सुप्रीम कोर्ट द्वारा तीन नए कृषि कानूनों पर गठित की गई तीन सदस्यीय कमेटी ने हाल में अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। अब शीर्ष अदालत इसी हफ्ते कमेटी की रिपोर्ट पर सुनवाई कर सकती है। बताया जा रहा है कि कमेटी की रिपोर्ट मुख्यत: न्यूनतम समर्थन मूल्य यानि एमएसपी पर केंद्रित है। रिपोर्ट में कमेटी ने एमएसपी में व्यापक बदलाव लाने, इसका दायरा बढ़ाने, अधिक से अधिक किसानों तक इसका लाभ पहुंचाने के अलावा फसल की लागत तय करने के लिए परिवार के सदस्यों की मेहनत को भी शामिल करने की सिफारिश की है।
कमेटी ने अपनी इस रिपोर्ट को पेश करने से पहले कृषि क्षेत्र से प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से जुड़े 85 फीसदी शेयर धारकों से बात की। जानकारी के मुताबिक, इनमें से किसी ने नए कृषि कानूनों को वापसी लेने का सुझाव नहीं दिया। ज्यादातर सुझाव एमएसपी को लेकर आए। इसमें ज्यादातर लोगों ने एमएसपी का लाभ महज देश के छह फीसदी किसानों को मिलने, इसके अव्यावहारिक होने और इसका दायरा बेहद सीमित होने पर सवाल उठाए थे। सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित कमेटी ने कृषि क्षेत्र में सकारात्मक बदलाव के लिए इन्हीं पक्षों से जुड़ी सिफारिशें अपनी रिपोर्ट में दी हैं।
कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार, वर्तमान सरकार ने किसानों को रबी और खरीफ फसलों पर लागत से डेढ़ गुना ज्यादा कीमत देने का दावा किया है। हालांकि, कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में लागत तय करने का तरीका अवैज्ञानिक बताया है। इसमें सिर्फ खेती के लिए किसानों के नकदी खर्च मसलन बीज, खाद, कीटनाशक, ईंधन, सिंचाई खर्च को ही शामिल किया गया है। इसमें किसान परिवार के सदस्यों की मेहनत की ओर ध्यान भी नहीं दिया गया है। कमेटी ने लागत तय करने के तरीके में व्यापक बदलाव की मांग करते हुए किसान परिवार की मेहनत को भी इसमें शामिल करने का सुझाव दिया है।
कृषि कानूनों पर बनी कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में एमएसपी और राज्यों द्वारा सरकारी खरीदी की प्रक्रिया पर गंभीर सवाल उठाए गए हैं। कमेटी ने कहा कि देश में महज छह फीसदी किसान ही एमएसपी पर अपनी फसल बेच पाते हैं। सरकार गेहूं खरीदने के मामले में पंजाब-हरियाणा के अतिरिक्त अन्य राज्यों में अपने खरीदी लक्ष्य को हासिल नहीं कर पाती। इसके अलावा राज्यों की खरीद प्रक्रिया में गंभीर अनियमितताओं की बात भी रिपोर्ट में शामिल हैं। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में सरकारी खरीद की प्रक्रिया से जुड़े ढांचे में व्यापक बदलाव के लिए कई अहम सुझाव दिए हैं। इसके अलावा एमएसपी पर खरीद का दायरा बढ़ाने के लिए भी सुझाव दिए गए हैं।
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