देश में कोरोना महामारी की दूसरी लहर के बीच सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को संक्रमण के कारण जान गंवाने वाले लोगों के परिवार को चार लाख रुपये अनुग्रह राशि दिए जाने का अनुरोध करने वाली जनहित याचिका पर सुनवाई की। जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए उच्चतम न्यायालय ने इस मामले को लेकर केंद्र सरकार को एक नोटिस भेजा है। जानकारी के अनुसार, सर्वोच्च अदालत ने कोरोना संक्रमण से मरने वालों के मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने के लिए समान नीति की मांग वाली याचिका पर सरकार से सवाल किया है कि क्या कोरोना से पीड़ित लोगों के लिए कोई एक समान पॉलिसी है?
शीर्ष अदालत ने इस मामले पर केंद्र सरकार को नोटिस भेजकर 10 दिनों में जवाब मांगा है। मालूम हो इस जनहित याचिका में मांग की गई है कि कोर्ट राज्य सरकारों को निर्देश दे कि मृत्यु प्रमाण पत्र या अन्य आधिकारिक दस्तावेजों में मौत की वजह कोरोना वायरस दर्ज किया जाए। सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एमआर शाह की अवकाशकालीन पीठ ने केंद्र सरकार को कोविड-19 से जान गंवाने वाले लोगों के मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने के भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद यानि आईसीएमआर के दिशानिर्देशों की जानकारी उपलब्ध कराने का निर्देश दिया। पीठ ने कहा कि इसके लिए समान नीति अपनाएं।
आपको जानकारी के लिए बता दें कि सुप्रीम कोर्ट दो अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था। इन याचिकाओं में केंद्र और राज्य सरकारों को वर्ष 2005 के आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत कोरोना संक्रमण के कारण जान गंवाने वाले लोगों के परिवार को चार लाख रुपये अनुग्रह राशि देने और मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने के लिए समान नीति अपनाने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।
शीर्ष पीठ ने कहा, ‘जब तक कोई आधिकारिक दस्तावेज या मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने के लिए एक समान नीति नहीं होगी, जिसमें कहा गया हो कि मृत्यु का कारण कोरोना वायरस संक्रमण था, तब तक मृतक के परिवार वाले किसी भी योजना के तहत, अगर ऐसी कोई है, मुआवजे का दावा नहीं कर पाएंगे।’ सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को अपना रुख स्पष्ट करने का निर्देश देते हुए मामले की आगे की सुनवाई के लिए 11 जून की तारीख तय की है।
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