'Chaudhavi Ka Chand Ho' song changed life of music director Ravi Shankar Sharma.
आज मेरे यार की शादी है…
बाबुल की दुआएं लेती जा…
डोली चढ़ के दुल्हन ससुराल चली..
मेरा यार बना दुल्हा…
ये सभी गाने आपने अपनी या किसी की शादी में महफिल की शान बनते सुने होंगे, लगभग चार दशक तक अपनी आवाज से हर किसी को दीवाना बनाकर रखने वाले संगीतकार रवि शंकर शर्मा की बात ही कुछ ऐसी थी। रवि की आवाज में कुछ ऐसा जादू था कि ना जाने वो कितनों की शामों को गुलजार करते थे तो कितनों की रातों का सहारा बनते थे। आज 7 मार्च को संगीत निर्देशक रवि शंकर शर्मा की 10वीं पुण्यतिथि है। इस मौके पर जानिए इस महान संगीतकार के बारे में कुछ रोचक बातें…
रवि शंकर शर्मा जो रवि नाम से जाने गए उनका जन्म 03 मार्च 1926 को हुआ था। बचपन से पढ़ाई में कम और संगीत में ज्यादा मन लगने लगा था। संगीत सीखने की सिर्फ रूचि ही रखी किसी उस्ताद से ट्रेनिंग नहीं ली। बस एक जुनून सिर पर सवार था। पचास के दशक में रवि मुंबई आ पहुंचे। घूमते-घूमते एक दिन मुलाकात निर्माता-निर्देशक देवेन्द्र गोयल से हुई जो पहली बार में ही रवि के हुनर को पहचान गए।
आखिरकार गोयल की फिल्म ‘वचन’ में रवि को काम मिला। वचन फिल्म में गायिका आशा भोंसले के साथ गाया गाना “चंदा मामा दूर के पुआ पकाये पूर के” उन दिनों हर किसी की जुबां पर छाया रहा। पहली फिल्म में रवि की आवाज को हर किसी ने पसंद किया लेकिन बॉलीवुड में मुकाम हासिल करने में उन्हें 5 साल लग गए।
आखिरकार रवि की किस्मत का सितारा 1960 में चमका जब गुरूदत्त की क्लासिक फिल्म ‘चौदहवीं का चांद’ आई। इस दिन के बाद रवि ने फिल्म इंडस्ट्री में बतौर संगीतकार अपनी जगह कायम कर ली। फिल्म में ‘चौदहवी का चांद हो या आफताब हो’, ‘बदले बदले मेरे सरकार नजर आते है’ जैसे गाने आज भी भूले नहीं भुलाए जाते हैं। इस फिल्म के बाद रवि को कई बड़े बजट वाली फिल्मों से भी ऑफर आने लगे। आगे चलकर रवि ने मशहूर कव्वाली, ‘ऐ मेरी जोहरा जबीं तुझे मालूम नहीं’ को आवाज दी।
रवि को अपने शानदार कॅरियर और काम के लिए दो बार फिल्म फेयर पुरस्कार से नवाजा गया। पहली बार 1961 में फिल्म ‘घराना’ के सुपरहिट म्यूजिक के लिए रवि को फिल्म फेयर मिला तो दूसरी बार 1965 में फिल्म ‘खानदान’ के लिये उन्हें फिल्म फेयर दिया गया।
रवि ने अपने चार दशक लंबे कॅरियर में करीब 200 फिल्मों और गैर फिल्मी गानों में संगीत दिया। 7 मार्च 2012 को हर किसी को मंत्रमुग्ध करने वाली यह आवाज हमेशा के लिए शांत हो गई।
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