स्ट्रीट फूड और इंडिया के लोग, इन दोनों के रिश्ते पर सवालिया निशान लगाने की हिम्मत कोई नहीं कर सकता है, हम भी नहीं ! पर अगर हम आपको कहें कि सड़क किनारे आपकी शामें जिन ठेलों या स्टॉल पर सजती है वहां आपको प्लेटों में चम्मच के साथ सजाकर जहर दिया जा रहा है। हां, अब आपकी हैरानी लाजमी है। चलिए पूरा माजरा समझाते हैं।
मामला हरियाणा के यमुनानगर का है। एक 3 साल के बच्चे ने सड़क किनारे लगे ठेले से चाउमीन खाई और मौत के मुंह में चला गया। जी हां, चाउमीन में डाली जाने वाली चटनी में एसिटिक एसिड की मात्रा ज्यादा होने से बच्चे के फेफड़े फट गए और शरीर जल गया।
अस्पताल ले जाने पर डॉक्टर ने बताया कि इसका ब्लड प्रेशर जीरो है, इलाज शुरू हुआ। ऑपरेशन किया गया. चेस्ट ट्यूबें लगाई गई। बड़ी मशक्कत के बच्चे का हार्ट काम करने लगा। 16 दिन तक वेंटिलेटर पर रहने के बाद अब बच्चा रिकवरी कर रहा है।
घटनाक्रम के मुताबिक बच्चे उस्मान जिद्द पर पिता मंजूर उसे पास के एक ठेले पर ले गया। चाउमीन खाने के दौरान बच्चे ने एकस्ट्रा सॉस डाला और पीने लगा। पिता के मना करने के बाद भी बच्चा नहीं माना और कुछ ही देर में उसका शरीर एकदम काला पड़ गया।
डॉक्टरों ने क्या कहा ?
डॉक्टरों का कहना है कि ऐसा मामला हमने पहली बार देखा है। चटनी में इतना एसिटिक एसिड होना असंभव है जिससे पास खड़े आदमी के हाथ तक जल जाएं। बच्चे को लेकर डॉक्टरों ने कहा कि उसके ऑर्गन अंदर तक बुरी तरह जले हैं।
एसिड है खतरनाक
विशेषज्ञों का इस मामले के बाद कहना है कि किसी भी खाने में स्वाद को बढ़ाने के लिए सॉस में एसिटिक एसिड का इस्तेमाल होता है। आपको बता दें कि गोलगप्पे वाले भी पानी को चटपटा बनाने के लिए उसमें थोड़ा एसिटिक एसिड डालते हैं।
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