हलचल

लाइफटाइम फ्री हवाई यात्रा, कई वीआईपी सुविधाओं से लेकर ये सब मिलता है भारत रत्न विजेता को

हाल में हमने जोश और उत्साह के साथ देश का 70वां गणतंत्र दिवस मनाया, इससे पहले गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या हमारे देश के लिए एक गौरवशाली शाम रही। 25 जनवरी को देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भारत रत्न सम्मान की घोषणा की जिसमें भारत की तीन जानीमानी हस्तियों को शुमार किया गया। देश का यह सर्वोच्च सम्मान पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, मशहूर संगीतकार भूपेन हजारिका और आरएसएस से जुड़े नेता एवं समाजसेवी नानाजी देशमुख को दिया गया।

भारत रत्न के लिए नामों की घोषणा होने के साथ ही जहां एक तरफ लोगों की शुभकामनाओं का दौर शुरू हुआ तो कई राजनीतिक दलों और नेताओं की तरफ से नामों के चयन को लेकर नाराजगी भी देखी गई। हर बार भारत रत्न के लिए नामों की घोषणा के समय कई तरह के विवाद देखने को मिलते हैं ऐसे में आइए इसी मौके पर हम आपको इन विवादों और नाराजगी भरे माहौल से दूर लेकर चलते हैं और जानते हैं भारत रत्न सम्मान के बारे में कुछ बेहद की खास बातें।

भारत रत्न भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान है। यह 1954 में दिया जाना शुरू हुआ और 2019 में घोषित तीन पुरस्कारों सहित अब तक कुल 48 व्यक्तियों को इस सम्मान से नवाजा जा चुका है। यह सम्मान मानव सेवा के किसी भी क्षेत्र में असाधारण सेवा के लिए दिया जाता है।

क्या होता है प्रोसेस ?

भारत रत्न के लिए नामों की सिफारिशें प्रधानमंत्री द्वारा खुद राष्ट्रपति को भेजी जाती है। इसके लिए कोई औपचारिक सिफारिश की आवश्यकता नहीं है, हालांकि कई बार इस तरह के नागरिक सम्मान के लिए कई दल और व्यक्ति सिफारिशें लगाते हैं। एक साल में अधिकतम तीन लोगों को ही यह सम्मान दिया जाता है।

सम्मान के रूप में अवॉर्डी को क्या मिलता है?

भारत रत्न से सम्मानित होने वाले व्यक्ति को भारत के राष्ट्रपति द्वारा हस्ताक्षरित एक प्रमाण पत्र और एक पदक मिलता है। पदक पीपल के पत्ते के रूप में होता है, लगभग 5.8 सेमी लंबा, 4.7 सेमी चौड़ा और 3.1 मिमी मोटा होता है। यह टोन्ड ब्रोंज़ से बना होता है। इसके आगे के हिस्से पर सूरज की शेप 1.6 सेंटीमीटर व्यास की बनी होती है, जिसके नीचे भारत रत्न शब्द देवनागरी लिपि में उभरा हुआ होता है। इसके विपरीत देवनागरी में राज्य के प्रतीक और आदर्श वाक्य लिखे होते हैं। प्रतीक, सूर्य और रिम प्लैटिनम के बने होते हैं।

यह पदक भारत सरकार द्वारा कोलकाता में बनाया जाता है। 2014 तक, भारत रत्न की इसके बॉक्स की कीमत के साथ कुल लागत रु 2,57,732 थी।

कितने पैसे मिलते हैं ?

अन्य पुरस्कारों की बनी हुई लोकप्रिय धारणाओं के उलट भारत रत्न देने के दौरान किसी तरह का कोई मौद्रिक अनुदान यानि पैसे नहीं दिए जाते हैं। इसके अलावा सम्मान हासिल करने वाला अपने नाम के आगे या पीछे हर जगह इसका इस्तेमाल भी नहीं कर सकता है। हालांकि पुरस्कार विजेता अपने बायोडाटा /लेटरहेड / विजिटिंग कार्ड में यह बता सकता है कि वह ‘राष्ट्रपति द्वारा भारत रत्न से सम्मानित किया गया है’।

अन्य क्या सुविधाएं मिलती है?

हालांकि भारत रत्न हासिल करने वालों को किसी भी तरह का कोई मौद्रिक अनुदान नहीं दिया जाता है लेकिन पुरस्कार विजेताओं को कई लाभ और सुविधाएं दी जाती है।

– भारत रत्न विजेता देश के किसी भी कोने में यात्रा के दौरान किसी भी राज्य का स्टेट गेस्ट माना जाता है।

– विदेश यात्रा के दौरान भारतीय दूतावास की तरफ से पूरा सम्मान और हर तरह की सुविधा दी जाती है।

– भारत रत्न विजेता लाइफटाइम डिप्लोमैटिक पासपोर्ट का हकदार होता है और आजीवन एयर इंडिया की एक्जीक्यूटिव क्लास में फ्री सफर कर सकता है।

अब ये डिप्लोमैटिक पासपोर्ट क्या होता है, जाते-जाते ये भी समझ लीजिए…

डिप्लोमैटिक पासपोर्ट मरून कवर का होता है जिसे भारतीय राजनयिकों, शीर्ष रैंकिंग के सरकारी अधिकारियों को जारी किया जाता है। भारत रत्न पुरस्कार पाने वाले भी इस राजनायिक (डिप्लोमेटिक) पासपोर्ट के हकदार होते हैं। डिप्लोमेटिक पासपोर्ट उन्हें इमिग्रेशन काउंटर, एयरपोर्ट में वीआईपी लाउंज आदि तक पहुंचने में मदद करता है।

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