी सक्रिय भूमिका निभाईं। वह सामाजिक कार्यकर्ता थी और थिएटर के लिए बतौर डायरेक्टर कई नाटक भी प्ले किए थे। इस अवसर पर जानिए अभिनेत्री दीना पाठक के जीवन के बारे में कुछ अनसुनी बातें…
फिल्मों के इतर बेहद सादगी में बिताया जीवन
अभिनेत्री दीना पाठक का जन्म 4 मार्च, 1922 को गुजरात के अमरेली में जन्म हुआ था। उनका जीवन काफी सादगी भरा और चमक-धमक से दूर रहा है। क्योंकि उन्होंने अपनी ज़िंदगी का ज्यादातर वक्त किराये के मकान में गुजार दिया था। उन्होंने अंतिम समय में जाकर एक घर खरीदा। उनके दो पुत्रियां थी, जिनमें बड़ी बेटी रत्ना पाठक ने अभिनेता नसीरुद्दीन शाह और छोटी बेटी सुप्रिया पाठक ने पंकज कपूर से शादी कर की। दोनों ही आज एक्टिंग की दुनिया में जाना-पहचाना नाम हैं। दीना पाठक बॉलीवुड की उन अभिनेत्रियों में से हैं, जिन्होंने अपने अभिनय के दम पर कई बड़े-बड़े लोगों को पीछे छोड़ दिया। फिल्मों में उन्हें देख ऐसे लगता था कि पड़ोस में ही रहने वाली कोई बुजुर्ग महिला है या फिर अपनी ही दादी हैं।
आजादी आंदोलन से जुड़ने पर कॉलेज ने किया बेदखल
अभिनेत्री दीना पाठक का जन्म उस दौर में हुआ, जब हमारा देश गुलामी की जंजीरों में जकड़ा हुआ था। उस समय देश में चारों ओर आजादी के लिए आंदोलन हो रहे थे। ऐसे में वे कब पीछे रहने वाली थी। वे भी स्वतंत्रता आंदोलनों में काफी सक्रिय थी, जिसके कारण उन्हें मुंबई में सेंट जेवियर्स कॉलेज से उन्हें निकाल दिया गया था। मार्च 1979 में ‘फिल्मफेयर’ पत्रिका में दीना पाठक ने बताया था कि कॉलेज से बाहर निकाले जाने के बाद उन्होंने दूसरे कॉलेज में पढ़ाई कर अपनी बी. ए. की डिग्री हासिल की।
खुद को इंडिया का पहला डिजाइनर कहते थे पति
अभिनेत्री दीना पाठक की शादी बलदेव पाठक से हुई थी। बलदेव पाठक मुंबई में गेटवे ऑफ इंडिया के पास कपड़े सिलने की दुकान चलाते थे। वह राजेश खन्ना और दिलीप कुमार के कपड़े डिजाइन करते थे। उन्होंने ही राजेश खन्ना के लिए ‘गुरु कुर्ता’ और ऐसे अन्य कपड़े डिजाइन किए थे। दीना पाठक के पति बलदेव अपने आप को इंडिया का पहला डिजाइनर कहते थे, हालांकि राजेश खन्ना की फिल्मों के करियर में जब गिरावट होनी शुरू हुई तो बलदेव की दुकान पर भी असर पड़ा। बाद में उन्हें अपनी दुकान बंद करनी पड़ी। उनका 52 साल की उम्र में निधन हो गया।
पांच दशक चला था दीना पाठक का फिल्मी सफर
दीना ने अपने पांच दशक के बॉलीवुड करियर में 120 से ज्यादा फिल्मों में काम कर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। उनका अभिनय कॅरियर करीब 60 साल लंबा था। फिल्मों के साथ-साथ वो गुजराती थियेटर में भी काफी सक्रिय थीं। उन्हीं के प्रभाव के कारण दीना पाठक की दोनों बेटियां रत्ना और सुप्रिया थियेटर में आईं। उन्होंने ‘मौसम’, ‘किनारा’, ‘चितचोर’, ‘घरौंदा’ ‘गोलमाल’, ‘खूबसूरत’, ‘उमराव जान’, ‘परदेस’, ‘देवदास’ जैसी सफल फिल्मों में काम किया। दीना की आखिरी फिल्म वर्ष 2003 में रिलीज़ हुई ‘पिंजर’ थी।
दीना पाठक के यादगार रोल में ऋषिकेश मुखर्जी की फिल्म ‘गोलमाल’ (1979) आती है, जिसमें वे रामप्रसाद \ लक्ष्मण प्रसाद की नकली मां बनीं। फिल्म ‘खूबसूरत’ में वो गुप्ता परिवार की कड़क मुखिया निर्मला गुप्ता बनी थीं। गुलजार की फिल्म ‘मीरा’ (1979) में उन्होंने राजा बीरमदेव की रानी कुंवरबाई का रोल किया। गोविंद निहलानी की सीरीज ‘तमस’ (1988) में बंतो की भूमिका कीं। ऐसी और भी बहुत सी फिल्में हैं जिसमें अभिनेत्री दीना पाठक ने अपनी एक अलग ही छाप छोड़ीं। दीना अपने काम के प्रति हमेशा से समर्पित थीं। फिल्म ‘देवदास’ की शूटिंग के दौरान उनकी तबीयत खराब थी। इसके एक गीत ‘डोला रे डोला..’ के फिल्मांकन के समय वे बुखार से पीड़ित रही, फिर भी वह फिल्म सेट पर सबसे पहले पहुंच जाया करती थी।
80 साल की उम्र में हो गया निधन
मशहूर अदाकारा दीना पाठक की मृत्यु 80 वर्ष की उम्र में 11 अक्टूबर, 2002 को मुंबई शहर में हुई।
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