Courts have to explain reason for granting bail or not to accused: Supreme Court.
उच्चतम न्यायालय ने कहा कि अदालत किसी अभियुक्त की जमानत पर फैसला करते हुए कारणों को दर्ज करने के अपने कर्तव्य का पालन करने से पीछे नहीं हट सकती, क्योंकि मामला अभियुक्तों की स्वतंत्रता, राज्य के हित और पीड़ितों की स्वतंत्रता से जुड़ा होता है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एमआर शाह की पीठ ने यह टिप्पणी गुजरात हाईकोर्ट द्वारा हत्या के एक मामले में छह आरोपियों को जमानत देने के फैसले को दरकिनार करते हुए की।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पक्षकारों की सहमति हाईकोर्ट को जमानत देने के कारणों का उल्लेख करने के कर्तव्य से पीछे हटने से मुक्ति प्रदान नहीं करता। उच्च न्यायालय को यह बताना चाहिए कि आरोपियों को जमानत मिली तो क्यों मिली और जमानत नहीं मिली तो इसके पीछे क्या कारण रहे।
पीठ ने कहा कि ऐसा इसलिए जरूरी है क्योंकि एक और जहां यह अभियुक्तों की स्वतंत्रता का मसला है, वहीं दूसरी तरफ यह सार्वजनिक हित का भी मामला है। अदालत ने आगे कहा कि इस मामले में हाईकोर्ट ने पक्षकारों की सहमति पर जमानत के कारणों का उल्लेख नही किया, जिसे हम स्वीकार नहीं कर सकते।
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