भले ही लोग क़ानून तोड़कर खुद को क़ानून की परवाह नहीं करने वाला साबित करते रहे, लेकिन हक़ीक़त यह है कि जब अपराधी पर क़ानून का चाबूक़ चलता है तो इसके आगे किसी की भी नहीं चलती है। ये बात अलग है कि कई बार क़ानून खुद ही पावर के आगे कमज़ोर पड़ जाता है। लोकतंत्र में क़ानून की ख़ूबसूरती के वैसे तो लाखों उदाहरण हैं, लेकिन हालिया उदाहरण एक बार फिर साबित करता है कि अपराधियों पर नक़ेल कसने में क़ानून महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। मामला दुनिया के सुपरपावर देश अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के ‘ख़ास’ पॉल मैनफोर्ट से जुड़ा हुआ है। आइए जानते हैं कौन हैं पॉल मैनफोर्ट और क्या है पूरा मामला..
पॉल मैनफोर्ट 2016 के अंत में अमरीकी राष्ट्रपति पद के लिए हुए चुनाव में वर्तमान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के चुनाव अभियान के प्रमुख रहे हैं। ये लंबे समय तक रिपब्लिकन पार्टी के कैंपेन सलाहकार रहे हैं। मार्च 2016 में ये डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति उम्मीदवार के रूप में कैंपेन कर रही टीम से जुड़ गए थे। इसके बाद मैनफर्ट को जून से अगस्त 2017 तक कैंपेन प्रमुख की महत्वपूर्ण ज़िम्मेदारी दी गई। जिसे इन्होंने बख़ूबी निभाते हुए ट्रंप के पक्ष में माहौल तैयार किया। मैनफर्ट बताए कई मुद्दे डोनाल्ड ट्रंप लोगों के बीच लेकर गए जिससे उन्हें काफी फायदा हुआ। इनका पूरा नाम पॉल जॉन मैनफर्ट जूनियर है। ये एक अमेरिकी लॉबिस्ट, राजनीतिक सलाहकार, पूर्व वकील और सजायाफ़्ता अपराधी हैं। मैनफोर्ट का जन्म संयुक्त राज्य अमेरिका के कनेक्टिकट राज्य के न्यू ब्रिटेन में 1 अप्रैल 1949 को हुआ।
डोनाल्ड ट्रंप के ख़ास रहे पॉल मैनफोर्ट को अमेरिका की एक अदालत ने गुरुवार को टैक्स चोरी और बैंक धोखाधड़ी मामले में 47 महीने की जेल की सज़ा सुनाई है। अब मैनफोर्ट को करीब चार साल जेल में काटनी होगी। ख़बरों के मुताबिक, अमेरिकी विशेषज्ञों का मानना है कि मैनफोर्ट को इससे भी कड़ी सजा सुनाई जा सकती थी, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया।
जानकारी के लिए आपकों बता दें कि अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में रुस के हस्तक्षेप मामले में विशेष वकील रॉबर्ट मुलर की जांच में राष्ट्रपति के एक सहयोगी को दी गई सबसे कठोरतम सज़ा है। हालांकि लोग उम्मीद लगाए बैठे थे कि 69 वर्षीय राजनीतिक सलाहकार मैनफोर्ट को बहुत ज्यादा सज़ा सुनाई जाएगी। कठोर सज़ा के लिए मुलर के आह्वान पर फटकार लगाते हुए जज ने 19 से 24 साल की जेल की सजा के लिए आधिकारिक दिशा-निर्देशों को बहुत ज्यादा बताया।
अदालत ने भले ही पॉल मैनफोर्ट को टैक्स चोरी और बैंक धोखाधड़ी मामले में बड़ी सज़ा नहीं सुनाई है लेकिन अभी उसकी मुश्किलें कम नहीं हुई है। मैनफोर्ट पर अगले सप्ताह अदालत में एक और मामले में सुनवाई है। जिसमें मैनफोर्ट को अधिकतम 10 वर्ष की कैद हो सकती है। इस मामले में जज की अभियोजन पक्ष के प्रति सहानुभूति भी स्पष्ट है। दूसरे मामले में पॉल मैनफोर्ट को सज़ा हो जाती है तो उन्हें बुढ़ापे में लंबे समय तक जेल में रहना पड़ेगा।
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