डॉक्टर को दुनियाभर में भगवान का दूसरा रूप माना जाता है। लेकिन आज के दौर में इस प्रोफेशन की परिभाषा बदलती नज़र आती है। ईश्वर रूपी डॉक्टर आज पैसे कमाने के लिए मरीज़ या लोगों का इस्तेमाल करने लगा है। वहीं, अब आए दिन ऐसी ख़बरें आती रहती है कि मरीज़ के परिजनों ने डॉक्टर पर लापरवाही या पैसा लुटने का आरोप लगाए हुए डॉक्टर या हॉस्पिटल के कर्मचारियों के साथ हाथापाई या मारपीट कर दी। डॉक्टरों ने अब इससे निपटने के लिए अलग रास्ता निकाल लिया है। इसके तहत अब डॉक्टर भी मरीज़ के घरवालों को उसी तरह जवाब देते नज़र आएंगे। डॉक्टर ऐसे परिवार वालों या लोगों को कैसे जवाब देंगे, हम नीचे आपको बताने जा रहे हैं..
पश्चिम बंगाल राज्य के कोलकाता में डॉक्टरों को ताइक्वांडो सिखाया जा रहा है। ऐसा देश में पहली बार होने जा रहा है। कोलकाता के नील रतन सरकार मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल ने इसकी शुरुआत की है। यहां पांच जूनियर डॉक्टर्स और एक फैकल्टी मेंबर ताइक्वाडो कुकीवान फर्स्ट डैन ब्लैकबेल्ट होल्डर बनने जा रहे हैं। यह हॉस्पिटल देश का पहला ऐसा हॉस्पिटल है जहां के डॉक्टर ताइक्वांडो में ब्लैक बेल्टधारी बनने की उपलब्धि जल्द हासिल कर लेंंगे। 2017 में मार्च के महीने से नील रतन सरकार हॉस्पिटल में मेडिकल स्टूडेंट्स, इंटर्न और जूनियर डॉक्टरों को ताइक्वांडो की ट्रेनिंग देने की शुरुआत की गई थी।
कोलकाता के इस अस्पताल का कहना है कि उनके इस प्रोग्राम के पीछे का उद्देश्य यह है कि मरीज़ों के गुस्साए परिवार वालों से विवाद की स्थिति में डॉक्टर अपना बचाव आसानी से कर सकेंगे। इसके साथ ही अस्पतालों में बढ़ते काम के दबाव को बड़ी आसानी के साथ दूर किया जा सकेगा। एनआरएस अस्पताल ने आगे कहा कि सरकारी और निजी अस्पतालों में आए दिन मरीज़ों की मौत होती रहती है। इस दौरान कई मर्तबा ऐसा होता है कि मरीज़ के परिवार वाले इसके लिए डॉक्टर को जिम्मेदार ठहराते हुए उनके साथ मारपीट पर उतारू हो जाते हैं। ऐसे मामलों से निपटने के लिए हमने डॉक्टरों को ताइक्वांडो सिखाने का फैसला किया। सबसे पहले अस्पताल के छह डॉक्टरों रितुपर्णा मुखर्जी, तौसीफ मिर्जा, प्रीतम रहमान, आकाश मंडल, इंद्रयुद्ध बंदोपाध्याय और कौशिकी रमन ने सोमवार को ताइक्वांडो सिखाया गया है। डॉक्टरों में भी इस बात की खुशी है। गौरतलब है कि ताइक्वांडो सिखाने वाला एनआरएस अस्पताल ऐसा करने वाला देश का पहला अस्पताल बन गया है।
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डॉक्टरों के ताइक्वांडो टेस्ट के दौरान एग्जामिनर के रूप में उपस्थित रहे डॉ. प्रदीप्त कुमार रॉय का मत है कि ताइक्वांडो के प्रशिक्षण के बाद मेडिकल स्टूडेंट्स को सेल्फ कंट्रोल, अनुशासन और मानसिक रूप से मजबूत बनने में मदद मिलेगी। इसके साथ ही कुकीवान फर्स्ट डैन ब्लैकबेल्ट होल्डर होने के बाद उन्हें विदेशी विश्वविद्यालयों और शैक्षिक संस्थानों में छात्रवृति की भी सुविधा दी जाएगी। राज्य के नोडल अधिकारी डॉ. द्वैपायन बिश्वास कहते हैं कि काम के दौरान किसी भी विवाद को अहिंसक तरीके से निपटने में ताइक्वांडो की ट्रेनिंग बहुत काम आने वाली है। इससे डॉक्टर अस्पताल में मरीजों के परिवारवालों से आसानी से निपट सकेंगे। उल्लेखनीय है कि देश के किसी सरकारी मेडिकल कॉलेज में डॉक्टरों को ताइक्वांडो का प्रशिक्षण दिया जाना अपने आप में एक अनूठा उदाहरण बन गया है। अगर यह सफल रहता है तो आगे देश के अन्य अस्पतालों में भी इसे अपनाया जा सकता है।
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