वर्ष 1983 में अपना पहला आईसीसी वर्ल्ड कप जीतने वाली भारतीय क्रिकेट टीम का अहम हिस्सा रहे पूर्व क्रिकेटर का दिलीप वेंगसरकर आज 6 अप्रैल को 67वां जन्मदिन मना रहे हैं। भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान दिलीप वेंगसरकर को कोलोनल (कर्नल) के नाम से भी पुकारा जाता है। वे उस समय की भारतीय टीम के हिस्सा थे, जब सुनील गावस्कर और गुंडप्पा विश्वनाथ जैसे नामी बल्लेबाज भारतीय टीम के हिस्सा थे।
वेंगसरकर 70 के आखिर और 80 के दशक की शुरुआत में टीम इंडिया के प्रमुख बल्लेबाज रहे। उन्होंने भारतीय क्रिकेट टीम के लिए वर्ष 1992 तक अपनी सेवाएं दीं। 5 फरवरी, 1992 को उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अपना अंतिम मैच खेला था। अपने समय में वेंगसरकर भारतीय टीम की पहली ‘रन मशीन’ हुआ करते थे, जैसे आज विराट कोहली हैं। इस ख़ास अवसर पर जानिए उनके जीवन के बारे में कुछ अनसुनी बातें…
दिलीप वेंगसरकर का जन्म 6 अप्रैल, 1956 को महाराष्ट्र के राजापुर में हुआ था। उनका पूरा नाम दिलीप बलवंत वेंगसरकर हैं। साथी और प्रशंसक उन्हें प्यार से ‘कर्नल’ भी कहकर बुलाते हैं। वेंगसरकर को पहली बार पहचान वर्ष 1975 में ईरानी ट्रॉफी के दौरान उनके प्रदर्शन के आधार पर मिलीं। उस जमाने में वेंगसरकर महज 19 साल की उम्र में वर्ष 1974-75 की चैंपियन मुंबई टीम का हिस्सा थे। उनके पसंदीदा शॉट्स में कट, हुक और पुल शामिल थे।
जब दिलीप वेंगसरकर अपने क्रिकेट कॅरियर में सबसे बेहतर प्रदर्शन कर रहे थे, तब उन्हें उसका ईनाम वर्ष 1987 के आईसीसी वर्ल्डकप के बाद मिला। उन्हें कपिल देव के स्थान पर टीम इंडिया का कप्तान बनाया गया। उस समय वे रन बनाने के मामले में पूर्व कप्तान सुनील गावस्कर से ही पीछे थे। उन्होंने अपनी कप्तानी में बेहतरीन प्रदर्शन किया और शुरुआती दो मुकाबलों में 2 शतक लगाये। लेकिन उनका यह प्रदर्शन ज्यादा न चल सका और उनकी कप्तानी मुश्किलों में फंसती गई। आखिरकार वर्ष 1989 में वेस्टइंडीज दौरे पर टीम के खराब प्रदर्शन के कारण उन्हें कप्तानी से हाथ धोना पड़ा।
जिस वक्त क्रिकेट जगत में कैरेबियाई तेज गेंदबाजों के नाम से दुनिया के अच्छे-अच्छे बल्लेबाज उनका सामना करने से कतराते थे, उस दौर में वेंगसरकर ने उनकी धुनाई करते हुए जमकर रन बटोरे। उन्होंने अपने बल्ले से होल्डिंग, गार्नर, डेनियल, क्रॉफ्ट और रॉबर्ट जैसे घातक गेंदबाजों की गेंदों पर बनाए और उनका सामना करते हुए 6 शतक लगाए थे।
दिलीप वेंगसरकर ने पाकिस्तान, ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड, वेस्टइंडीज और श्रीलंका के विरूद्ध भी शतक जमाए। इस ट्रेक रिकॉर्ड के दम पर ही वे कूपर्स और लेब्रांड रेटिंग में सबसे अच्छे बल्लेबाज बनने में भी सफल हुए थे। वेंगसरकर ने अपने कॅरियर में 116 टेस्ट मैच खेले, जिसमें उन्होंने भारतीय टीम के लिए करीब 42 की औसत से 6,868 रन बनाए। इस दौरान 17 शतक और 35 अर्धशतक भी लगाए थे।
वर्ष 1986 में दिलीप वेंगसरकर ने इंग्लैंड के खिलाफ खेली जा रही टेस्ट सीरीज में लॉर्ड्स के मैदान पर एक यादगार शतक जमाया। उन्होंने लगातार तीन टेस्ट मैचों में शतक जमाने का भी गजब रिकॉर्ड बनाया। अपने इस प्रदर्शन के दम पर वेंगसरकर ने इंग्लैंड की सरजमीं पर भारत को टेस्ट जीताने में अहम भूमिका निभाईं। इस शानदार प्रदर्शन के लिए उन्हें ‘ऑफ द सीरीज’ का अवॉर्ड भी दिया गया।
दिलीप वेंगसरकर को राष्ट्रीय टीम के लिए लगातार अच्छा प्रदर्शन करने पर सबसे पहले वर्ष 1981 में ‘अर्जुन अवॉर्ड’ से सम्मानित किया गया। वर्ष 1987 में वेंगसरकर को भारत सरकार ने भारतीय क्रिकेट टीम के लिए उनके उल्लेखनीय योगदान को देखते हुए चौथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्मश्री से नवाज़ा। भारतीय क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड (BCCI) भी पूर्व क्रिकेटर वेंगसरकर ‘सीके नायडू लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड’ से सम्मानित कर चुका है।
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