Corona vaccine Shortage can be seen in the country till July: Adar Poonawala.
कोरोना वायरस के लगातार बढ़ते मामलों को देखते हुए केंद्र सरकार ने एक मई से देश में चौथे चरण का टीकाकरण अभियान शुरू करने का ऐलान किया था, लेकिन वैक्सीन की कमी ने वैक्सीनेशन की रफ्तार को धीमी कर दी है। इसी बीच ऑक्सफोर्ड और एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन कोविशील्ड बनाने वाली कंपनी भारतीय सीरम संस्थान के सीईओ अदार पूनावाला ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने अपने इस बयान में कहा कि जुलाई तक देश में वैक्सीन की कमी देखी जा सकती है। पूनावाला ने सोमवार को एक बयान जारी कर कहा कि टीकों की आपूर्ति को लेकर जनता में अलग-अलग तरह की बातें की जा रही हैं, इसलिए वह खुद पूरी स्थिति स्पष्ट कर रहे हैं।
अदार पूनावाला ने अपना पत्र ट्वीट कर कहा कि भारत सरकार ने उनकी कंपनी को कुल 26 करोड़ कोविशील्ड वैक्सीन की आपूर्ति का आर्डर दिया है। वह अब तक 15 करोड़ वैक्सीन की आपूर्ति सरकार को कर चुके हैं। 11 करोड़ टीकों की और आपूर्ति भी अगले कुछ महीनों में कर दी जाएगी।
सीरम संस्थान के सीईओ अदार पूनावाला ने बताया कि भारत सरकार ने कुल 11 करोड़ कोविशील्ड वैक्सीन की आपूर्ति के लिए 100 प्रतिशत पैसा यानि करीब 1732 करोड़ रुपये उनकी कंपनी को एडवांस में दे दिए हैं। कंपनी सरकार के साथ पिछले अप्रैल से लगातार संपर्क में है। सरकार उसे पूरा सहयोग कर रही है। पूनावाला ने कहा कि वह भी भारत की कोविड-19 के खिलाफ जंग में पूरी ताकत से जुटे हैं। भारत की विशाल आबादी के लिए टीके तैयार करना आसान नहीं है। आधुनिकतम और कम आबादी वाले देश भी टीकों के संकट से जूझ रहे हैं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि टीके बनाना विशिष्ट काम है। इसका उत्पादन रातों-रात नहीं बढ़ाया जा सकता। हर व्यक्ति चाहता है कि उसे जल्द से जल्द वैक्सीन लगे।
अदार पूनावाला के हवाले से एक रिपोर्ट में बताया गया है कि भारतीय अधिकारियों को जनवरी में दूसरी लहर का सामना करने की उम्मीद नहीं थी, जब देश में नए कोरोना संक्रमण मामलों में गिरावट आ गई थी। हर किसी को लगने लगा था कि देश ने कोरोना की पहली लहर को हरा दिया है।
अपनी कंपनी सीरम का बचाव करते हुए पूनावाला ने कहा कि देश में वैक्सीन की कमी को लेकर राजनेताओं और आलोचकों की ओर से इंडियन सीरम इंस्टीट्यूट को बदनाम करने की कोशिश की गई। ज्यादा वैक्सीन बनाने को लेकर अदार पूनावाला ने कहा कि हमारे पास पहले से कोई आदेश नहीं था, हमें नहीं लगता था कि हमें एक साल में एक बिलियन खुराकें बनानी होंगी। लेकिन दूसरी लहर की वजह से अचानक मांग बढ गई है।
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