जब भी हम किसी नुक्कड़ या गली में बैठकर बिहार बोर्ड या बिहार की किसी स्कूली परीक्षा का जिक्र करते हैं, थोड़ी देर बाद जोर-जोर से ठहाके लगने शुरू हो जाते हैं, अब बिहार बोर्ड की परीक्षाओं में होने वाले कांड ही कुछ ऐसे हैं जिन पर हंसा जा सकता है और साथ ही यह हमारा दुर्भाग्य भी है कि हम भी उसी देश में रहते हैं, जहां बिहार है। (थोड़ा सोचने वाली लाइन है ये !)
आज बिहार बोर्ड में मैट्रिक के छात्रों की बोर्ड परीक्षाएं शुरू हो गई। जैसा कि हर बार बिहार बोर्ड की परीक्षाओं में विभिन्न केन्द्रों पर परीक्षा देने वालों के अलावा मीडिया का भारी जमावड़ा होता है, कुछ ऐसा ही आज देखने को मिला। बिहार बोर्ड ने इस बार परीक्षा में सख्ती बरतते हुए छात्रों के जूते-मोजे बैन कर दिए। जिन छात्रों को परीक्षा में बैठना है उन्हें सिर्फ चप्पलों में आना होगा।
वहीं परीक्षा केंद्रों के बाहर 200 मीटर तक परिंदा भी पर नहीं मार सकता है क्योंकि धारा 144 लगा दी गई है। किसी छात्र की शक्ल पर ना जाकर, हर एक छात्र की दो बार जांच के सख्त आदेश केंद्रों पर मौजूद अधिकारियों को मिले हैं। हर 25 छात्रों के सिर या किसी भी मूवमेंट पर नजर रखने के लिए बिहार बोर्ड ने एक टीचर लगाया है।
कुछ ऐसे इंतजाम हैं बिहार बोर्ड की 2019 परीक्षा में, वैसे परीक्षा से पहले बिहार बोर्ड हर बार अपनी तैयारियों को लेकर अपनी पीठ थपथपाता है लेकिन जब नकल, पर्चियों के पकड़े जाने की खबरें सामने आती है तब अधिकारी बचते दिखते हैं। हमनें सोचा ऐसे मौके पर बिहार बोर्ड की करतूतों को थोड़ा रिवाइंड किया जाए और देश के सबसे बदनाम बोर्ड की टाइमलाइन फिर से खंगाली जाए।
अब इस देश की विडंबना देखिए जहां एक लोकप्रिय धारणा यह है कि बिहार से हर साल बंपर सिविल सेवा अधिकारी निकलते हैं और दूसरी तरफ परीक्षा के दौरान या परीक्षा के बाद पेपर चेकिंग के मामलों में धोखधड़ी लिए इसी राज्य पर बदनामी के बम गिरते हैं।
बिहार में कैसे इतनी धोखाधड़ी होती है ?
बिहार में होने वाले धोखाधड़ी के मामलों में राजनीतिक मिलीभगत के तार हर बार दिखाई देते हैं। बिहार में धोखाधड़ी के घोटालों में बच्चा राय नाम काफी दिनों तक मीडिया में छाया रहा था। ऐसे लोग राजनीतिक संरक्षण में सक्रिय रूप से धोखाधड़ी में शामिल रहते हैं।
बिहार में धोखाधड़ी एक सामान्य मानदंड बन गया है। बच्चा राय, जो बिशुनदेव राय कॉलेज के प्रमुख थे, 2005 से ऐसे कई मामलों में नाम सामने आता रहा है। बच्चा राय को 2005 और 2007 में दो बार पकड़ा गया था, लेकिन राजनीतिक कनेक्शन के कारण, वह फिर बाहर आ गया। बच्चा राय तो उस भीड़ का बस एकमात्र चेहरा है, यह पूरा खेल चलाने वाले तो टीमों में रहते हैं।
बिहार में धोखाधड़ी के मामले
2013 में, लगभग 1,600 छात्रों को परीक्षा के दौरान धोखाधड़ी और चीटिंग करने पर परीक्षा से बाहर कर दिया गया था और लगभग 100 अभिभावकों को बिहार स्कूल परीक्षा बोर्ड में छात्रों को धोखा देने में मदद करने के लिए हिरासत में लिया गया था।
2014 में, 200 से अधिक छात्रों को धोखा देते हुए पकड़ा गया और निष्कासित कर दिया गया था।
2015 में, खुलेआम धोखाधड़ी का ऐसा नजारा देखने को मिला जिसको देखने के बाद हर कोई शर्मसार हो गया। बिहार बोर्ड की परीक्षाओं में सैकड़ों माता-पिता कैमरे पर पकड़े गए क्योंकि वे परीक्षा हॉल की दीवारों पर खड़े थे और कोई लटके हुए थे। यह मामला सामने आने के बाद बिहार बोर्ड ने 1,600 से अधिक छात्रों को निष्कासित कर दिया था।
2016 में, तीन टॉपर्स का एक अजीब मामला सामने आया, जिसमें बिहार स्कूल एग्जामिनेशन बोर्ड (BSEB) आर्ट्स और ह्यूमैनिटीज से रूबी राय, साइंस से सौरभ श्रेष्ठ और साइंस स्ट्रीम के तीसरे टॉपर राहुल कुमार शामिल थे। उनसे जब उनके विषयों के बारे में सवाल पूछे गए तो सभी हक्के-बक्के थे, जबकि उन्होंने उन्हीं में टॉप किया था।
2017 में, धोखाधड़ी के मामलों में फजीहत से बचने के लिए बिहार सरकार ने परीक्षा की प्रक्रिया को सख्त बनाने की कोशिश की और कई निष्पक्ष जांच के तरीके अपनाए। जिसके परिणामस्वरूप यह हुआ कि 64 प्रतिशत से अधिक छात्र परीक्षा पास ही नहीं कर सकें।
2018 में, बिहार में क्लास 12 की परीक्षाओं के दौरान धोखाधड़ी के लिए 1,000 से अधिक छात्रों को कई सुरक्षा जांचों के बाद परीक्षा से निष्कासित कर दिया था।
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