अक्सर ऐसा होता है कि किसी बीमारी के मरीज को दवा के चलते कोई फल खाने की मनाही नहीं होती है। लेकिन कुछ ऐसे फल हैं जिनका सेवन दवाई के बीच में करने से बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है। इन्हीं फलों में से एक है चकोतरा यानी बड़ा नींबू। चकोतरा को अंग्रेजी में ग्रेपफ्रूट कहते हैं। 100 से भी ज्यादा ऐसी दवाएं हैं, जिनको लेने के दौरान कोई मरीज चकोतरा का सेवन नहीं कर सकता है। अगर कोई मरीज ऐसा करता है तो उसके लिए चकोतरा घातक हो सकता है। कुल मामलों में तो यह जानलेवा तक साबित हो सकता है। आइये जानते हैं किस प्रकार की दवाओं के साथ चकोतरा ज्यादा घातक साबित होता है..
क्लीनिकल फार्माकोलॉजी विभाग से संबंध रखने वाले डॉ. डेविड बेली के मुताबिक़, दर्द निवारक दवाएं, स्टेटिन और कई सामान्य प्रयोग वाली दवाओं के साथ चकोतरा का सेवन बहुत ही घातक यानी जानलेवा भी साबित हो सकता है। इस दुष्प्रभाव के लिए जरूरी नहीं है कि मरीज ने चकोतरा या उसका जूस बहुत ज्यादा मात्रा में लिया हो। उदाहरण के तौर पर अगर आप सिमवेस्टेटिन (कोलेस्ट्रॉल कम करने की दवा) लेते हैं। उसके बाद चकोतरा का एक गिलास जूस पी लेते हैं, तो यह दवा के असर को तीन गुना ज्यादा करने में सक्षम है। निसंदेह यह सेहत के लिए अच्छा नहीं है। अगर कोई व्यक्ति दिन में कई बार चकोतरा के जूस का सेवन करता हो तो इसका दुष्प्रभाव उस स्थिति में और भी ज्यादा खतरनाक हो जाता है। इससे शरीर में दवाओं का स्तर बढ़ने का खतरा रहता है।
डॉ. डेविड बेली के अनुसार, एड्स की कुछ दवाओं, गर्भनिरोधक दवाओं और कई हार्मोनल दवाओं पर भी चकोतरा के सेवन का दुष्प्रभाव पड़ता है। दिल की बीमारी में इस्तेमाल होने वाली और एंटी-साइकोटिक दवाएं लेने वालों को भी इससे दूरी रखनी चाहिए। इसके खतरों में किडनी फेल होना, अचानक सांस उखड़ना और शरीर के भीतर रक्तस्राव होना जैसी गंभीर स्थितियां शामिल हैं। व्यक्ति की शारीरिक क्षमता और दवा के हिसाब से कुछ मामलों में दुष्प्रभाव जानलेवा भी हो सकता है। थायरायड के इलाज में इस्तेमाल होने वाली लेवोथायरॉक्सिन पर भी चकोतरा के जूस का बुरा असर पड़ता है। हालांकि इसका प्रभाव कम घातक होता है।
यह शरीर में थायरायड की दवा के अवशोषण को कम करता है। ऐसे में संभव है कि आपके शरीर को दवा की पूरी खुराक नहीं मिले। लेवोथायरॉक्सिन का सेवन केवल पानी से किया जाना चाहिए। इसे खाली पेट लेना चाहिए और कोशिश होनी चाहिए कि इसके घंटेभर बाद तक कुछ खाने-पीने से बचें।
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लेवोथायरॉक्सिन लेने वालों को कम से कम दवा के चार घंटे बाद तक किसी तरह का विटामिन या सप्लीमेंट लेने से भी बचना चाहिए। इनसे भी दवा का असर कम हो सकता है। कई अन्य दवाओं के मामले में भी ऐसा होता है।
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