हिंदी सिनेमा में ऐसे कई बाल कलाकार हुए हैं जिन्होंने अपनी मासूमियत से सिने पर्दे पर गहरी छाप छोड़ दी। कुछ फिल्में तो दर्शकों के बीच ही इन बाल कलाकारों के कारण पहचानी जाती हैं। ऐसी कई आइकॉनिक फिल्में है, जिन्हें बाल कलाकारों ने अपनी बेहतरीन अदायगी से बॉक्स ऑफिस पर सफल बनाया। 14 नवंबर यानि बाल दिवस के मौके पर हम बात कर रहे हैं बॉलीवुड के उन बाल कलाकारों की जिन्हें दर्शकों ने सिर्फ उन्हें उनके बाल रुप में ही स्वीकार किया। ऐसे कई चर्चित चेहरे हैं जो बतौर बाल कलाकार बेहद लोकप्रिय हुए मगर बड़े होते ही उन्हें दर्शकों ने इन्हे खास पसंद नहीं किया।
हंसिका मोटवानी
इस लिस्ट में पहली बाल अभिनेत्री हैं हंसिका मोटवानी। जिन्हें बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट दर्शकों की बेशुमार मोहब्बत मिली। हंसिका को असल पहचान छोटे पर्दे के धारावाहिक ‘शाका लाका बूम बूम’ से मिली। इस धारावाहिक में हंसिका को दर्शकों ने इस कद्र पसंद किया कि पर्दे पर उनकी डिमांड बढ़ने लगी। इस धारावाहिक के बाद हंसिका ने कई धारावाहिक किए। जिनमें ‘सोनपरी’, ‘करिश्मा का करिश्मा’, ‘क्योंकि सास भी कभी बहू थी’ शामिल है। हंसिका बॉलीवुड फिल्म ‘कोई मिल गया’ में भी नजर आई। फिल्म के जरिए वे हर घर में अपनी जगह बनाने में कामयाब रहीं। फिल्म में उन्हें दर्शकों ने खूब पसंद किया। बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट हंसिका को एक्टिंग वर्ल्ड में खूब पसंद किया गया मगर बतौर लीड एक्ट्रेस आज भी हंसिका अपनी पहचान बनाने के लिए संघर्ष कर रही हैं। उनकी कई फिल्म तो आई मगर बॉक्स ऑफिस पर सुपरफ्लॉप साबित हुईं।
जुगल हंसराज
साल 1983 में आई फिल्म ‘मासूम’ का वो मासूमियत भरा चेहरा भला कौन भूल सकता है। जिसमें बतौर बाल कलाकार जुगल हंसराज ने काम किया था। उनकी पहली ही फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सुपरहिट साबित रही। पहली ही फिल्म से लोकप्रिय होने के बाद उन्होंने कई फिल्मों में बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट काम किया और खूब सराहना लूटी। मगर साल 1994 में फिल्म ‘आ गले लग जा’ से बतौर एक्टर डेब्यू करना उन्हें कॅरियर में बड़ा महंगा पड़ा। बतौर एक्टर वे बॉलीवुड में पहचान बनाने में फ्लॉप साबित हुए।
सना सईद
फिल्म ‘कुछ कुछ होता है’ में शाहरुख की बेटी अंजली तो आपको याद होगी ना। जी हां दरअसल उस छोटी बच्ची का असल नाम सना सईद है जो इस फिल्म से अच्छी खासी लोकप्रिय हुई। इस रोल ने सना को उस दौर में सुपरस्टार बना दिया था। बड़े होने के बाद सना ने करण जौहर की फिल्म ‘स्टूडेंट ऑफ द ईयर’ से डेब्यू किया था मगर वो पहचान पाने में नाकायाब रहीं।
परजान दस्तूर
फिल्म ‘कुछ कुछ होता है’ और ‘कभी खुशी कभी गम’ में तारे गिनने वाला छोटा बच्चे को भला कौन भूला होगा। जिसने फिल्म में सभी का दिल जीत लिया था। आज वे बड़े हो चुके हैं मगर जितनी शोहरत उन्हें फिल्म इंडस्ट्री में बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट मिली वे बड़े होने पर नहीं मिली। इंडस्ट्री में परजान को बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट ही पसंद किया गया। बड़े होने के बाद वे इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाने में असफल ही रहे।
श्वेता बासु प्रसाद
इस लिस्ट में अगला नाम श्वेता बासु का है। जो बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट फिल्म ‘मकड़ी’ में नजर आईं थी। इस फिल्म से श्वेता दर्शकों के बीच खासी लोकप्रिय हुईं। मगर बड़े होने के बाद श्वेता बॉलीवुड में अपनी पहचान बनाने में असफल रहीं।
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