Bhupen Hazarika was among the selected people to be honored with India's highest four honors.
एक कलाकार अपनी ज़िंदगी में ना जाने कितने ही किरदार एक साथ निभाता है। कुछ ऐसी ही कहानी है भारत के पूर्वोत्तर राज्य असम की शान, ‘भारत रत्न’ गीतकार व संगीतकार भूपेन हज़ारिका की। विलक्षण प्रतिभाओं के धनी और कला के जादूगर भूपेन असमिया भाषा के कवि, फिल्म निर्माता, लेखक और असम की संस्कृति के काफी अच्छे जानकार थे।
असमिया होने के बावजूद उनका भारत के हर कोने से जुड़ाव ने उनको समाज के हर हिस्से में एक अलग पहचान दिलाईं। 8 सितंबर, 1926 को असम के सादिया में जन्मे भूपेन को ‘भूपेन दा’ के नाम से भी जानते हैं। भूपेन को अपने खुद के गीत लिखने से लेकर उन्हें संगीत में सजाने और सुरों में पिरोने के लिए जाना जाता है। आज भूपेन हज़ारिका की 97वीं बर्थ एनिवर्सरी के अवसर पर जानिए उनके जीवन के बारे में कुछ अनसुनी बातें…
भूपेन दा ने अपनी कला से ना सिर्फ देश में ही पहचान बनाई, बल्कि दुनिया के कोने-कोने में लोगों के दिलों में अपनी जगह बनाई। भूपेन के गीतों में समाज के हर किस्से की कहानी सुनी जा सकती है। असमी के अलावा हिंदी, बंगाली और असमी भाषा में भी भूपेन ने कई गीत गाए। वहीं, असमी भाषा में बनी दूसरी फिल्म ‘इंद्रमालती’ में भी भूपेन ने एक यादगार भूमिका निभाई थी।
फिल्म ‘गांधी टू हिटलर’ में महात्मा गांधी के भजन ‘वैष्णव जन’ भजन को अपनी आवाज देने वाले भूपेन हज़ारिका को दक्षिण एशिया का सांस्कृतिक दूत कहा जाता था। गीतों के अलावा कविता लेखन, पत्रकारिता, फिल्म निर्माण में भी हजारिका का अतुलनीय योगदान रहा।
भूपेन हज़ारिका देश के उन चुनिंदा लोगों में शामिल हैं, जिन्हें अपने क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए भारत के सर्वोच्च चारों सम्मान ‘भारत रत्न’ (2019 मरणोपरांत), ‘पद्म विभूषण’ (2012 मरणोपरांत), ‘पद्म भूषण’ (2001) और ‘पद्मश्री’ (1977) से सम्मानित किया गया। कला के क्षेत्र में भूपेन के योगदान के लिए उन्हें वर्ष 1992 में ‘दादा साहब फाल्के’ पुरस्कार से नवाज़ा गया था।
भूपेन दा को उनके हुनर के लिए देश-दुनिया में लोगों ने इतना पसंद किया कि एक समय ऐसा आया जब उनकी तुलना अमेरिका के महान गायक व गीतकार बॉब डिलन से की जाने लगी थीं। डिलन ने भी गायक होने के साथ-साथ अपने गीतों से अमेरिकी समाज को एक नई पहचान दिलाई थी। वर्ष 2011 में मुंबई के कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल में काफी लंबे समय तक बीमारी से जूझने के बाद 5 नवंबर, 2011 को 85 साल की उम्र में भूपेन हज़ारिका ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया।
उस्ताद विलायत ख़ां ने ऑल इंडिया रेडियो को चलाने के तरीके की लंबे समय तक की थी आलोचना
रोहित शर्मा ने सनराइजर्स हैदराबाद के खिलाफ फील्डिंग की सजावट की और कप्तान हार्दिक पांड्या…
अग्निवीर स्कीम को लेकर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एक बड़ा बयान दिया है। उन्होंने…
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को नागरिकता संशोधन कानून (CAA) रोक लगाने से इनकार कर दिया…
चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर बड़ी भविष्यवाणी की है। प्रशांत…
आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के दिन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इंफोसिस के चेयरमैन नारायण मूर्ति…
कोलकाता हाई के पूर्व जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय भाजपा में शामिल हो गए है। उन्होंने हाल…
Leave a Comment