योग के जरिए पूरी दुनिया को सेहत का पाठ पढ़ाने वाले बेल्लूर कृष्णमाचार सुंदरराजा अयंगर यानि बी. के. एस. अयंगर की आज 105वीं जयंती है। वो प्रसिद्ध योग गुरु थे, जिन्हें ‘आधुनिक योग का जनक’ माना जाता है। उन्होंने ‘अयंगर योग’ की स्थापना कीं। अयंगर ने पहले भारत और फिर पूरी दुनिया में योग को लोकप्रिय बनाया। बीकेएस अयंगर को योग के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए भारत सरकार ने वर्ष 1991 में ‘पद्मश्री’, वर्ष 2002 में ‘पद्मभूषण’ व वर्ष 2014 में ‘पद्मविभूषण’ से सम्मानित किया। उन्हें ‘टाइम’ पत्रिका ने वर्ष 2004 में दुनिया के सबसे प्रभावशाली 100 लोगों की सूची में शामिल किया था। इस ख़ास अवसर पर जानिए उनके बारे में कुछ अनसुनी बातें…
ख्यातनाम योग गुरु बीकेएस अयंगर का जन्म 14 दिसंबर, 1918 को कर्नाटक के कोलार जिले के बेलूर में एक वैष्णव परिवार में हुआ था। वह अपने माता-पिता की 13 संतानों में 11वें नंबर के थे। उनके पिता श्रीकृष्णमचार और माता शेषम्मा थे। उनके पिता स्कूल शिक्षक थे। अयंगर जहां परिवार के साथ रहते थे वहां पर इंफ्लुएंजा महामारी फैली थी, जिसका शिकार वह भी हो गए। वह बचपन से लेकर किशोरावस्था तक बहुत कमजोर दिखा करते थे।
अयंगर जब मैट्रिक की परीक्षा में अंग्रेजी विषय में फेल हो गए तो उन्होंने पढ़ाई ही छोड़ दी थी। वर्ष 1934 में जब वह 15 साल के थे तो उन्हें उनके बहनोई और योग गुरु तिरुमलाई कृष्णमाचार्य ने सेहत में सुधार के लिए मैसूर बुला लिया था। उन्होंने यहां पर योग और आसनों का अभ्यास किया, जिससे उन्हें अच्छा स्वास्थ्य लाभ हुआ। इसके बाद उन्होंने योग को ही अपना कर्म बना लिया। जब वह योग में पूर्णरूप से निपुण हो गए तो वर्ष 1937 में कृष्णमाचार्य ने उन्हें योग की शिक्षा के प्रचार-प्रसार के लिए 18 वर्ष की आयु में महाराष्ट्र के पुणे शहर भेज दिया। हालांकि, उन्हें यहां शुरुआत में आर्थिक तंगी का भी सामना करना पड़ा था।
योग गुरु बनने के बाद अयंगर के योग की शिक्षा से धीरे-धीरे कई प्रसिद्ध हस्तियां जुड़ गईं, जिनमें जिद्दु कृष्णमूर्ति, येहुदी मेनुहिन, जयप्रकाश नारायण, बेल्जियम की रानी एलिजाबेथ, एल्डास हक्सले, सचिन तेंदुलकर, करीना कपूर, ईशा शेरवानी और जहीर खान जैसी चर्चित व्यक्ति शामिल थे। उनकी पहली विदेश यात्रा वर्ष 1956 में संयुक्त राज्य अमेरिका से शुरू हुई थी। अपनी पहली यात्रा के दौरान उनकी दोस्ती वायलिन वादक येहुदी मेनुहिन से हुईं।
जब पहली बार अयंगर येहुदी के पास गए, तो उन्हें बताया गया कि येहुदी वास्तव में थके हुए हैं और वह केवल पाँच मिनट तक ही योग कर सकते हैं। अयंगर ने येहुदी को एक आरामदायक आसन करने के लिए कहा, जिसको करते ही येहुदी एक घंटे के लिए सो गए। योग का अभ्यास करने से उनके वायलिन प्रदर्शन में भी सुधार हुआ। इसके बाद येहुदी ने अयंगर को स्विट्जरलैंड आने के लिए आमंत्रित किया। बाद में अयंगर ने कई यूरोपीय देशों का दौरा किया और वहां पर अपने संस्थान खोले। इन संस्थानों में ‘अयंगर योग’ सिखाया जाता है।
बीकेएस अयंगर ने अपने संपूर्ण जीवन में योग पर कई पुस्तकें लिखीं। हालांकि उनकी अंग्रेजी बहुत कमजोर थी, लेकिन बाद में इस भाषा में उन्होंने ‘लाइट ऑन योगा’ नामक पहली पुस्तक लिखी, जो वर्ष 1966 में प्रकाशित हुईं। बाद में यह पुस्तक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सबसे अधिक बिकने वाली पुस्तक बनीं। वर्ष 2005 तक इस पुस्तक का 17 भाषाओं में अनुवाद किया गया। उनकी दूसरी पुस्तक ‘लाइट ऑन प्राणायाम’ भी लोगों के बीच काफी मशहूर हुईं।
अयंगर की प्राणायाम और दर्शन के पहलुओं पर आधारित यह किताब व्यापक रूप से पढ़ी गईं व इसकी सफलता ने उन्हें 14 टाइटल प्रदान किए थे। उनकी 14वीं किताब ‘लाइट ऑन लाइफ’ थी। एक दिलचस्प बात ये है कि ऑक्सफोर्ड इंग्लिश डिक्शनरी में बाकायदा योग के एक प्रकार के रूप में ‘अयंगर योगा’ का नाम दर्ज है।
मशहूर योग शिक्षक बीकेएस अयंगर ने योग को पूरी दुनिया तक पहुंचाने में उल्लेखनीय योगदान दिया था। उनके इस कार्य के लिए भारत सरकार द्वारा वर्ष 1991 में ‘पद्मश्री’, वर्ष 2002 में ‘पद्मभूषण’ व वर्ष 2014 में ‘पद्मविभूषण अवॉर्ड’ से अयंगर को सम्मानित किया गया। अयंगर को वर्ष 2004 में टाइम पत्रिका ने दुनिया के 100 सबसे ज्यादा प्रभावशाली व्यक्तियों की सूची में शामिल किया था।
अगर योग गुरु बीकेएस अयंगर के निजी जीवन की बात करें तो उन्होंने वर्ष 1943 में रामामणि से शादी कीं। उनसे उन्हें पांच बेटियां और एक बेटा है। हालांकि, उनकी पत्नी का निधन महज 46 वर्ष की आयु में हो गया। अयंगर ने बाद में उनके नाम पर पुणे के योग स्कूल का नाम रखा।
दुनिया को योग के माध्यम से स्वस्थ रहने की सीख देने वाले बी. के. एस. अयंगर का निधन 20 अगस्त, 2014 को उनकी कर्मस्थली महाराष्ट्र के पुणे में हुआ।
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