किस्सा

वो कवि जिसे कागज ना मिलने पर “ऐ मेरे वतन के लोगों” को सिगरेट के डिब्बे पर लिखा!

जब भारत के पहले प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू ने लता मंगेशकर की आवाज़ में “ऐ मेरे वतन के लोगों” सुना तो वे अपने आंसू नहीं रोक पाए थे। इस गाने में 1962 के भारत-चीन युद्ध में देश के लिए लड़ते हुए जान गंवाने वाले भारतीय सैनिकों को श्रद्धांजलि दी गई थी।

प्रसिद्ध हिंदी फिल्म गीतकार कवि प्रदीप (रामचंद्र नारायणजी द्विवेदी) द्वारा 50 साल से अधिक समय यह गीत लिखा गया। यह गाना अपने आप में अमर हो गया है। यह हिन्दी फिल्म के सबसे फेमस देशभक्ति गानों में से एक है।

इसको लेकर किस्सा भी जबरदस्त है कहा जाता है कि राह चलते कवि प्रदीप को इस गाने के बोल याद आए और कागज पेन ना होने के कारण बगल के एक राहगीर से पेन मांगा और अपने सिगरेट का डिब्बा फाड़कर उलट दिया और उसी पर इसके बोल लिखने लगे। यहीं से इस गाने को लिखने की शुरूआत हुई।

1915 में मध्य प्रदेश उज्जैन की बदनगर नाम की जगह पर कवि प्रदीप का जन्म हुआ जब भारत ब्रिटिश शासन के अधीन था। कवि प्रदीप ने स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान स्वतंत्रता सेनानियों को प्रेरित करने वाले गीत लिखे। आज इस महान गीतकार का जन्म दिन है।

आज हिमालय की चोटी से फिर हमने ललकारा है।

दूर हटो… दूर हटो ऐ दुनियावालों हिंदोस्तान हमारा है॥

कवि प्रदीप ने इस गीत का राजस्व युद्ध विधवा कोष में जमा करने की अपील की। मुंबई उच्च न्यायालय ने 25 अगस्त 2005 को संगीत कंपनी एचएमवी को इस कोष में अग्रिम रूप से 10 लाख जमा करने का आदेश दिया।

‘दे दी हमें आजादी बिना खड्ग बिना ढाल।

साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल॥’

कवि प्रदीप को पहचान मिली 1940 में रिलीज हुई फिल्म बंधन से। 1943 की स्वर्ण जयंती हिट फिल्म किस्मत के गीत “दूर हटो ऐ दुनिया वालों हिंदुस्तान हमारा है” ने उन्हें देशभक्ति गीत के रचनाकारों में अमर कर दिया। इस गाने का असर यह हुआ कि गुस्सा होकर ब्रिटिश सरकार ने उनकी गिरफ्तारी के आदेश तक दे दिए। इससे बचने के लिए कवि प्रदीप को भूमिगत तक होना पड़ा।

Pradeep family

आओ बच्चो! तुम्हें दिखाएं झांकी हिंदोस्तान की।

इस मिट्टी से तिलक करो यह धरती है बलिदान की॥’

पांच दशक के अपने करियर में कवि प्रदीप ने 71 फिल्मों के लिए 1700 गीत लिखे। उनके देशभक्ति गीतों में फिल्म बंधन (1940) में “चल चल रे नौजवान”, फिल्म जागृति (1954) में “आओ बच्चों तुम्हें दिखाएं”, “दे दी हमें आजादी बिना खडग ढाल” और फिल्म जय संतोषी मां (1975) में “यहां वहां जहां तहां मत पूछो कहां-कहां” है।

kavi pradeep with lala

इस गीत को उन्होंने फिल्म के लिए खुद ही गाया भी था। आपने हिंदी फ़िल्मों के लिए कई यादगार गीत लिखे। भारत सरकार ने उन्हें सन 1997-98 में दादा साहब फाल्के पुरस्कार से भी सम्मानित किया।

देख तेरे संसार की हालत क्या हो गयी भगवान,

कितना बदल गया इंसान..कितना बदल गया इंसान,

सूरज ना बदला,चाँद ना बदला,ना बदला रे आसमान,

कितना बदल गया इंसान..कितना बदल गया इंसान ||

Neha Chouhan

12 साल का अनुभव, सीखना अब भी जारी, सीधी सोच कोई ​दिखावा नहीं, कथनी नहीं करनी में विश्वास, प्रयोग करने का ज़ज्बा, गलत को गलत कहने की हिम्मत...

Leave a Comment

Recent Posts

रोहित शर्मा ने कप्‍तान हार्दिक पांड्या को बाउंड्री पर दौड़ाया।

रोहित शर्मा ने सनराइजर्स हैदराबाद के खिलाफ फील्डिंग की सजावट की और कप्‍तान हार्दिक पांड्या…

8 months ago

राजनाथ सिंह ने अग्निवीर स्कीम को लेकर दिया संकेत, सरकार लेगी बड़ा फैसला

अग्निवीर स्कीम को लेकर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एक बड़ा बयान दिया है। उन्होंने…

8 months ago

सुप्रीम कोर्ट का CAA पर रोक लगाने से इनकार, केंद्र सरकार से मांगा जवाब

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को नागरिकता संशोधन कानून (CAA) रोक लगाने से इनकार कर दिया…

8 months ago

प्रशांत किशोर ने कि लोकसभा चुनाव पर बड़ी भविष्यवाणी

चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर बड़ी भविष्यवाणी की है। प्रशांत…

8 months ago

सुधा मूर्ति राज्यसभा के लिए नामित, PM मोदी बोले – आपका स्वागत है….

आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के दिन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इंफोसिस के चेयरमैन नारायण मूर्ति…

8 months ago

कोलकाता हाई कोर्ट के पूर्व जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय ने थामा भाजपा दामन, संदेशखाली पर बोले – महिलाओं के साथ बुरा हुआ है…

कोलकाता हाई के पूर्व जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय भाजपा में शामिल हो गए है। उन्होंने हाल…

8 months ago