from direction to main lead the command is hands of women in biopic of Shakuntala Devi.
‘ह्यूमन कम्प्यूटर’ के उपनाम से पहचाने जाने वाली भारत की शकुंतला देवी की ज़िंदग़ी पर बायोपिक बन रही है। कुछ समय पहले इस फिल्म की मेन लीड कास्ट हो चुकी है। शकुंतला देवी और उनकी बेटी अनुपमा बनर्जी के रोल के लिए बॉलीवुड एक्ट्रेस विद्या बालन और सान्या मल्होत्रा को कास्ट किया गया है। विद्या फिल्म में शकुंलता और सान्या उनकी बेटी अनुपमा बनर्जी का रोल प्ले करेंगी। इन दोनों एक्ट्रेस ने बॉलीवुड की इस बायोपिक फिल्म के लिए अपनी तैयारी शुरु कर दी है। विद्या और सान्या इनदिनों फिल्म की स्क्रिप्ट पढ़ रही हैं। इससे पहले सितंबर 2019 में फिल्म में मेन लीड रोल प्ले कर रही विद्या बालन का फर्स्ट लुक रिलीज हुआ था।
शकुंतला देवी की बायोपिक का सारा जिम्मा महिलाओं के हाथ में होगा। इस फिल्म का डायरेक्शन अनु मेनन कर रही हैं। फिल्म का स्क्रीनप्ले अनु ने नयनिका महतानी के साथ मिलकर लिखा है। वहीं, फिल्म की डायलॉग राइटर इशिता मोइत्रा हैं। फिल्म की मेन लीड विद्या बालन और सान्या मल्होत्रा भी वूमेन हैं। ऐसे में यह संभवत: बॉलीवुड की पहली ऐसी फिल्म होगी, जिसमें डायरेक्शन से लेकर राइटिंग और मेन लीड तक का जिम्मा वूमेन्स के हाथों में हैं। हाल में फिल्म के प्रोड्क्शन हाउस अबुंदन्तिया एंटरटेनमेंट ने इंस्टाग्राम पर विद्या और सान्या की रीडिंग सेशन की तस्वीरें शेयर की।
4 नवम्बर, 1929 को भारत के मैसूर में जन्मीं शकुंतला देवी मैथ्स जीनियस के तौर पर पहचान रखती थीं। मैथ्स पर जबरदस्त पकड़ के चलते उनका नाम साल 1982 में ‘गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स’ में दर्ज हुआ था। उन्होंने कई बुक्स भी लिखी हैं, जिसमें नॉवेल, मैथ्स पर बेस्ड बुक्स, पजल और एस्ट्राेलॉजी बुक्स भी शामिल हैं। शकुंतला की एक बुक ‘द वर्ल्ड ऑफ होमोसेक्सुअल्स’ को भारत में होमोसेक्सुअलिटी पर आधारित पहले अध्ययन के तौर पर माना जाता है। मैसूर यूनिवर्सिटी से अपनी पढ़ाई करने वाली शकुंतला के पति का नाम परितोष बनर्जी था। इन दोनों की एक बेटी अनुपमा बनर्जी हैं। शकुंतला के हसबैंड की मृत्यु साल 1979 में हो गई थी।
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वर्ष 1977 में डल्लास विश्वविद्यालय में शकुंतला देवी का मुकाबला तेज गणना करने वाले कम्प्यूटर ‘यूनीवैक’ से हुआ। इस दौरान शकुंतला को गणना करके 201 अंकों की एक संख्या का 23वां मूल निकालना था। इसे हल करने में भारत की इस ह्यूमन कम्प्यूटर लेडी ने मात्र 50 सेकेंड का समय लगाया था। वहीं ‘यूनीवैक’ ने इसके हल के लिए 62 सेकेंड का वक़्त लिया था। इसके बाद से ही दुनियाभर में शकुंतला देवी को ह्यूमन कम्प्यूटर के नाम से पहचाना जाने लगा था। साल 2013 में 21 अप्रैल को उनकी 83 वर्ष की उम्र में बेंगलुरु में मृत्यु हो गई थी।
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