Faceless hooded anonymous computer hacker with programming code from monitor, dark web concept
दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने हाल में 2 स्टूडेंट्स को अरेस्ट किया है। ये स्टूडेंट्स डार्क वेब के जरिए इंटरनैशनल ड्रग डीलर्स के साथ संपर्क में थे। ये डार्क वेब की मदद से इंटरनैशनल डीलर्स से कोरियर के जरिए चरस और दूसरे ड्रग्स मंगाते थे और फिर इन्हें स्थानीय स्तर पर बेच देते थे। आप सोच रहे होंगे कि आखिर ये डार्क वेब क्या है और इसके जरिए भला ये स्टूडेंट्स ड्रग्स जैसी पाबंदी वाली चीजों को कैसे मंगा लेते थे। हम आपको विस्तार से बता रहे हैं कि आखिर ये डार्क वेब क्या है और कैसी है इंटरनेट की ये अंधेरी दुनिया।
डार्क वेब एक तरह से इंटरनेट का अंडरवर्ल्ड है। यहां घातक हथियार, लोगों के क्रेडिट कार्ड/डेबिट कार्ड के डीटेल्स, ई-मेल एड्रेस, लोगों के फोन नंबर, ड्रग्स, नकली करंसी और दूसरी चीजें बड़ी आसानी से मिल जाती हैं। ये सारी चीजें यहां काफी कम दाम पर मिल जाती हैं। असल में हम जिस इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं, वह बहुत छोटा हिस्सा है। इंटरनेट के बड़े हिस्से तक लोगों की पहुंच नहीं है और इसे ही डार्क वेब कहते हैं। इंटरनेट का यह संसार दुनिया की नजरों से ओझल है।
साइबर सिक्यॉरिटी फर्म Kaspersky Lab ने पिछले दिनों खुलासा किया था कि आपके पर्सनल डीटेल्स डार्क वेब में सिर्फ 3,500 रुपये में मिल रहे हैं। इन डीटेल्स में आपके सोशल मीडिया अकाउंट्स के पासवर्ड, बैंक डिटेल्स और क्रेडिट कार्ड से जुड़ी इन्फ़र्मेशन शामिल हैं।
डार्क वेब में ड्रग्स या दूसरी चीजें बेचने वाले ज्यादातर लोग विदेश में होते हैं। पेमेंट करने पर ये कोरियर या अपने एजेंट्स के जरिए लोगों तक चीजें पहुंचाते हैं। डार्क वेब में मारिजुआना, कोकीन और हेरोइन जैसे ड्रग्स आसानी से मिलते हैं।
डार्क वेब इंटरनेट का वह सेक्शन है, जिसमें यूजर की पहचान गुप्त रहती है। Tor या Onion जैसे ब्राउजर्स का इस्तेमाल करके इन तक पहुंच बनाई जाती है।
डार्क वेब असल में अमेरिका की देन है। US आर्मी ने इसे जासूसी के लिए बनाया था। इसे इसलिए बनाया था कि सरकारी जासूस गुमनाम तौर पर सूचनाएं ले-दे सकें। इसे बनाने का मकसद दूसरे देशों की जासूसी करना था।
डार्क वेब में कई ओपन-सॉर्स सॉफ्टवेयर भी उपलब्ध हैं, इनका इस्तेमाल VOIP कॉल पर फेक फोन नंबर जेनरेट करने के लिए होता है। डार्क वेब पर अवैध चीजें बेचने वालों तक पहुंचाना असंभव होता है।
हैकर्स आम लोगों और कॉरपोरेट्स की सेंसिटिव इन्फ़र्मेशन में सेंधमारी करके इसे डार्क वेब में बेचते हैं। हैकर्स के लिए धंधे का यह एक बड़ा अड्डा है।
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