Indian business tycoon Dhirubhai Ambani never used to work for more than 10 hours.
देश की सबसे बड़ी कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) की नींव रखने वाले दिग्गज भारतीय उद्योगपति धीरूभाई अंबानी की आज 6 जुलाई को 21वीं पुण्यतिथि है। उनका पूरा नाम धीरजलाल हीराचंद अंबानी था। धीरूभाई के द्वारा खड़ा किया गया कारोबार आज उनके दोनों बेटे मुकेश अंबानी और अनिल अंबानी संभाल रहे हैं। रिलायंस इंडस्ट्रीज जैसी देश की सबसे बड़ी कंपनी की स्थापना करने वाले धीरूभाई महज़ 10वीं कक्षा तक ही पढ़े थे। लेकिन वे अपने दृढ-संकल्प के बूते भारत के प्रसिद्ध उद्योगपति बनकर उभरे। इस अवसर पर जानिए धीरूभाई अंबानी के संघर्ष व उनकी सफ़लता से जुड़ी कुछ अनसुनी बातें…
कारोबारी धीरूभाई अंबानी की सफ़लता की कहानी कुछ ऐसी है कि उनकी शुरुआती सैलरी महज 300 रुपये हुआ करती थी। लेकिन अपनी मेहनत के दम पर देखते ही देखते वह करोड़ों के मालिक बन गए। भारतीय बिजनेस की दुनिया के बेताज बादशाह धीरूभाई के पद चिन्हों पर चलकर ही आज उनके दोनों बेटे मुकेश अंबानी और अनिल अंबानी सफ़ल बिजनेसमैन में शामिल हैं।
धीरूभाई अंबानी गुजरात के छोटे से गांव चोरवाड़ के रहने वाले थे। उनका जन्म 28 दिसंबर, 1933 को सौराष्ट्र के जूनागढ़ जिले में हुआ था। उनके पिता स्कूल में शिक्षक हुआ करते थे। घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी, जिसके बाद उन्होंने हाईस्कूल की पढ़ाई खत्म करने के बाद ही छोटे-मोटे काम शुरू कर दिए, लेकिन इससे परिवार का पालन नहीं हो पा रहा था।
जब धीरूभाई की उम्र महज 17 साल थी, तब वो पैसे कमाने के लिए वर्ष 1949 में अपने भाई रमणिकलाल के पास यमन चले गए थे। जहां उन्हें एक पेट्रोल पंप पर 300 रुपये प्रति माह सैलरी की नौकरी मिल गई। कंपनी का नाम था ‘ए. बेस्सी एंड कंपनी’। कंपनी ने धीरूभाई के काम को देखते हुए उन्हें फिलिंग स्टेशन में मैनेजर बना दिया। यहां कुछ साल नौकरी करने के बाद धीरूभाई वर्ष 1954 में वापस अपने देश चले आए। यमन में रहते हुए ही धीरूभाई ने बड़ा आदमी बनने का सपना देखा था। इसलिए घर लौटने के बाद 500 रुपये लेकर मुंबई के लिए रवाना हो गए।
धीरूभाई अंबानी बाजार के बारे में बखूबी जानने लगे थे। उन्हें समझ में आ गया था कि भारत में पोलिस्टर की मांग सबसे ज्यादा है और विदेशों में भारतीय मसालों की। उन्हें बिजनेस का आइडिया यहीं से आया। उन्होंने दिमाग लगाया और एक कंपनी रिलायंस कॉमर्स कॉरपोरेशन की शुरुआत की, जिसने भारत के मसाले विदेशों में और विदेश का पोलिस्टर भारत में बेचने की शुरुआत कर दी। देखते ही देखते वर्ष 2000 में वह देश के सबसे रईस व्यक्ति बनकर उभरे।
उद्योगपति धीरूभाई अंबानी ने अपने ऑफिस की शुरुआत 350 वर्ग फुट का कमरा, एक मेज, तीन कुर्सी, दो सहयोगी और एक टेलिफोन के साथ की थी। वहीं दुनिया के सबसे सफलतम लोगों में से एक धीरूभाई की दिनचर्या भी तय होती थी। वह कभी भी 10 घंटे से ज्यादा काम नहीं करते थे। धीरूभाई कहते थे, ‘जो भी यह कहता है कि वह 12 से 16 घंटे काम करता है। वह या तो झूठा है या फिर काम करने में काफी धीमा।’
भारत के नंबर वन उद्योगपति रहे धीरूभाई अंबानी को पार्टी करना बिलकुल पसंद नहीं था। वह हर शाम अपने परिवार के साथ बिताते थे। यहां तक कि उन्हें ज्यादा ट्रैवल करना भी पसंद नहीं था। वह विदेश यात्राओं का काम ज्यादातर अपनी कंपनी के अधिकारियों पर टाल देते थे। धीरूभाई तब ही ट्रैवल करते, जब ऐसा करना उनके लिए अनिवार्य हो जाता था। वर्ष 2002 में 6 जुलाई को सिर की नस फट जाने के कारण भारतीय उद्योग के बादशाह धीरूभाई अंबानी का मुंबई के एक अस्पताल में देहांत हो गया।
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