बिहार राज्य के निवर्तमान मुख्यमंत्री, पूर्व केंद्रीय मंत्री व जनता दल (यूनाइटेड) पार्टी के प्रमुख नीतीश कुमार आज 1 मार्च को अपना 72वां जन्मदिन मना रहे हैं। नीतीश बिहार की आम जनता के बीच ‘सुशासन बाबू’ के नाम से जाने जाते हैं। राजनीति के माहिर खिलाड़ी माने जाने वाले नीतीश कुमार पिछले साल अगस्त 2022 में बिहार के 8वीं बार मुख्यमंत्री बने। वे केंद्र सरकार में भी मंत्री रह चुके हैं। नीतीश के नौकरीपेशा को छोड़कर राजनीति में कदम रखने की कहानी बड़ी रोचक है। इस ख़ास अवसर पर जानिए उनका अब तक का राजनीतिक सफ़र और निज़ी जीवन के बारे में कुछ अनसुनी बातें…
बिजली विभाग में नौकरी करते थे नीतीश
राजनेता नीतीश कुमार का जन्म 1 मार्च, 1951 को बिहार के बख्तियारपुर में आयुर्वेदिक प्रैक्टिशनर कविराज राम लखन सिंह और परमेश्वरी देवी के घर में हुआ था। बचपन में उन्हें प्यार से ‘मुन्ना’ कहते थे। नीतीश के घरवालों ने स्कूली शिक्षा पूरी होने के बाद उनका बिहार के पटना इंजीनियरिंग कॉलेज (जिसे अब एनआईटी पटना कहते हैं) में एडमिशन करा दिया, जहां से उन्होंने मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल की। घरवालों के कहने पर नीतीश ने बिहार बिजली विभाग में नौकरी करनी शुरू कर दी।
लेकिन नीतीश की किस्मत ने उनकी मंजिल कुछ और ही तय कर रखी थी। कुछ समय नौकरी करने के बाद नीतीश ने राजनीति की ओर रूख किया। नीतीश ने राजनीति के गुण उन दिनों के समाजवादी नेता जयप्रकाश नारायण, राम मनोहर लोहिया, कर्पूरी ठाकुर और जॉर्ज फर्नाडीज जैसे नेताओं से हासिल किए। नीतिश कुमार के घरवालों ने 22 फ़रवरी, 1973 को उनकी शादी एक इंजीनियर लड़की मंजू कुमारी सिन्हा करा दी।
विधानसभा चुनाव से की राजनीति में एंट्री
विद्युत विभाग की सरकारी नौकरी छोड़ने के बाद नीतीश कुमार की राजनीतिक पारी शुरू हो गई। इसकी शुरुआत उन्होंने वर्ष 1977 में जनता पार्टी के टिकट पर पहला विधानसभा चुनाव लड़कर की थी। हालांकि, नीतीश को पहले चुनाव में हार का सामना करना पड़ा। साल 1985 में वे एक बार फिर चुनाव लड़े और इस बार बिहार विधानसभा में पहुंचे। वर्ष 1987 में नीतीश कुमार बिहार के युवा लोकदल के अध्यक्ष बनाए गए।
उनके कॅरियर में साल 1989 काफ़ी अहम माना जाता है, जब वो पहली बार 9वीं लोकसभा के लिए चुन कर दिल्ली स्थित लोकसभा में पहुंचे। आगे चलकर नीतीश को कृषि एवं सहकारी विभाग के केंद्रीय राज्य मंत्री की जिम्मेदारी भी मिलीं। वर्ष 1991 में नीतीश एक बार फिर जीते और इस बार वो जनता दल के महासचिव और उपनेता बनकर लोकसभा पहुंचे। इसके बाद वो 11वीं, 12वीं और 13वीं दोनों लोकसभा के लिए बिहार से चुनकर आए। नीतीश कुमार साल 1998-99 तक केंद्रीय कृषि मंत्री और केंद्रीय रेलवे मंत्री भी रहे।
जब पहली बार बने बिहार के मुख्यमंत्री
नीतीश कुमार के राजनीतिक कॅरियर ने वर्ष 2000 में अहम मोड़ लिया और वो पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री बने। उनका पहला कार्यकाल 3 मार्च, 2000 से 10 मार्च 2000 तक चला। इसके बाद वो साल 2005 से 2010, 2010 से 2014 तक बिहार के मुख्यमंत्री रहे। 2014 के लोकसभा चुनाव में हुई करारी हार की जिम्मेदारी लेते हुए उन्होंने पद छोड़कर जीतन राम मांझी को मुख्यमंत्री पद पर बिठा दिया था।
भ्रष्टाचार देख नीतीश ने छोड़ा लालू का साथ
जब पूर्व केंद्रीय मंत्री और आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद के बेटे और उस समय के बिहार के उप-मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगे तो नीतीश कुमार ने उनसे मंत्रिमंडल से इस्तीफा देने के लिए कहा। राजद ने अपनी स्वच्छ छवि और भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस को दिखाते हुए इस्तीफ़ा देने से साफ़ इंकार कर दिया था। ऐसे में नीतीश ने 26 जुलाई, 2017 को अपना इस्तीफ़ा दे दिया, जिसके साथ ही आरजेडी और जेडीयू का ग्रैंड एलायंस खत्म हो गया। इसके बाद नीतीश कुमार ने बीजेपी के साथ गठबंधन कर बिहार में अपनी सरकार बना ली और फिर से राज्य के मुख्यमंत्री बन गए।
साल 2020 के अंत (नवंबर) में बिहार में हुए विधानसभा चुनाव में एनडीए ने बहुमत हासिल किया और सरकार बनाई। नीतीश कुमार एक बार बिहार के मुख्यमंत्री बने। हालांकि, इस चुनाव में एनडीए गठबंधन में जेडीयू को महज 44 सीट मिलने के बाद भी नीतीश को सीएम बनाया गया। एनडीए में बीजेपी को सर्वाधिक 74 सीटों पर जीत मिलीं। इस चुनाव के दौरान नीतीश ने अपना आखिरी चुनाव बताते हुए भावुक अपील की।
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