आईसीसी विश्व कप-2019 के पहले सेमीफाइनल में न्यूजीलैंड ने टीम इंडिया को हराकर लगातार दूसरी बार फाइनल में प्रवेश कर लिया है। पहले दिन मंगलवार को बारिश से बाधित रहे इस मैच में दूसरे दिन यानी रिजर्व-डे बुधवार को न्यूजीलैंड ने बचे हुए 3.5 ओवर खेले और भारतीय टीम को 240 रनों का लक्ष्य दिया। इसके बाद जब टीम इंडिया बल्लेबाजी करने उतरी तो, सभी को यही उम्मीद थी कि वह मैच बड़ी आसानी से जीत जाएगी। लेकिन हुआ इसके बिल्कुल उलट। विराट कोहली की कप्तानी में टीम इंडिया फाइनल में पहुंचने से चूक गई। ध्यान देने वाली बात यह है कि विराट कोहली की कप्तानी में ऐसे मौके कई बार आए हैं, जब वह चोकर्स साबित हुए। ऐसे में आइए आज हम आपको बताते हैं कि कैसे कोहली अपनी कप्तानी में टीम के लिए चोकर्स साबित हुए हैं..
बहुत ही कम समय में अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में कई रिकॉर्ड अपने नाम कर चुके टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली के लिए यह विश्व कप व्यक्तिगत रूप से शानदार रहा, लेकिन न्यूजीलैंड के ख़िलाफ़ मैच में वह रन बनाने से चूक गए और टीम को हार का सामना करना पड़ा। इससे पहले वर्ष 2017 में चैम्पियंस ट्रॉफी के फाइनल मैच में कप्तान कोहली का बल्ला खामोश रहा और टीम इंडिया यहां भी ख़िताब जीतने से चूक गई थीं। विराट कोहली एक कप्तान के तौर पर न ही किसी ग्लोबल क्रिकेट टूर्नामेंट में इंडिया को ख़िताब दिला सके हैं, न ही आईपीएल में। अब विश्व कप जैसे क्रिकेट के सबसे बड़े महाकुंभ में भी उन पर लगा चोकर्स का ठप्पा हट नहीं पा रहा है।
मौजूदा दौर की क्रिकेट दुनिया के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों में से एक विराट कोहली को बतौर बल्लेबाज के साथ ही कप्तान के रूप में अपनी श्रेष्ठता साबित करने के लिए विश्व कप सेमीफाइनल एक बड़ा मौका था। लेकिन वह न्यूजीलैंड के खिलाफ सेमीफाइनल मैच में मात्र 1 रन बनाकर आउट हो गए। वर्ष 2015 के विश्व कप सेमीफाइनल मैच में भी कोहली ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ एक रन बनाकर आउट हो गए थे। यह पहला मौका नहीं था, कोहली इससे पहले भी नॉकऑउट मैच में फ्लॉप साबित हुए हैं।
इससे पहले विराट कोहली वर्ष 2011 के विश्व कप सेमीफाइनल मैच में पाकिस्तान के विरूद्ध महज 9 रन बनाकर पवेलियन लौट गए थे। भारतीय रन मशीन कोहली का विश्व कप नॉकऑउट मैचों में 12.16 का औसत रहा है। वह नॉकऑउट मैचों में महज 73 रन ही बना पाए हैं। इस दौरान उनका स्ट्राइक रेट 56.15 का रहा है, जो बेहद शर्मनाक साबित होता है। विश्व कप 2019 को जीतकर कप्तान कोहली के पास कपिल देव और महेन्द्र सिंह धोनी के क्लब में शामिल होने का मौका था। उल्लेखनीय है कि वर्ष 1983 में टीम इंडिया को कप्तान कपिल देव ने पहली बार वर्ल्ड कप जिताया था। उसके ठीक 28 साल बाद एमएस धोनी ने भारतीय टीम को वर्ष 2011 का वर्ल्ड चैम्पियन बनाकर देश को दूसरी बार ख़िताब दिलाया। लेकिन इसके आठ साल बाद कप्तान विराट कोहली टीम इंडिया को तीसरा विश्व कप का ख़िताब जीताने में नाकामयाब रहे।
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भारतीय क्रिकेट फैंस को लगा तगड़ा झटका
जब वर्ष 2017 में टीम इंडिया विराट कोहली की कप्तानी में चैम्पियंस ट्रॉफी यानी मिनी विश्व कप के फाइनल में पहुंची थी, लेकिन वह ख़िताबी मुकाबला हार गई। पिछले लंबे समय से अच्छा प्रदर्शन कर रही टीम इंडिया के फैंस को उस वक़्त यह उम्मीद जगी थी कि चैम्पियंस ट्रॉफी का उपविजेता भारत इस बार विराट कोहली की कप्तानी में विश्व कप ट्रॉफी अपने नाम कर ही लेगा, लेकिन सब हुआ इसके बिल्कुल उलट। टीम इंडिया वर्ष 2019 के विश्व कप का सेमीफाइनल न्यूजीलैंड के हाथों 18 रनों से हार गई।
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