ये हुआ था

चित्रा मुद्गल: व्यास सम्मान पाने वाली पहली महिला लेखिका

आधुनिक हिन्दी कथा साहित्य की प्रसिद्ध लेखिका चित्रा मुद्गल का 10 दिसंबर को 75वां बर्थडे मनाएंगी। चित्रा को उनके उपन्यास ‘आवां’ के लिए वर्ष 2003 में प्रतिष्ठित व्यास सम्मान प्राप्त हुआ। वह व्यास सम्मान पाने वाली पहली भारतीय महिला हैं। उन्हें वर्ष 2018 में उनके उपन्यास ‘पोस्ट बॉक्स नंबर 203— नाला सोपारा’ के लिए भारत के सर्वोच्च साहित्य पुरस्कार ‘साहित्य अकादमी’ से सम्मानित किया गया।

वह आधुनिक हिंदी की सर्वाधिक पठनीय लेखकों में से एक हैं।उनके उपन्यास ‘आवां’ का आठ भाषाओं में अनुवाद हो चुका है और इस देश के छह प्रतिष्ठित सम्मान मिल चुके हैं।

जीवन परिचय

चित्रा मुद्गल का जन्म 10 सितंबर, 1944 को तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई में हुआ था। उनकी आरंभिक शिक्षा उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के पैतृक गांव निहाली खेड़ा में संपन्न हुई। बाद में उनकी उच्च शिक्षा मुंबई विश्वविद्यालय में हुई। उन्होंने एसएनडीटी महिला विश्वविद्यालय से हिंदी साहित्य में मास्टर डिग्री प्राप्त की।

उन्होंने अपने पिता की इच्छा के विपरीत ‘सारिका’ के पूर्व संपादक अवध नारायण मुद्गल से 17 फरवरी, 1965 को प्रेम विवाह किया था। अंतरजातीय विवाह करना उस जमाने में बहुत कठिन था, लेकिन उन्होंने वह साहस कर दिखाया। उनकी पहली कहानी स्त्री-पुरुष संबंधों पर थी, जो 1955 में प्रकाशित हुई।

साहित्यिक कॅरियर

चित्रा मुद्गल के साहित्य की यह खूबी रही कि वह पाठकों को अपने लेखन कला से उनकी कहानियों को पढ़ने के लिए खींच लिया करती है। उनके लेखन में महिला के संघर्ष का गहराई से दर्शाया गया है। चित्रा मुद्गल नए स्त्री-विमर्श की कथाकार हैं। वह श्रमिक आंदोलन से जुड़ी थी।

उन्होंने अब तक करीब 13 कहानी संग्रह, तीन उपन्यास, तीन बाल उपन्यास, चार बाल कथा संग्रह, पांच संपादित पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। उनके बहुचर्चित उपन्यास ‘आवां’ को वर्ष 2003 में व्यास सम्मान से नवाजा गया। इसके अलावा उन्हें इंदु शर्मा कथा सम्मान, साहित्य भूषण, वीर सिंह देव सम्मान मिल चुका है। वर्ष 2018 में उन्हें साहित्य अकादमी अवॉर्ड मिला।

प्रमुख कृतियां

उपन्यास – ‘एक जमीन अपनी’, ‘आवां’, ‘गिलिगडु’
कहानी संग्रह – ‘भूख’, ‘जहर ठहरा हुआ’, ‘लाक्षागृह’, ‘अपनी वापसी’, ‘इस हमाम में’, ‘ग्यारह लंबी कहानियाँ’, ‘जिनावर’, ‘लपटें’, ‘जगदंबा बाबू गाँव आ रहे हैं’, ‘मामला आगे बढ़ेगा अभी’, ‘केंचुल’, ‘आदि-अनादि’
लघुकला संकलन- ‘बयान’
कथात्मक रिपोर्ताज- तहखानों मे बंद
लेख- ‘बयार उनकी मुठ्ठी में’
बाल उपन्यास- ‘जीवक’, ‘माधवी कन्नगी’, ‘मणिमेख’; नवसाक्षरों के लिए- ‘जंगल’
बालकथा संग्रह- ‘दूर के ढोल’, ‘सूझ बूझ’, ‘देश-देश की लोक कथाएं’
नाट्य रूपांतर- ‘पंच परमेश्वर तथा अन्य नाटक’, ‘सद्गति तथा अन्य नाटक’, ‘बूढ़ी काकी तथा अन्य नाटक’ शामिल है।

Rakesh Singh

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