गूगल ने आज एक भारतीय सर्जन, शिक्षक, कानूनविद और समाज सुधारक डॉ. मुथुलक्ष्मी रेड्डी की 133वीं जयंती पर डूडल बनाकर उन्हें खास अंदाज में सेलिब्रेट किया है। वह देश की पहली महिला विधायक भी बनी थी। उन्होंने देश की आजादी के लिए संघर्ष किया और वह महिलाओं के अधिकारों के लिए जीवनभर संघर्ष करने वाली पहली ऐसी महिला थी जिन्होंने खुद लड़कों के स्कूल में दाखिला लिया।
जीवन परिचय
डॉ. मुथुलक्ष्मी रेड्डी का जन्म 30 जुलाई, 1886 को तमिलनाडु के पुदुकोट्टई में हुआ था। उनके पिता एस नारायण स्वामी अय्यर थे जो महाराजा कॉलेज के प्रिंसिपल थे। उनकी माता चंद्रम्मा थी। मुथुलक्ष्मी को बचपन से ही पढ़ने के प्रति बहुत लगाव था इस कारण से उनके पिता ने उन्हे आगे पढ़ाने का फैसला किया। वर्ष 1902 में मुथुलक्ष्मी ने 10वीं कक्षा उत्तीर्ण की और बाद में उन्होंने पुदुकोट्टई के महाराजा कॉलेज में दाखिला लेने के लिए फॉर्म भर दिया। उस समय महिलाओं पर इतना ध्यान न देने के कारण कॉलेज ने उनके फॉर्म को ख़ारिज कर दिया। लेकिन बाद में उस समय के महाराजा ने सभी विरोधों की अवहेलना की और उसे आगे की शिक्षा दिलवाने के लिए छात्रवृत्ति दी गई।
डॉ. मुथुलक्ष्मी ने आगे मद्रास मेडिकल कॉलेज से ग्रेजुएशन करने के लिए दाखिला लिया, यहां उनकी मित्रता एनी बेसेंट और सरोजिनी नायडू से हुई, जो भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में प्रमुख भूमिका निभाने वाली महिलाएं थी। वह मेडिकल कॉलेज से स्नातक करने वाली पहली महिला बनी। वह मद्रास के सरकारी मातृत्व और नेत्र अस्पताल की पहली महिला हाउस सर्जन बन गई।
मुथुलक्ष्मी बनी देश की पहली महिला विधायक
डॉ. मुथुलक्ष्मी को वर्ष 1927 में मद्रास विधान परिषद में देश की पहली महिला विधायक बनने का गौरव हासिल हुआ, इसके बाद उन्हें इसकी उपाध्यक्ष के रूप में भी चुना गया। परिषद में रहते हुए उन्होंने महिलाओं के उत्थान के लिए कार्य किया। उन्होंने लड़कियों की शादी के लिए सहमति की उम्र 16 साल और लड़कों के लिए 21 साल बढ़ाने का प्रस्ताव रखा। उन्होंने अनैतिक तस्करी नियंत्रण अधिनियम को पास करने के लिए परिषद से आग्रह किया।
उन्होंने नमक सत्याग्रह का समर्थन करने के लिए विधान परिषद से इस्तीफा दे दिया। वर्ष 1930 में ही देवदासी लड़कियों ने जब उनसे मदद मांगी तो उन्होंने उन जैसी लड़कियों को आश्रय देने और उन्हें शिक्षित करने के लिए अवीवाई होम की स्थापना की।
वर्ष 1954 में उन्होंने अड्यार कैंसर इंस्टीट्यूट की नींव रखी जहां आज सालाना 80 हजार कैंसर मरीजों का इलाज होता है।
उन्होंने अपने जीवन को हमारे समाज में महिलाओं की स्थिति में सुधार करने में मदद करने के लिए समर्पित किया और देश के विकास में विशेष योगदान दिया। डॉ. मुथुलक्ष्मी को वर्ष 1956 में उनके सामाजिक कार्यों के लिए भारत सरकार ने पद्मभूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
निधन
देश की महिलाओं के लिए प्रेरणा स्रोत बनीं देश की पहली महिला विधायक डॉ मुथुलक्ष्मी का निधन 22 जुलाई 1968 को चेन्नई में हुआ था। युवा लड़कियों की जिंदगी बदलने में उनका विशेष योगदान रहा।
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