राजस्थान के दिग्गज नेता व भारत के 11वें उपराष्ट्रपति भैरों सिंह शेखावत की आज 100वीं जयंती है। वह ऐसे पहले गैर-कांग्रेसी नेता थे, जो राजस्थान के मुख्यमंत्री बने। भैरों सिंह को लोग ‘बाबोसा’ के नाम से भी जानते हैं। शेखावत भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के शुरुआती सदस्यों में से एक थे। भैरों सिंह वर्ष 2002 से 2007 तक उपराष्ट्रपति के पद पर रहे। इससे पहले राजस्थान के मुख्यमंत्री के रूप में उन्होंने वर्ष 1977 से 1980, वर्ष 1990 से 1992 और वर्ष 1993 से 1998 तक तीन बार कार्यभार संभाला। भैरोंसिंह शेखावत को उस वक्त के विश्व बैंक के अध्यक्ष रॉबर्ट मैकनामरा ने ‘भारत का रॉकफेलर’ कहा था। इस विशेष अवसर पर जानिए अपने समय में राजस्थान के दिग्गज राजनेता रहे ‘बाबोसा’ के बारे में कुछ अनसुनी बातें…
भैरों सिंह शेखावत का जन्म 23 अक्टूबर, 1923 को राजस्थान राज्य के सीकर जिले के खाचरियावास गांव में हुआ था। उनके पिता देवी सिंह शेखावत और माता बन्ने कंवर थे। उनकी आरंभिक शिक्षा गांव में ही पूरी हुई। हाई स्कूल में पढ़ने के लिए दूसरे गांव में पैदल ही जाते थे। हाई स्कूल की पढ़ाई के बाद वह आगे पढ़ न सके और पिता की मृत्यु के बाद उन पर परिवार की जिम्मेदारी आ गई। उन्होंने शुरू में खेती की।
बाद में वह ब्रिटिश सरकार के काल में सब-इंस्पेक्टर बन गए और उन्हें सीकर का थानेदार बनाया गया। उनका विवाह सूरज कंवर से हुआ था। पुलिस की इस नौकरी से उन्हें संतुष्टि नहीं हुई तो उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया और राजनीति में अपना भाग्य आजमाने की सोची।
पुलिस की नौकरी छोड़ने के बाद भैरों सिंह शेखावत जनसंघ पार्टी से जुड़ गए। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद वर्ष 1952 में देश में पहली आम चुनाव में भैरों सिंह ने सीकर जिले के दांतारामगढ विधानसभा क्षेत्र से भाग्य आजमाया और विधायक बने। वर्ष 1952 से 1972 तक वह राजस्थान विधानसभा के सदस्य रहे। वर्ष 1967 के विधानसभा चुनावों में भारतीय जनसंघ और उसके सहयोगी स्वतंत्र पार्टी बहुमत के नजदीक पहुंची थी, लेकिन सरकार नहीं बना सकीं।
भैरों सिंह शेखावत को वर्ष 1974 से 1977 के बीच मध्य प्रदेश से राज्यसभा सदस्य चुना गया। इस दौरान देश में आपातकाल घोषित होने की वजह से उन्हें 19 महीने जेल में काटने पड़े। इसके बाद नवगठित जनता पार्टी को भारी सफलता मिलीं। भैरों सिंह 22 जून, 1977 को राजस्थान के पहले गैर कांग्रेसी मुख्यमंत्री बनने का गौरव हासिल हुआ। लेकिन वर्ष 1980 में केन्द्र में कांग्रेस की सरकार बनी तो राजस्थान की भैरों सिंह सरकार को भंग कर दिया गया और पुन: चुनाव करवाए। इस बार उन्होंने नवगठित भाजपा के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़े और सदन में विपक्ष के नेता बन गए। वर्ष 1990 में जनता दल पार्टी के समर्थन से भैरोंसिंह शेखावत ने दूसरी बार सरकार बनाई और मुख्यमंत्री बने।
वर्ष 1991 में अयोध्या में विवादित ढांचा गिराए जाने के बाद 15 दिसम्बर, 1992 को केंद्र सरकार ने भैरों सिंह शेखावत की सरकार को बर्खास्त कर दिया था। बाद में उन्होंने वर्ष 1993 में हुए विधानसभा चुनाव में कुछ निर्दलीय विधायकों के समर्थन से 4 दिसम्बर, 1993 को तीसरे बार मुख्यमंत्री बने और वर्ष 1998 तक इस पद पर रहे। वर्ष 1998 में वह प्याज की बढ़ती कीमतों जैसे मुद्दों के कारण चुनाव हार गए। उन्होंने विधानसभा चुनावों में हार के बाद वर्ष 1999 में लोकसभा के चुनाव जीते।
बाद में भैरों सिंह को वर्ष 2002 में उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार घोषित किया गया। इस चुनाव में सुशील कुमार शिंदे को हराकर उन्हें देश के 11वें उपराष्ट्रपति बनने का सौभाग्य मिला। जुलाई, 2007 में उन्होंने एनडीए यानि नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस के समर्थन से राष्ट्रपति के पद के लिए निर्दलीय चुनाव लड़ा, हालांकि उन्हें प्रतिभा पाटिल के सामने हार का सामना करना पड़ा। उन्होंने 21 जुलाई, 2007 को उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया।
भैरों सिंह शेखावत को उनके कार्यों और उपलब्धियों के लिए कई सम्मान और पुरस्कार मिले। आंध्रा विश्वविद्यालय विशाखापट्टनम, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, वाराणसी और मोहनलाल सुखाडि़या विश्वविद्यालय, उदयपुर ने भैरों सिंह को डी. लिट. की उपाधियां प्रदान कीं। एशियाटिक सोसायटी ऑफ मुंबई ने उन्हें फैलोशिप से सम्मानित किया तथा येरेवन स्टेट मेडिकल यूनिवर्सिटी अर्मेनिया द्वारा उन्हें गोल्ड मेडल के साथ मेडिसिन डिग्री की डॉक्टरेट उपाधि प्रदान की गईं।
भैरों सिंह शेखावत को कैंसर था। 15 मई, 2010 को उनका जयपुर के एसएमएस अस्पताल में निधन हो गया।
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