Captain Hawa Singh was the first Indian boxer to be honored with both Arjuna and Dronacharya Awards.
भारतीय दिग्गज पूर्व हैवीवेट मुक्केबाज, एशियन चैंपियन, अर्जुन व द्रोणाचार्य अवॉर्ड विजेता कैप्टन हवा सिंह की 16 दिसंबर को 86वीं बर्थ एनिवर्सरी है। हवा सिंह अकेले ऐसे मुक्केबाज थे, जो दो बार के एशियन गोल्ड मेडलिस्ट रहे। वर्ष 1964 में गलत तरीके से अयोग्य घोषित होने के कारण उन्हें ओलंपिक में उतरने का मौका नहीं मिला था, मगर उन्होंने ओलंपिक पदक विजेता को धूल चटाकर यह दिखा दिया था कि वह भी ओलंपिक खेलों में पदक जीतने की काबिलियत रखते हैं।
कैप्टन हवा सिंह भारत के पहले अंतरराष्ट्रीय मुक्केबाज थे, जिन्हें अर्जुन व द्रोणाचार्य अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। उन्होंने हैवीवेट श्रेणी में लगातार 11 बार ‘नेशनल बॉक्सिंग चैंपियनशिप’ जीतने का एक रिकॉर्ड कायम किया था। इस ख़ास अवसर पर जानिए उनके जीवन के बारे में कुछ अनसुनी बातें…
दिग्गज बॉक्सर कैप्टन हवा सिंह श्योराण का जन्म 16 दिसंबर, 1937 को हरियाणा में भिवानी जिले के उमरवास गांव में एक जाट परिवार में हुआ था। हवासिंह ने वर्ष 1956 में भारतीय सेना जॉइन कीं, तब उनकी उम्र महज 19 साल थी। उन्होंने बाद में आर्मी में रहते हुए ही बॉक्सिंग का प्रशिक्षण लिया। वह तब चर्चा में आए जब उन्होंने वर्ष 1960 में डिफेंडिग चैंपियन मोहब्बत सिंह को हराकर ‘वेस्टर्न कमांड’ का खिताब जीता। हवासिंह ने अपने प्रदर्शन से सभी का ध्यान आकर्षित किया था। इसके बाद उन्हें वर्ष 1966 में बैंकॉक एशियन गेम्स में भाग लेने का मौका मिला।
कैप्टन हवा सिंह ने इन एशियन गेम्स में देश के लिए गोल्ड मेडल जीता। इसके बाद वह वर्ष 1970 में एक बार फिर बैंकाक में हुए एशियन गेम्स में भी स्वर्ण पदक जीतने में सफल रहे थे। हवासिंह ने अपने भार वर्ग में एक दशक तक भारतीय और एशियाई मुक्केबाजी में अपना वर्चस्व बनाए रखा था।
हवा सिंह ने वर्ष 1961 से 1972 तक लगातार 11 बार हैवीवेट श्रेणी में ‘नेशनल चैंपियनशिप’ अपने नाम की थी। बाद में उन्होंने बॉक्सिंग की दुनिया से अलविदा कह दिया था, लेकिन वह इससे जुड़े रहे। उन्होंने अपने अनुभवों से देश को एक नई पीढ़ी देने का निश्चय किया। इसके लिए उन्होंने भिवानी बॉक्सिंग क्लब की स्थापना में सहयोग दिया और वह को-फाउंडर भी रहे।
यह क्लब तब चर्चा में आया जब वर्ष 2008 में बीजिंग ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व करने पांच बॉक्सर्स पहुंचे, जिनमें से चार बॉक्सर्स भिवानी से थे। उनमें से जितेंद्र कुमार और अखिल कुमार ने क्वार्टर फाइनल तक का सफर तय किया था। वहीं, विजेंद्र सिंह ने देश के लिए ब्रॉन्ज मेडल जीता था।
ख्यातनाम भारतीय मुक्केबाज कैप्टन हवा सिंह को वर्ष 1966 में ‘अर्जुन अवॉर्ड’ से सम्मानित किया गया था। देश में बॉक्सरों को प्रशिक्षण और बॉक्सिंग में ख़ास योगदान के लिए भारत सरकार ने उन्हें वर्ष 1999 में ‘द्रोणाचार्य अवॉर्ड’ देने की घोषणा की। लेकिन वह इस पदक को ग्रहण करने के लिए नहीं जा सके, क्योंकि द्रोणाचार्य अवॉर्ड सेरेमनी में शामिल होने के महज 15 दिनों पहले 14 अगस्त, 2000 को उनका निधन हो गया।
आपको जानकारी के लिए बता दें कि महान भारतीय बॉक्सर कैप्टन हवा सिंह की ज़िंदगी पर एक बॉलीवुड फिल्म बन रही है, जिसमें उनका किरदार अभिनेता सूरज पंचोली निभाएंगे। इस फिल्म का फरवरी 2020 में फर्स्ट लुक पोस्टर भी जारी किया जा चुका है।
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