दुनियाभर में स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता व रोगों की रोकथाम के लिए अनेक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। ऐसे ही कार्यक्रम अनेक देश अपने स्तर भी आयोजित करते हैं। भारत में भी हर वर्ष 16 मार्च का दिन स्वास्थ्य के क्षेत्र में खास होता है, क्योंकि इस दिन को राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस के रूप में मनाया जाता है। वैसे तो विश्व टीकाकरण दिवस 10 नवंबर को मनाया जाता है। आज सात नवंबर है और 7 नवंबर को ‘शिशु सुरक्षा दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। शिशुओं की सुरक्षा के लिए सबसे ज्यादा अहम होता है टीकाकरण। ऐसे में आइए हम आपको इस ख़ास मौके पर बताते हैं टीकाकरण से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें..
टीकाकरण से मिलने वाले लाभ हमें प्रत्यक्ष रूप से दिखाई नहीं देते हैं, परंतु टीकाकरण से हम बच्चों को भविष्य में होने वाली कई तरह की बीमारियों से सुरक्षा प्रदान कर सकते हैं, जैसे- खसरा, पोलियो, दिमागी बुखार (मेनिनजाइटिस) आदि। उल्लेखनीय है कि टीका का आविष्कार एडवर्ड जेनर ने किया था।
टीकाकरण वह प्रक्रिया है जिसके माध्यम से किसी रोग के प्रति लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए दवा दी जाती है या पिलाई जाती है। उसे टीका लगाना कहते हैं और यह प्रक्रिया टीकाकरण कहलाती है। संक्रामक रोगों की रोकथाम के लिए टीकारण सबसे सफल एवं सबसे सस्ता विधि है। टीकाकरण बच्चे को जानलेवा रोगों से लड़ने में मदद करता है। यह दूसरे व्यक्तियों में रोग के प्रसार को कम करने में भी मदद करता है। टीका या वैक्सीन एक जैविक उपक्रम या एंटीजनी पदार्थ होता है।
यह एक एजेंट होता है जो रोग पैदा करने वाले सूक्ष्मजीवों से मिलता-जुलता होता है। यह सूक्ष्मजीवों के कमजोर या मारे गए रूपों, इसके विषाक्त पदार्थों या उनकी सतह के प्रोटीन में से एक बनता है। यह एजेंट शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को आने वाले खतरे के रूप में पहचानने, उसे नष्ट और उस एजेंट से जुड़े किसी भी रोगकारक को पहचानने और नष्ट करने के लिए उत्तेजित करता है जो आने वाले समय में हो सकता है।
डब्ल्यूएचओ के अनुसार, टीकाकरण कार्यक्रम रोगों को नियंत्रित करने का प्रमाणित उपाय है। इसके द्वारा जीवन के लिए गंभीर संक्रामक रोगों को नष्ट करने और हर वर्ष दो से तीन लाख के मध्य होने वाली मौतों को टालने का अनुमान है। एक अनुमान के मुताबिक दुनिया में 8.7 लाख शिशु अभी भी आधारभूत टीकाकरण प्राप्त नहीं कर पा रहे हैं।
प्राथमिक टीकाकरण
इसमें एक से लेकर पांच खुराकें शामिल की जाती हैं। ये खुराकें शिशु के जन्म होती है। ये शिशु के शरीर में किसी रोग विशेष के विरुद्ध प्रतिरोधक क्षमता विकसित करती है। इन टीकों की सभी खुराकें लेना बहुत ही आवश्यक है।
बूस्टर टीकाकरण
प्राथमिक टीकाकरण के प्रभावों को ओर अधिक बढ़ाने के लिए दी जाने वाली खुराक है। बच्चों में समय के साथ एंटीबॉडीज का स्तर कम होने लगता है। उसे बढ़ाने के लिए बूस्टर खुराक दी जाती है।
सार्वजनिक टीकाकरण
किसी विशेष बीमारी को जड़ से खत्म करने के लिए इस तरह का टीकाकरण कार्यक्रम चलाया जाता है। सार्वजनिक टीकाकरण में मूलतः सरकार द्वारा देश की जनता के स्वास्थ्य कल्याण के लिए चलाए जाते हैं। जैसे- चेचक और पोलियो इस प्रकार के कार्यक्रमों के जरिये ही समाप्त हो पाएं हैं।
टीकाकरण कराने से बच्चों को कई घातक बीमारियों से बचा सकते हैं। यदि टीकाकरण सही समय पर किया जाता है तो इससे करोड़ों बच्चों की जान बच सकती है।
नवजात शिशु, बच्चे, किशोर और वयस्क आदि को उनकी आयु, जगह व स्वास्थ्य स्थितियों के आधार पर अनेक प्रकार के टीकाकरण की आवश्यकता होती है।
सरकारी टीकाकरण कार्यक्रम के अंतर्गत निम्नलिखित बीमारियों के टीके लगाए जाते हैं, जिसके माध्यम से इन रोगों पर काबू पाया जा रहा है:-
शिशु व बच्चों को इन बीमारियों से लड़ने के लिए एक ही टीके की कई खुराकें दी जाती है। इसलिए यह बहुत आवश्यक है कि बच्चों का टीकाकरण सूचीबद्ध तरीके से ही करवाएं। यदि सभी बच्चों को सरकार द्वारा निर्देशित टीकाकरण सूची के अनुसार टीकाकरण करवाएं तो बच्चों में होने वाली बीमारियों को काफी हद नियंत्रित किया जा सकता है। टीकाकरण का उद्देश्य इन बीमारियों को पूरी तरह से समाप्त करना है। बहुत से देशों में यह लक्ष्य प्राप्त किया जा चुका है। फिर भी वहां डॉक्टर बच्चों को टीके लगवाने की सलाह देते हैं। ऐसा माना जाता है कि अगर बच्चों को टीके लगवाना बंद कर दिया जाए तो ये संक्रामक बीमारियां फिर से फैल सकती है।
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भारत सरकार ने सभी बच्चों के लिए पूर्ण टीकाकरण कवरेज प्राप्त करेन के उद्देश्य से 25 दिसंबर, 2014 को मिशन इन्द्रधनुष का शुभारंभ किया था, जिसके तहत 2 वर्ष से कम उम्र के सभी बच्चों और गर्भवती महिलाओं को समस्त उपलब्ध टीकों द्वारा पूर्ण टीकाकरण कराना सुनिश्चित करना है। इस प्रकार हर माता-पिता को चाहिए कि वे अपने बच्चे को सरकार के द्वारा उपलब्ध जरूरी बीमारियों के टीकाकरण करवाएं ताकि बच्चे में इन रोगों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता बढ़ सके।
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