जम्मू और कश्मीर के पुलवामा जिले में हुए आतंकी हमले के 24 घंटे से भी कम समय के बाद भारत ने पाकिस्तान को दिए गए मोस्ट फेवर्ड नेशन (MFN ) का दर्जा वापस ले लिया। भारत द्वारा एमएफएन की स्थिति को वापस लेना दोनों पक्षों के बीच रिलेशन के लिए नेगेटिव है इसी के साथ व्यापार भी काफी प्रभावित होने वाला है।
हालांकि अब भारत पाकिस्तान से पर्याप्त व्यापार अधिशेष को जारी रखेगी। इस स्थिति के बावजूद पाकिस्तान भारत के लिए MFN को जारी रखने जा रही है। भारत से पाकिस्तान का निर्यात चौथाई रहा है जो यह भारत से आयात करता है। अब एमएफएन रियायतें इसके हिसाब से नहीं चलेंगी। तो पहले समझते हैं कि ये MFN होता क्या है
विश्व व्यापार संगठन के सभी साझेदार आपस में देशों के बीच गैर-भेदभावपूर्ण कारोबार को सुनिश्चित करने के लिए किसी एक अंतर्राष्ट्रीय बिजनेस पार्टनर को सबसे पसंदीदा राष्ट्र का दर्जा देते हैं। उसी को एमएफएन यानि मोस्ट फेवर्ड नेशन, यानी जिस देश को बिजनेस मामलों में सबसे ज्यादा तरजीह दी जाएगी। एमएफएन का दर्जा जिस देश को मिल जाता है उस देश को व्यापार करने में हर तरह की सहूलियत दी जाएगी। आसान शब्दों में कहें तो एमएफएन एक गैर-भेदभावपूर्ण कारोबार नीति है।
अब जैसे इतने दिन भारत ने पाकिस्तान को MFN का दर्जा दे रखा था जिसका मतलब था कि भारत, पाकिस्तान को कारोबार समझौतों में हर तरह के विशेषाधिकार और सुरक्षा प्रदान करता था। हम पहले यह बता चुके हैं कि MFN मिलने के बाद उस देश को कारोबारी मामलों में तरजीह दी जाती है जिसका मतलब यह भी है कि उस देश को आयात-निर्यात में लगने वाले चार्ज में छूट मिलती है।
इसके साथ ही MFN की कंडीशन लगने के बाद दो या दो से अधिक देशों के बीच फ्री बिजनेस को बढ़ावा देने में मदद मिलती है। आपको बता दें कि पाकिस्तान और भारत के बीच सालों से सीमेंट, चीनी, ऑर्गेनिक केमिकल, रुई, सब्जियों और कुछ चुनिंद फलों के अलावा मिनरल ऑयल, ड्राई फ्रूट्स, स्टील जैसी वस्तुओं का कारोबार किया जाता रहा है।
भारत के पाकिस्तान के साथ व्यापार कम ही रहा है। पड़ोसियों के बीच व्यापार 2000-01 और 2005-06 के बीच लगभग साढ़े तीन गुना बढ़ गया था।($ 251 मिलियन से $ 869 मिलियन प्रति वर्ष) लेकिन उस दशक की बात की जाए तो प्रोग्रेस काफी धीमी।
बहुत छोटे देश भूटान के साथ भारत का व्यापार पाकिस्तान से आधा है। (कुल भारत-भूटान द्विपक्षीय व्यापार रु 7,723 करोड़ था, पाकिस्तान के साथ, यह लगभग 17,200 करोड़ रुपये था) 2007 में भारतीय आर्थिक अनुसंधान परिषद अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक परिषद (Icrier) ने भारत पाकिस्तान के बीच 11.7 बिलियन डॉलर (46,098 करोड़ रुपये) व्यापार क्षमता का अनुमान लगाया था अगर दोनों पड़ोसी आर्थिक सहयोग के क्षेत्रों का फायदा उठाने के लिए सक्रिय कदम उठाते। लेकिन वित्त वर्ष 2017 में भारत-पाकिस्तान व्यापार केवल 2.29 बिलियन डॉलर या भारत के कुल व्यापार का लगभग 0.35% था।
सहमत रोडमैप लागू नहीं किया जा सका क्योंकि पाकिस्तान ने वाघा-अटारी भूमि मार्ग (जो कि रोडमैप में पहचाना गया पहला कदम था) के माध्यम से व्यापार प्रतिबंधों को हटाने की सूचना नहीं दी थी। भारत और पाकिस्तान के वाणिज्य मंत्रियों ने जनवरी 2014 में नई दिल्ली में आयोजित 5 वें सार्क बिजनेस लीडर्स कॉन्क्लेव के मौके पर मुलाकात की।
फिर 27 मई 2014 को भारत और पाकिस्तान के प्रधानमंत्रियों के बीच हुई मीटिंग में भारत ने कहा कि दोनों देश सितंबर 2012 के आधार पर पूर्ण व्यापार सामान्यीकरण की दिशा में तुरंत आगे बढ़ सकते हैं। दोनों देशों के वाणिज्य सचिवों के बीच रोडमैप पर काम हुआ। तब से भारत और पाकिस्तान के बीच कोई द्विपक्षीय व्यापार बैठक नहीं हुई है।
पाकिस्तान के प्रधान मंत्री इमरान खान ने बार-बार भारत के साथ व्यापार में सुधार करने की बात कही है और साथ ही यह कहा है कि “गरीबी को कम करने और उपमहाद्वीप के लोगों के उत्थान का सबसे अच्छा तरीका है कि हम बातचीत के माध्यम से अपने मतभेदों को हल करें और व्यापार शुरू करें”
केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अपने कार्यालय को फिर से शुरू करने के पहले दिन शुक्रवार को कैबिनेट की मीटिंग के बाद प्रेस को संबोधित करते हुए कहा कि पाकिस्तान से MFN का दर्जा वापस ले लिया गया है।
भारत द्वारा पाकिस्तान को MFN का दर्जा वापस लेने का निर्णय पाकिस्तान को कूटनीतिक रूप से अलग करने और देश के उद्योग को निचोड़ने के लिए है। भले ही इस तरह का कदम व्यापार को प्रभावित करेगा लेकिन भारत से रसायनों और कपास जैसे इनपुट सामग्रियों के बंद होने से संबंधित पाकिस्तानी उद्योगों के लिए उत्पादन लागत बढ़ जाएगी।
यह दोनों देशों के बीच अवैध व्यापार को भी कम करेगा जो सीमावर्ती अंतराल और तीसरे देशों के माध्यम से होता है। यह भारत के खिलाफ बयानबाजी को बढ़ावा देने वाले पाकिस्तान में चरमपंथी तत्वों को भी हैंडल करेगा।
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