अब सब कुछ बाजार में बिकेगा। साफ पानी, साफ हवा, खुला आसमान…. वो सब चीजें जो कुदरत ने हमें बख्शी थी उन सबकी अब कीमत चुकानी होगी। जरा सोचिए, हम कितने खतरनाक युग में जी रहे हैं। प्रदूषण के चलते हवा इतनी जहरीली हो गई है कि हर इंसान का दम घुट रहा है। दम घुट रहा है मगर वो दौड़ रहा है। भाग रहा है पैसे के लिए। हां, पैसा कमाना अब जीने के लिए जरूरी है क्योंकि अब सब कुछ खरीदना पड़ता है।
आज एक खबर पढ़ी कि दिल्ली में प्रदूषण के चलते एक आॅक्सीजन बार खुल गया है। यहां पर लोग साफ हवा यानि शुद्ध आॅक्सीजन के लिए मोटी रकम चुकाएंगे। आधा घंटे यहां बैठने के लिए आपको करीब 300 रूपए खर्च करनी होगी। बाजार के झंझट देखिए इस आॅक्सीजन के भी अलग—अलग फ्लेवर हैं। जहां कुदरत आपको सिर्फ एक ही फ्लेवर में मुफ्त आॅक्सीजन दे सकते हैं। पेड़—पौधे जिन्हे हम विकास के नाम पर काटे जा रहे हैं वो कभी शुद्ध हवा के बदले हमसें कुछ नहीं ले रहे थे।
कुदरत ने ये सब हमको बिल्कुल मु्फ्त दिया था मगर हमने सुविधाओं के चक्कर में इसको भी खो दिया। जब हर चीज बाजार में बिकती है और हमारे पास खरीदने को पैसा है तो हमने कुदरत भी बेच डाली। दिल्ली का साकेत जोकि पॉश इलाका है वहां ये आॅक्सीजन बार खुला है। यहां एक से एक अमीर लोग रहते हैं। ये तो 300 रूपए देकर भी शुद्ध हवा खरीद आएंगे। मगर सोचिए उस गरीब आदमी के बारे में जो दिन भर खुले आसमान के नीचे मेहनत करता है। इसकी एक दिन की दिहाड़ी है 300 रूपए। ये इस पैसे से परिवार को रोटी खिलाएगा या हवा खरीदेगा। ये हवा तो क्या शुद्ध खाना भी नहीं खरीद पाएगा। इस प्रदूषण की भेंट भी यहीं चढ़ेगा।
अब बंद कमरे में बैठे उन लोगों को सोचना होगा जो अंधाधुंध कमाने के लिए इस पर्यावरण को मौत के घाट उतार रहे हैं।
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