जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ जवानों के काफिले पर हुए आत्मघाती हमले के महज 12 दिनों के भीतर भारत ने जोरदार बदला लिया है। भारत ने पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर बड़ी कार्रवाई की है। भारतीय वायुसेना ने मंगलवार तड़के 3.30 बजे पाक अधिकृत कश्मीर में आतंकी ठिकानों पर घुसकर एयर सर्जिकल स्ट्राइक की। इंडियन एयरफोर्स के 12 मिराज-2000 लड़ाकू विमानों ने पीओके के बालाकोट, मुज़फ़्फ़राबाद और चकोटी के पास मौजूद कई आतंकी लॉन्च पैड्स को तबाह कर दिया। भारतीय वायुसेना के मिराज-2000 विमानों के समूह ने जैश के कैंपों पर 1000 किलोग्राम के बम गिराए। एयरफोर्स की इस कार्रवाई में 200 से 300 आतंकवादियों के मारे जाने का अनुमान है। आइये हम आपको बताते हैं मिराज-2000 लड़ाकू विमान की सभी खासियतों के बारे में..
इंडियन एयरफोर्स द्वारा पीओके में आतंकी ठिकानों को नेस्तानाबूद करने में इस्तेमाल किए गए मिराज-2000 लड़ाकू विमान फ्रांस की डसॉल्ट ऐविएशन कंपनी ने बनाया है। यह लड़ाकू विमान मल्टीरोल एयरफ्राफ्ट माना जाता है। फ्रांस ने इसे अपने एयर बेड़े में 1984 में ही शामिल कर खुद को और मज़बूत बना लिया था। मिराज-2000 एयरक्राफ्ट में 9 प्वाइंट होते हैं जहां हथियारों को रखा जाता है। इस लड़ाकू विमान की सबसे ख़ास बात यह है कि इसमें हाई फायरिंग गन से लेकर मिसाइल लॉन्चिंग की सुविधा तक उपलब्ध है। इसके दो वर्जन हैं सिंगल सीटर और डबल सीटर। मिराज की दोनों ही विंग पर वीपन सिस्टम मौजूद होते हैं। यह विमान एक साथ दो लक्ष्यों को निशाना बनाने में सक्षम हैं।
फ्रांसिसी ऐविएशन कंपनी डसॉल्ट द्वारा बनाए गए मिराज-2000 की क्षमता इसे और ख़ास बनाती है। यह लड़ाकू विमान हवा से सीधे हवा में वार करने में सक्षम है। इसके साथ ही हवा से सीधे ज़मीन पर भी हमला कर सकता है। मिराज-2000 हवा से सतह पर मिसाइल दागने और हथियार से हमला करने के साथ-साथ लेजर गाइडेड बम गिराने में भी दक्ष है। इस फायटर एयरक्राफ्ट की एयर टू एयर मिसाइल सिस्टम की रेंज 60 किलोमीटर तक है। यह लड़ाकू विमान एक ही समय में 4 मिका मिसाइल, 2 मैजिक मिसाइल, 3 ड्रॉप टैंक्स के साथ लैस हो सकता है। मिराज-2000 को चौथी जनरेशन का सिंगल इंजन लड़ाकू विमान के नाम से भी जाना जाता है।
इमरजेंसी के वक़्त मिराज-2000 को किसी भी समय राष्ट्रीय राजमार्गों पर उतारा जा सकता है।
किसी इमरजेंसी की स्थिति में नेशनल हाइवेज को रनवे की तरह इस्तेमाल किया जा सके, इसके लिए मिराज के साथ कई बार इस तरह की ड्रिल की जा चुकी है। आपातकालीन स्थिति में रनवे के तौर पर इस्तेमाल करने के लिए सड़कें ही विकल्प हो जाती हैं। 21 मई, 2015 को मिराज-2000 दिल्ली के पास यमुना एक्सप्रेस वे पर लैंड कराया गया। गौर करने वाली बात यह है कि वॉर के समय दुश्मन की मिसाइलों का पहला निशाना सैन्य हवाई पट्टियां ही होती हैं। ऐसे स्थिति में रनवे के तौर पर सड़कें को विकल्प के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है।
फायटर एयरक्राफ्ट मिराज-2000 को 29 जून, 1985 को इंडियन एयरफोर्स की स्क्वाड्रन नम्बर-7 में औपचारिक रूप से शामिल किया गया था। इस विमान ने 1999 में करगिल युद्ध के दौरान महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए पाकिस्तान की हालात खस्ता कर दी थी। मिराज द्वारा दागे गए लेजर गाइडेड बम ने दुश्मन के सैकड़ों बंकरों को चकनाचूर क दिया था।
भारत ने इन विमानों के अपग्रेडेशन के लिए फ्रांस की डसॉल्ट ऐविएशन कंपनी के साथ अनुबंध किया था, जिसके तहत कुछ विमानों का समय के साथ अपग्रेडेशन हो गया है। बाकी विमानों का अपग्रेडेशन हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड ने किया है। मिराज-2000 को वर्तमान में करीब 9 देश इस्तेमाल कर रहे हैं। यह फायटर एयरक्राफ्ट फ्रांस की एयरफोर्स के साथ इंडियन एयरफोर्स, यूएई एयरफोर्स और चाइना रिपब्लिक एयरफोर्स के बेड़े में शामिल है। मिराज की पहली उड़ान फ्रांस में 10 मार्च, 1978 को हुई थी।
चौथी जनरेशन के लड़ाकू विमान मिराज-2000 की सिर्फ एक ही कमी है। वह यह है कि इस विमान की स्कैनिंग रेंज वर्तमान समय के अनुसार कम मानी जाती है। मिराज की स्कैनिंग रेंज मात्र 145 किलोमीटर है जो अन्य किसी लड़ाकू विमानों की तुलना में कम है।
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बता दें, भारत ने फ्रांस की डसॉल्ट ऐविएशन के मिराज-2000 की खरीद के संबंध में बातचीत करना तब शुरू किया था जब पाकिस्तान को अमेरिका द्वारा उस समय के सबसे बेहतरीन विमान एफ-16 को दिए जाने की शुरूआत हो चुकी थी। अक्टूबर 1982 में भारत ने 36 सिंगल-सीट मिराज-2000Hs और 4 ट्विन-सीट मिराज-2000THs के लिए फ्रांसिसी ऐविएशन कंपनी को ऑर्डर दिया था।
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