हलचल

क्या शक्तियां होती है उप-मुख्यमंत्री के पास, बड़ा रोचक है इस पद के बनने का किस्सा

पिछले साल हुए गुजरात चुनावों के बाद मुख्यमंत्री पद की रेस में दो नाम थे, विजय रूपाणी और नितिन पटेल। दोनों की इस पद की दावेदारी के बीच आलाकमान ने विजय रूपाणी को गुजरात की कमान सौंपी तो नितिन पटेल को उप-मुख्यमंत्री पद से संतोष करना पड़ा। उस दौरान ये उप-मुख्यमंत्री पद काफी चर्चा में रहा था। ठीक आज भी वैसा ही माजरा देखने को मिला जहां राजस्थान चुनाव जीतने के बाद कांग्रेस आलाकमान ने 3 दिनों की रस्साकस्सी के बाद मुख्यमंत्री और उप-मुख्यमंत्री का नाम तय किया।

ऐसे में यह जानना जरूरी हो जाता है कि क्या होता है उपमुख्यमंत्री का पद, क्या होती है इस पद पर आसीन व्यक्ति के पास पावर, आइए जानते हैं।

सबसे पहले हम आपको यह बताना चाहते हैं कि यह पद संवैधानिक नहीं है। इस पद पर बैठे व्यक्ति को मुख्यमंत्री के जितनी शक्तियां नहीं मिलती है और कभी मुख्यमंत्री के ना होने पर भी वो किसी तरह के फैसले नहीं ले सकता है।

उप-प्रधानमंत्री से निकला उप-मुख्यमंत्री

उप-मुख्यमंत्री पद बनने का किस्सा बड़ा ही रोचक है। साल 1989 में वीपी सिंह सरकार का शपथ ग्रहण समारोह चल रहा था, मंत्रियों को शपथ दिलाई जा रही थी। उस दौरान देवी लाल को मंत्री पद के लिए शपथ उस समय के राष्ट्रपति दिला रहे थे लेकिन वो बार-बार प्रधानमंत्री बोल रहे थे।

आखिर देवीलाल उप-प्रधानमंत्री पर अड़ गए

उस समय के राष्ट्रपति वेंकटरमण ने अपनी किताब में लिखा, कि मैंने देवी लाल को कहा कि अभी आप सिर्फ मंत्री पद पर शपथ ले सकते हैं और इसके बाद आपको उपप्रधानमंत्री का पद दिया जा सकता है। इसके बाद शपथ ग्रहण समारोह शुरू हुआ तो सबसे पहले वीपी सिंह ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली और जब देवी लाल आए तो वो शपथ में इस बार ‘उप प्रधानमंत्री’ पर अड़ गए। वो बार-बार उपप्रधानमंत्री बोलते रहे।

उप-प्रधानमंत्री पर क्या है सुप्रीम कोर्ट का कहना

राष्ट्रपति वेंकटरमण के बार-बार समझाने के बाद भी देवी लाल शपथ लेकर उप-प्रधानमंत्री बन गए। सुप्रीम कोर्ट में इस पद को चुनौती मिली।

अटॉर्नी जनरल ने इस पद पर किसी भी तरह की कोई आपत्ति नहीं जताई और कहा उप-प्रधानमंत्री भी काउंसिल ऑफ मिनिस्टर्स का सदस्य होता है केवल मंत्री की बजाए प्रधानमंत्री शब्द का इस्तेमाल करने से कोई फर्क नहीं पड़ता है।

हालांकि उप-प्रधानमंत्री पद का हमारे संविधान में कोई उल्लेख नहीं है और इसके बाद देवी लाल को एक मंत्री की तरह ही पावर मिली। इसके बाद देश में हर सरकार में कई उप-प्रधानमंत्री हुए और इसी को देखते हुए राज्यों में भी उप-मुख्यमंत्री बनाए जाने लगे।

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