भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले और आज़ाद भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की आज 14 नवंबर को 133वीं जयंती है। उन्होंने देश की आजादी में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया व अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ कई आंदोलनों के दौरान लाठियां खाई और जेल भी गये थे। आजादी के बाद जवाहरलाल नेहरू देश के पहले प्रधानमंत्री बने। उन्हें बच्चे प्यार से ‘चाचा नेहरू’ के नाम से पुकारते हैं। पंडित नेहरू के सम्मान में उनके जन्मदिन को ‘बाल दिवस’ के रूप में भी मनाया जाता है। इस खास मौके पर जानिए जवाहरलाल नेहरू के जीवन के बारे में कुछ अनसुनी बातें…
पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्म 14 नवम्बर, 1889 को उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में हुआ था। उनके पिता पंडित मोतीलाल नेहरू और माता स्वरूप रानी थे, जवाहर उनका सबसे बड़ा बेटा था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा के लिए घर पर ही निजी शिक्षकों की व्यवस्था की गई थी। उनको अंग्रेजी, हिन्दी और संस्कृत भाषा का अच्छा ज्ञान था। वे वर्ष 1905 में पंद्रह साल की उम्र में इंग्लैंड चले गए थे। उन्होंने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से वकालत की पढ़ाई पूरी की। जवाहर लाल नेहरू का विवाह वर्ष 1916 में कमला नेहरू से हुआ था। एक साल बाद उनके घर एक बेटी का जन्म हुआ, जिसका नाम इंदिरा प्रियदर्शनी यानि इंदिरा गांधी रखा गया।
पंडित नेहरू सन् 1912 में इंग्लैंड से भारत लौटे और देश को आजाद करने के लिए राजनीति से जुड़ गए। वे अपने छात्र जीवन के दौरान विदेशी हुकूमत के अधीन देशों के स्वतंत्रता संघर्ष में रुचि रखते थे। जवाहरलाल ने आयरलैंड में हुए सिनफेन आंदोलन में गहरी रुचि ली थी। सन् 1912 में उन्होंने एक प्रतिनिधि के रूप में बांकीपुर सम्मेलन में भाग लिया व वर्ष 1919 में इलाहाबाद के होम रूल लीग के सचिव बने। नेहरू की महात्मा गांधी से पहली बार मुलाकात वर्ष 1916 में हुई। वे गांधीजी के व्यक्तित्व से काफी प्रभावित हुए।
उन्होंने वर्ष 1920 में उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले में पहले किसान मार्च का आयोजन किया। देश में पहली बार बड़े स्तर पर हुए 1920-22 के असहयोग आंदोलन में जवाहर लाल ने भी भाग लिया और इस दौरान उन्हें दो बार जेल भी जाना पड़ा। पंडित नेहरू सितंबर 1923 में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव बने। उन्होंने वर्ष 1926 में इटली, स्विट्जरलैंड, इंग्लैंड, रूस, बेल्जियम व जर्मनी का दौरा किया। नेहरू ने बेल्जियम में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एक आधिकारिक प्रतिनिधि के रूप में ब्रसल्स में कमजोर देशों के सम्मेलन में भाग लिया। पंडित जवाहर लाल नेहरू ने वर्ष 1927 में रूस के मास्को का दौरा किया और अक्टूबर में समाजवादी क्रांति की दसवीं वर्षगांठ समारोह में भाग लिया था।
वर्ष 1926 में मद्रास अधिवेशन में कांग्रेस को आजादी के लक्ष्य के लिए प्रतिबद्ध करने में पंडित नेहरू की एक महत्वपूर्ण भूमिका थी। उन्होंने सन् 1928 में साइमन कमीशन के भारत आने पर उसके विरोध के दौरान लखनऊ में एक जुलूस का नेतृत्व किया, जहां उन पर लाठी चार्ज किया गया था।
पंडित जवाहरलाल नेहरू ने 29 अगस्त, 1928 को सर्वदलीय सम्मेलन में भाग लिया और भारतीय संवैधानिक सुधार पर बनी नेहरू रिपोर्ट पर हस्ताक्षर किये थे। इस रिपोर्ट का नाम उनके पिता श्री मोतीलाल नेहरू के नाम पर रखा गया था। उसी वर्ष उन्होंने ‘भारतीय स्वतंत्रता लीग’ की स्थापना की एवं इसके महासचिव बने। इस लीग का मूल उद्देश्य भारत को ब्रिटिश साम्राज्य से पूर्णतः मुक्त करना था।
वर्ष 1929 में लाहौर में हुए भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सम्मेलन में पंडित जवाहरलाल नेहरू को अध्यक्ष चुना गया। इस अधिवेशन में पहली बार कांग्रेस का मुख्य लक्ष्य देश को पूर्ण स्वतंत्रता दिलाने का रखा गया। 26 जनवरी, 1930 को पहली बार भारत का स्वतंत्रता दिवस मनाया गया। उन्हें 1930-35 के दौरान नमक सत्याग्रह एवं कांग्रेस के अन्य आंदोलनों के कारण कई बार जेल जाना पड़ा। नेहरू ने 14 फ़रवरी, 1935 को अल्मोड़ा जेल में अपनी ‘आत्मकथा’ का लेखन कार्य पूर्ण किया। रिहाई के बाद वे अपनी बीमार पत्नी को देखने के लिए स्विट्जरलैंड गए तथा उन्होंने फरवरी-मार्च, 1936 में लंदन का दौरा किया।
जब द्वितीय विश्व युद्ध शुरू हो गया तो ब्रिटिश सरकार ने बिना भारतीयों की अनुमति के भारत को भी युद्ध में झोंक दिया। इस पर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने इसका विरोध किया। इस दौरान ‘व्यक्तिगत सत्याग्रह’ आंदोलन शुरू किया गया। इस आंदोलन में जवाहर लाल नेहरू द्वितीय सत्याग्रही बने, जिसके कारण 31 अक्टूबर, 1940 को उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। उन्हें दिसंबर 1941 में अन्य नेताओं के साथ जेल मुक्त कर दिया गया।
7 अगस्त, 1942 को मुंबई के ग्वालिया टैंक मैदान में हुई अखिल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस कमेटी की बैठक में जवाहर लाल ने ऐतिहासिक संकल्प ‘भारत छोड़ो’ को कार्यान्वित करने का लक्ष्य निर्धारित किया। 8 अगस्त, 1942 को उन्हें अन्य नेताओं के साथ गिरफ्तार कर अहमदनगर किले में कैद कर रखा गया। अपने पूर्ण जीवन में पंडित नेहरू नौ बार जेल गए। जनवरी 1945 को ब्रिटिश सरकार ने उन्हें रिहा कर दिया, जिसके बाद उन्होंने राजद्रोह का आरोप झेल रहे आईएनए के अधिकारियों एवं सैनिकों का कानूनी बचाव किया।
जब वर्ष 1947 में भारत आज़ाद हुआ, देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू को बनने का सौभाग्य मिला। नेहरू वर्ष 1947 से 27 मई, 1964 तक भारत के प्रधानमंत्री रहे। पंडित नेहरू को आधुनिक भारत का निर्माता कहा जाता है, उन्होंने ही पंचवर्षीय योजनाओं का शुभारंभ किया था। जवाहर लाल नेहरू को वर्ष 1955 में देश के सबसे प्रतिष्ठित नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया। हालांकि, ताज्जुब की बात ये है कि पंडित नेहरू तब खुद प्रधानमंत्री पद पर बने हुए थे। पंडित जवाहर लाल एक अच्छे लेखक भी थे। उन्होंने कई पुस्तकें लिखीं, जिनमें ‘डिस्कवरी ऑफ इंडिया’ और ‘ग्लिम्प्सेस ऑफ वर्ल्ड हिस्ट्री’ प्रमुख हैं।
देश की स्वतंत्रता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले और आज़ाद भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू का 27 मई, 1964 को दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया।
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